राजेश शर्मा.करणबीर.अमृतसर चंडीगढ़।
आंखों में आंसू, गंभीर सोच में डूबा परिवार तथा पत्रकार जगत शायद इस बात को मानने के लिए बिल्कुल तैयार नहीं था कि वरिष्ठ पत्रकार जजबीर सिंह उन सबके बीच नहीं रहें। हष्ट पुष्ट शरीर, बुलंद आवाज के नाम से पुकारे जाने वाले जजबीर में एक खासियत थी कि सोच से पहले ही खबर को जज कर लेते थे। शुक्रवार की सुबह 5 बजे उन्होंने निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली। पूरे रीति रिवाज के साथ उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया। अपने पीछे मां-बाप पत्नी तथा 5 वर्षीय बच्चे को छोड़ गए। परिवार का रो-रोकर बुरा हाल है कोई भी उनके आंसू पोंचने के लिए जाता है तो फिर एक बार आंखें नम हो जाती है। अपने पीछे जजबीर कुछ यादें छोड़ गए है, जिन्हें शायद ही कोई भूला सकता हों। पत्रकार जगत से लेकर राजनीति, समाजिक, धार्मिक लोगों ने परिवार के प्रति संवेदना जताई है।

वर्ष 2011 में जजबीर ने पत्रकारिता के पेशे की शुरुआत की। आरंभिक तौर पर उन्होंने काफी संघर्ष किया। खबर की सोच से पूर्व जज कर लेने की उनके पास पूरी तरह से महारत थी, इसलिए देश के वरिष्ठ पत्रकार उनकी जांबाजी के कायल थे। बताया जाता था कि भूतपूर्व दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल पंजाब के दौरे पर थे। तब वह इंडिया न्यूज में एक वरिष्ठ पत्रकार थे। उन्हें दिल्ली चैनल विशेष हिदायत देकर उनका साक्षात्कार करने के लिए बोला। चैनल के आदेश को मानते हुए केजरीवाल से वो सवाल-जवाब पूछे गए शायद ही कोई पत्रकार उनसे पूछने की हिम्मत कर पाता। इस साक्षात्कार के उपरांत केजरीवाल ने भी जजबीर सिंह की खूब प्रशंसा की थी। चैनल की तरफ से उन्हें विशेष सम्मान भी दिया गया। लेकिन, जजबीर ने जिंदगी में कुछ अलग तथा खोजी पत्रकार बनने का जो सपना आंखों में सजाया था , उसे पूरा करने के लिए दिन-रात जी तोड़ मेहनत करनी आरंभ की। इस दौरान उन्हें कई खबरें ऐसी मिली जो कि अन्य दायरे के पास नहीं थी। इन खबरों के प्रसारित होने पर समाज के खिलाफ चल रही बुराई को मिटाने में खास कारगर साबित हुई।
बताया जा रहा है कि जजबीर लगभग आधा दर्जन के करीब राष्ट्रीय समूह में काम करने वाले पत्रकार थे। अब वह हिंदोस्तान के डिजिटल में वरिष्ठ पत्रकार के तौर पर काम कर रहे थे। उनके पास पंजाब के अलावा अन्य राज्यों की खबरों को प्रसारित करने का दायरा मिल चुका था। सब कुछ अच्छा ही चल रहा था कि उन्हें दिल्ली से आने के उपरांत सांस लेने में कुछ दिक्कत आई। इसके लिए विशेष चिकितस्क के पास गए। सभी जांच रिपोर्ट एकदम ठीक आई। लेकिन, शुक्रवार की सुबह उनकी तबीयत एकदम बिगड़ गई। उन्हें निजी अस्पताल लेकर जाया गया। सुबह के 5 बजे उन्होंने अपना अंतिम सांस लिया। जजबीर जैसे पत्रकारिता के क्षेत्र से जुड़े कम हीरे ही समाज को मिलते है, उनकी कमी को हमेशा समाज में महसूस किया जाएगा।
प्रेस क्लब को परिवार के साथ खड़ा होना होगा
जजबीर चाहे हम सब के बीच नहीं रहे है। वह हमारे परिवार का एक अभिन्न अंग थे। प्रेस क्लब जो कि हमेशा पत्रकार को एक परिवार के तौर पर देखता है। अब समय आ चुका है कि उन सबको एक संयुक्त परिवार के रुप में जजबीर के परिवार के साथ खड़ा होना चाहिए। मांग की जा रही है क्लब को एक संशोधन डालकर जजबीर के परिवार की आर्थिक मदद करनी चाहिए। इसके साथ भविष्य में किसी प्रकार की कोई मदद परिवार को जरुरत पड़े तो उनके साथ कंधा बनकर सदैव खड़ा होने का वादा करना चाहिए।