वर्ष 2022 में पंजाब की सत्ता में आम आदमी पार्टी की सरकार आई। हर किसी को उम्मीद थी शासन एवं प्रशासन से अब उन्हें इंसाफ मिलेगा। लेकिन, ऐसा संभव नहीं हो पाया। क्योंकि, पंजाब में खाकी को वर्तमान सरकार ने बिल्कुल स्वतंत्र कर दिया। अब उसे सरकार की कोई आदेश मानने की जरूरत ही नहीं पड़ती हैं। इसलिए, पंजाब की खाकी जनता पर काफी हावी हो चुकी हैं। झूठे पर्चे, फरियादियों के प्रति रुखा व्यवहार, इस बात का परिचय देता है, वाक्य पंजाब में खाकी की धौंस-रौब बरकरार हैं।
पिछले दिनों, पुलिस के सताए कुछ मामले सामने आए। ताजा मामला, जिला गुरदासपुर के अधीन क्षेत्र थाना धारीवाल का सामने आया। यहां की पुलिस से सताए, एक अमृतधारी सिख युवक ने, थाना के संतरी से राइफल छीनकर फरार हो गया। उक्त युवक ने सोशल मीडिया में लाइव होकर , संबंधित थाना के पुलिस अधिकारियों के खिलाफ संगीन आरोप जड़ दिए। इस मामले को लेकर चाहे पुलिस हरकत में तो जरूर आ गई। लेकिन, इस मामले ने इस बात सबूत दे दिया की कि पंजाब की पुलिस से आम-जनता संतुष्ट नहीं हैं, इसलिए इंसाफ के लिए उन्हें सोशल मीडिया का सहारा लेकर आवाज को बुलंद करना पड़ रहा हैं। दूसरा मामला दिवंगत अभिनेता एवं पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या से जुड़ा हैं। पकड़े गए गैंगस्टर को सीआईए के इंस्पेक्टर ने भगा दिया। लेकिन, पुलिस से लेकर वर्तमान सरकार, उसे बचाती रही। इतना ही नहीं, उसे अदालत में पेश करने के लिए पुलिस काफी ठाठ बाठ तरीके से लेकर आई। हाथ में कोई हथकड़ी नहीं थी। पकड़े गए अपराधी इंस्पेक्टर के चेहरे पर मुस्कान थी। यह साबित हो रहा था कि उसने बहुत बहादुरी का काम किया। सारे प्रकरण में पुलिस विभाग की काफी किरकिरी हुई, लेकिन, जवाब कोई नहीं हैं।
इस तरह के मामले सामने आने के उपरांत कहीं न कहीं वर्तमान आप सरकार पर उंगली खड़ी होना अनिवार्य हैं। फिर, सरकार चुप होकर बैठे हुए हैं। आए दिन पंजाब का माहौल तनावपूर्ण एवं गैंगस्टरों द्वारा गोलीबारी जैसी वारदातों को अंजाम देना कहीं न कहीं सरकार एवं पुलिस शासन पर कड़े सवाल खड़े कर देता हैं। इस पूरे मामले में सरकार मौन धारण करके बैठ गई है, जबकि पुलिस अपनी रिकवरी प्रस्तुत कर खुद की पीठ थपथपाने से भी पीछे नहीं हट रही हैं।
आम जनता वर्तमान में भी कानून से इंसाफ पाने के लिए दर दर की ठोकरें सहन कर रही हैं। खाकी के बड़े बड़े अधिकारियों से गुहार लगाने के लिए, उन्हें लंबी प्रतीक्षा के लिए सामना करना पड़ रहा हैं। चेहरे पर आशा लेकर सुबह से सायं तक लंबा इंतजार करने के उपरांत निराश होकर आम जनता जा रही हैं। मुख्यालय में कार्य की विधि को सही ढंग से नहीं पेश किया जा रहा हैं। इस पर बदलाव लाने के लिए , इन खाकी के बड़े अधिकारियों की जवाबदेही के लिए, जांच-पड़ताल की प्रक्रिया भी अनिवार्य हैं। ऐसा संभव होता है तो शायद पंजाब की जनता को कानूनी रूप से इंसाफ काफी सरल तरीके से मिल सकता हैं।
इन दिनों एक चर्चा, इस बात की भी चल रही हैं। जांच-अधिकारियों के रीडरों की काफी तूती चल रही हैं। इंसाफ पाने वालों को पूर्व में ही भयं दिखाकर अपने कानूनी चाल चलने लग पड़ते हैं। पहले से ही सताया व्यक्ति बिल्कुल डर जाता हैं। इंसाफ पाने की उम्मीद को दिल से निकाल देता हैं। उक्त रीडरों की मंशा इस बात की होती है कि उन्हें कैसे अपने शिकार से पैसे ऐंठने हैं। इस बात का शायद बड़े खाकी अधिकारी पता भी नहीं होता है कि उनके पीठ के पीछे रीडर कौन-कौन से गुण खिला रहे हैं। इस प्रकार की प्रणाली में बदलाव काफी अनिवार्य हैं।
विनय कोछड़— एसएनई न्यूज़ एडिटर इन चीफ।