एसएनई न्यूज़ की राजनीति विश्लेषण टीम.चंडीगढ़।
पंजाब विधानसभा चुनाव-2022 को लेकर अगर कोई राजनीति पार्टी भाजपा को हलके में लेकर चल रही है तो यह उसकी सबसे बड़ी भूल हो सकती है। क्योंकि , क्योंकि, भाजपा + सहयोगी दल , इस बार चुनावी मैदान में नई रणनीति के साथ उतरे है। पार्टी के कुछ विश्वसनीय सूत्रों ने बताया कि इस बार कोविड-19 की पाबंधियों को ध्यान में रखते हुए, चुनाव प्रचार की प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए तकनीकी तौर पर किया जा रहा है। यह तकनीक, सब राजनीति दलों से बिल्कुल अलग तथा दिलचस्प है, जिसका उन्हें काफी हद फायदा तथा जीत को समीप ले जाने में काफी कारगर साबित हो रहा है। इसके अलावा पार्टी मौके पर चौका-छक्का लगाने की नीति पर भी काम कर रही है।
फिलहाल, लगभग राजनीति दल यह सोच कर चल रहे है कि लोगों तथा खासकर किसानों में भाजपा के प्रति अभी भी गुस्सा है। जबकि यह सोच अन्य राजनीति दल के लिए विपरीत दिशा साबित हो सकती है। क्योंकि, इस बार भाजपा तथा उसके सहयोगी दलों ने जिस नीति पर काम करना शुरु किया है। उससे अंदाजा, इस बात का लगाया जा सकता है कि चुनाव में वे आम-जनता तथा नाराज किसानों का दिल भी जीत सकते है। इस पर काम पारंभिक तौर पर शुरु हो चुका है। इसके लिए विभिन्न टीमों ने तो मैदान में एकजुटता का प्रमाण भी दे दिया। काम सही दिशा में शुरु हो चुका है। उसके परिणाम धीरे-धीरे मिलने के संकेत मिलने भी शुरु हो गए है।
बताया जा रहा है कि भाजपा के साथ आरएसएस की विभिन्न टीमें भी इस काम में जुट चुकी है। उनका अभियान तो विशाल स्तर पर प्रारंभ हो चुका है। लोगों के साथ तालमेल से लेकर, उनकी समस्या तथा विचारों पर चर्चा का काम आरंभ हो चुका है। सूत्रों से मिली जानकारी मुताबिक, आरएसएस को पंजाब में इस बार लोगों से अच्छा फीडबैक मिल रहा है। क्योंकि, पंजाब का एक बड़ा हिस्सा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काम से काफी खुश भी है तथा पार्टी के समर्थन में मत देकर विजय दिलाने में भी अपनी रोचकता का परिचय दे रहा है।
फिलहाल, अभी वे लोग सिर्फ खमोश रह कर ही आगे बढ़ना चाहते है। पंजाब में दलित प्लस हिंदू मत काफी संख्या में है। इन मतों को हासिल करने के लिए प्रत्येक राजनीति दल काफी जोर लगा रहा है। कभी मंदिरों तथा डेरो पर जाकर अपनी उनके प्रति सहानुभूति या फिर सहमति हासिल करने के लिए हरसंभव किया जा रहा है। जबकि, पंजाब का मत इस बार खमोश होकर बैठा है। कोई भी किसी विशेष पार्टी को मत देने का दिल से ऐलान तो नहीं कर रहा है। जबकि, उनकी नबज टाटोली जाए तो इस बार जीत तकनीक के साथ काम करने वाली राजनीति दल को मिलती नज़र आ रही है। भाजपा की नीति अगर चुनाव दौरान काम कर गई तो शायद यह भी कहा जा सकता है कि पंजाब में भाजपा अपने सहयोगी दलों के साथ अगली सरकार भी बना सकती है।
फिलहाल, इस पर पूरी तरह से सुनिश्चित रुप से कहना है इतना आसान नहीं होगा। क्योंकि, अभी मतदान के दिन शेष है। इस दौरान समीकरण कई बार बदल भी जाते है।
प्रत्याशी चुन-चुन कर भाजपा ने खेला दांव
इस बार भाजपा ने किसी प्रकार से चूक न हो जाए, इसके लिए कई प्रकार का मंथन नीतियों पर चर्चा , इतना ही नहीं कई दौर की बैठकों उपरांत प्रत्येक सीट पर चुन-चुनकर भाजपा ने अपने प्रत्याशी पर दांव खेला है। साफ छवि तथा पार्टी के प्रति सेवा को प्रमुख रुप से ध्यान में रखते हुए अधिकतर प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में खेलने का मौका दिया गया। इतना ही नहीं, कांग्रेस , शिअद से बड़े नेता छोड़कर भाजपा का दामन थामने वालों पर भाजपा ने दांव खेल, उन्हें चुनाव मैदान में उतारा है। कई देश के प्रतिष्ठित पूर्व आईपीएस को इस चुनाव मैदान में उतारा गया। उनमें सबसे वरिष्ठतम पूर्व आईपीएस अधिकारी डाक्टर जगमोहन सिंह राजू को विधानसभा हलका अमृतसर के पूर्वी में सिद्वू-मजीठिया के खिलाफ खड़ा किया गया। साफ छवि तथा ईमानदारी के रुप में यह चेहरा जाना जाता है। भाजपा को उम्मीद भी है कि वह सीट पर विजय हासिल कर सकती है।
हाइटेक-तालमेल नीति करेगी काम
भाजपा तथा सहयोगी दलों की जीत सुनिश्चित करने के लिए भाजपा के एक सबसे कुशल विंग ने चुनाम मैदान में काम युद्द स्तर पर तेज कर दिया। यह विंग एकदम हाइटेक तथा आपसी तालमेल के लिए जाना जाता है। लोगों के सुझाव, समस्या, नीति हर प्रकार के काम को दिल से समझा जा रहा है। इसका प्रतिदिन फीडबैक लिया जा रहा है। यह काम पार्टी के लिए काफी कारगर भी साबित हो रहा है। अब देखना होगा, चुनाव के परिणाम में यह कितना कारगर तथा सफल रहता है।
अधिवक्ता-प्रवक्ता-वरिष्ठ कार्यकर्ता का लिया जा रहा है सहयोग
भाजपा ने सहयोगी दलों के साथ मिलकर चुनाव में अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए अधिवक्ता-प्रवक्ता तथा वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को भी, इस मुहिम में शामिल किया है। वह हर प्रकार से अपने स्तर पर काम को नई तकनीक के साथ कर रहे है। इनमें अमृतसर के भाजपा सगयोगी दल पंजाब लोक कांग्रेस के जिला अध्यक्ष तथा वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव भगत को लिया गया। उन्होंने अपनी विशेष टीम आगे खड़ी कर दी। टीम बूथ स्तर पर काम कर रही है। प्रतिदिन फीडबैक लिया जा रहा है। मुश्किलें तथा उनका समाधान पर मंथन करके उसे प्राथमिकता के तौर पर सुलझाने की नीति तैयार की गई।