एसएनई नेटवर्क टीम.चंडीगढ़।
पंजाब में इंसाफ लेने के लिए पीड़ित लोगों की बहुत लंबी लाईन हैं, यू कहें, कि 80 फीसद को पुलिस से इंसाफ ही नहीं मिल पाता। सिर्फ 20 फीसद इंसाफ पाने वाले वीआईपी की संख्या हैं। यह हैरान करने वाला डेटा, एसएनई टीम ने पंजाब के हर जिले से लोगों से मुलाकात कर, उनकी राय के उपरांत हासिल किया।
प्रदेश में ईमानदार सरकार का दावा करने वाली आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार हैं। लेकिन, इन तथ्यों ने सरकार के दावों को हिला कर रख दिया। लोगों के मुताबिक, उनके मन में वर्तमान में भी पुलिस के समक्ष भयं हैं। किसी प्रकार की शिकायत को लेकर जाना, उनके लिए किसी चुनौती से कम नहीं हैं। क्योंकि, थाना में वर्तमान में भी पुलिस का रवैया लोगों के प्रति काफी सख्त हैं। उनकी शिकायत लेने से पूर्व ही कई प्रकार की दुविधा में डाल दिया जाता हैं, जिस वजह से वह शिकायत दर्ज किए बिना ही वापस लौट जाते है। या फिर कह सकते है कि लोग पुलिस से इंसाफ पाने से वंचित रह जाते हैं।
बड़ी विडंबना, इस बात की है कि पुलिस से इंसाफ पाने में वंचित रहने वाले पीड़ित जल्द कही अदालत का रुख भी नहीं कर पाते हैं। इसके पीछे असल वजह यह है कि अदालत प्रक्रिया में इंसाफ पाने के लिए अधिवक्ता की फीस दे पाने में असमर्थ साबित होते हैं। ऊपर, से न्यायालय की ढीली प्रक्रिया में इंसाफ पाने में कोई तय समय सीमा नहीं होती हैं।
जिन-जिन को इंसाफ पुलिस से मिल भी रहा हैं, वे लोग वीआईपी की श्रेणी में शामिल हैं। उन्हें लिए तो पंजाब पुलिस इंसाफ देने के लिए हर समय मुस्तैद रहती हैं। हैरान करने वाले तथ्यों में यह बड़ी बात सामने आई हैं कि पुलिस इन लोगों की पीड़ा को अपना दर्द समझती हैं। उनके बयान पर ही अगली कार्रवाई आरंभ कर देती है। इतना ही नहीं, इंसाफ दिलाने में भी पूरा जोर लगा देती हैं।
इस बीच आम जनता को पुलिस से इंसाफ नहीं मिल पाना भी, सरकार तथा पुलिस प्रशासन सवालों के घेरे में आ जाती हैं। अगर चाहें तो यें इस भूल को दुरुस्त करके आम जनता तथा पीड़ितों के बीच अच्छा संदेश दे सकते हैं, लेकिन, इसके लिए इस बात का मंथन करना काफी जरुरी होगा।