वरिष्ठ पत्रकार.चंडीगढ़।
सनातन धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एकादशी व्रत रखने से व्यक्ति को शारीरिक,मानसिक एवं आर्थिक लाभ प्राप्त होते हैं। इस विशेष दिन पर भगवान विष्णु की उपासना करने से साधक को सभी पापों से मुक्ति प्राप्त हो जाती है। पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 09 सितंबर रात्रि 07 बजकर 17 मिनट से शुरू होगी और 10 सितंबर रात्रि 09 बजकर 28 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। इस विशेष दिन पर पुनर्वसु और पुष्य नक्षत्र का निर्माण हो रहा है। साथ ही इस दिन वरीयान योग, रवि पुष्य योग और सर्वार्थ सिद्धि योग का भी निर्माण होगा, जिन्हें सभी मांगलिक कार्यों के लिए श्रेष्ठ माना जाता है।
पूजा विधि
प्रातः काल सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान आदि से निवृत होकर भगवान विष्णु का माँ लक्ष्मी के साथ गोपी चन्दन,चावल,पीले पुष्प,ऋतु फल,तिल एवं मंजरी सहित तुलसी दल से पूजन करें ।दिन भर निराहार रहते हुए शाम को फलाहार कर सकते हैं। एकादशी के दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है। यदि आप किसी कारण से व्रत नहीं कर सकते है तो इस दिन मन में विष्णु भगवान का ध्यान करते हुए सात्विक रहें ,झूठ न बोले,किसी का मन नहीं दुखाएं एवं पर निंदा से बचें । एकादशी के दिन चावल नहीं खाना चाहिए।