एसएनई न्यूज़.चंडीगढ़।
वाह रे कैप्टन, वाक्य ही तेरे शासन काल विच काफी मझे है। खासकर , उन विधायकों या फिर मंत्रियों के लिए जो आपके बेहद करीब है। अब कांग्रेस के विधायक तथा राजस्व मंत्री गुरप्रीत सिंह कांगड़ के दामाद गुरशेर सिंह को अनुकंपा के आधार पर आबकारी विभाग में इंस्पेक्टर की नौकरी देने जा रहे है। इतना ही नहीं, कैबिनेट की बैठक में इस फैसले की अनुमति भी मिलने जा रही है। ऐसा करके कैप्टन ने कांगड़ा को तो जरुर दिल जीत पाने में सफलता हासिल कर ली है, जबकि वह इस फैसले के लिए विपक्ष के निशाने पर एक बार फिर से आ गए।
सीएम ने कुछ माह पहले उनके बेहद खास कांग्रेसी विधायक फतेहजंग सिंह बाजवा (कादियां विधानसभा हलका) , लुधियाना से राकेश पांडे के बेटे को अनुकंपा के आधार पर विभिन्न सरकारी विभाग में नौकरी देने की कैबिनेट बैठक में अनुमति ले चुके है, जबकि कैप्टन के इस फैसले दौरान पार्टी के भीतर से विरोधी सुर उठने लगे थे। जिसके बाद कादियां के विधायक फतेहजंग सिंह बाजवा ने नौकरी के प्रस्ताव को ठुकरा दिया।
अब नए मामले को लेकर एक बार फिर से कांग्रेस में विरोधी सुर उठने के पूरे पूरे कयास लगाए जा रहे है। क्योंकि, इस नौकरी के प्रस्ताव को पंजाब कीरत विभाग नाकार चुका है। उनकी रिपोर्ट मुताबिक गुरशेर सिंह आर्थिक तौर पर काफी मजबूत है। इस लिहाज से उन्हें अनुकंपा का आधार मानकर नौकरी देने की कदापि जरूरत नहीं है। अनुकंपा के आधार पर सिर्फ कमजोर आर्थिक हालत वालों को ही नौकरी दी जा सकती है।
बताते चलें कि रविशेर सिंह के पिता ने कैप्टन की वर्ष 2002 में कांग्रेस सरकार दौरान रवि सिद्धू (बहुचर्चित रिश्वतखोरी मामला) मामले में अहम कड़ी का रोल निभाया था। उनका इस केस के बीच दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हो गई थी। सरकार इसी बात को लेकर रविशेर को आबकारी विभाग में इंस्पेक्टर की नौकरी देना चाहती है।