एसएनई न्यूज़.चंडीगढ़।
कांग्रेस को उस समय बड़ा झटका लगा, जब कांग्रेस के पूर्व मंत्री तथा मौजूदा विधायक गुरमीत राणा सोढ़ी ने कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गए। पंजाब भाजपा के प्रभारी तथा केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की मौजूदगी में सोढ़ी को भाजपा में शामिल कर, उन्हें सदस्यता ग्रहण कराई।
भाजपा को अब, इस बात का बल मिलना शुरू हो चुका है कि उसे चुनाव में अच्छे प्रत्याशी आने का राह मिल गया। कयास, पहले से लगाए जा रहे थे कि राणा सोढ़ी कभी भी कांग्रेस को छोड़कर, भाजपा में शामिल हो सकते है। आज भाजपा में शामिल होकर, उन्होंने इस बात का प्रमाण दे ही दिया।
दरअसल, कैप्टन के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के उपरांत, मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने अपनी नई कैबिनेट में राणा सोढ़ी को हटा दिया था। उसके बाद सोढ़ी ने पार्टी गतिविधियों से किनारा कर लिया था। उन्हें मनाने के लिए हाईकमान के कहने पर चन्नी ने सोढ़ी के घर पहुंच कर डिनर भी किया था। मगर आपसी दूरियां दूर नहीं हो सकी।
सोढ़ी , पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के सबसे खास थे। उनके कार्यकाल में सोढ़ी को खेल मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। कयास, इस बात के भी लगाए जा रहे है कि सोढ़ी को भाजपा में शामिल कराने के लिए कैप्टन की खास भूमिका रही, जबकि इस बारे किसी ने आधिकारिक पुष्टि नहीं की।
राहुल ने सोढ़ी को बड़ी जिम्मेदारी देने का वचन दिया थापिछले दिनों राणा सोढ़ी की दिल्ली में राहुल गांधी से मुलाकात हुई थी। दोनों के बीच लंबी चर्चा चली थी। उस दौरान राहुल गांधी ने सोढ़ी की नाराज़गी दूर करने के लिए पंजाब में बड़ी जिम्मेदारी देने का वचन दिया था। किंतु ऐसा नहीं हो सकता।
हाल ही में कांग्रेस ने चुनाव समिति बनाने के लिए पंजाब के वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं की नाराज़गी दूर करने के लिए अहम स्थान दिया, जबकि इस बार भी सोढ़ी को नजरअंदाज किया गया। अटकलें इस बात की भी लगाई जाने लगी थी कि कैप्टन का खास होने की वजह से सोढ़ी को दरकिनार किया गया।
असल बात आई सामने
बताया जा रहा है कि राणा सोढ़ी हाईकमान ने दो टिकट मांग रहे थे। एक अपने लिए, जबकि दूसरी बेटे या फिर अधिवक्ता बेटी के लिए। किंतु, कांग्रेस को यह बात नागवार लगी। चर्चा, इस बात भी है कि नवजोत सिंह सिद्धू एक परिवार में दो टिकट देने के हक में नहीं थे। उनके मुताबिक, दूसरी सीट किसी काबिल नेता को देने की वकालत कर रहे थे।