एसएनई न्यूज़.चंडीगढ़/ दिल्ली।
नाराज चल रहे नवजोत सिंह सिद्धू को मनाने के लिए क्यों कांग्रेस हाईकमान तथा पंजाब सीएम, पर्यवेक्षक, सिद्धू के गुट के खास मंत्री विधायकों की सेना क्यों उन्हें मनाने के लिए पूरा जोर लगा रही है। ऐसा क्या सिद्धू में खास है, जिसके बिना कांग्रेस की गति नहीं चल सकती है। इन सब सवालों को लेकर पंजाब ही नहीं देश की जनता भारत की सबसे पुरानी राष्ट्रीय पार्टी से जवाब मांग रही है। इतना ही नहीं दो दिन से कांग्रेस की बड़ी सेना सिद्धू के पटियाला आवास से लेकर चंडीगढ़ तक बैठक कर इसका समाधान निकालने में जुट चुकी है।
सूत्रों से मिली खबर मुताबिक सीएम चरनजीत सिंह ने सिद्धू के 18 सूत्रीय फॉर्मूले की शर्त को लेकर 4 अक्टूबर को चंडीगढ़ में मंत्रिमंडल की बैठक बुला दी है।
इस पूरे राजनीतिक घटनाक्रम की तस्वीरें, उस समय कुछ बयां करने लगी, जब नवजोत सिंह को महसूस होने लगा कि कैसे दिल्ली हाईकमान ने उनकी बातों को नजरअंदाज करते हुए पंजाब के पुलिस महानिदेशक इकबाल सिंह सहोता, एजी अमरप्रीत सिंह देओल को बना दिया। क्योंकि सिद्धू साफ कर चुके है कि डीजीपी बादलों के खास है तथा उन्हें रेत माफिया कार्य में माफ कर चुके है, जबकि एजी कोटकपूरा गोलीकांड के गुनहगारों को बचाने के लिए उनकी तरफ से केस लड़ रहे है।
सिद्धू के मुताबिक , ऐसा होने से पंजाब में कांग्रेस को आगामी चुनाव में मुंह की खानी पड़ सकती है। वीरवार को सिद्धू के पटियाला आवास में पंजाब के सरकार में मंत्री (सिद्धू के बेहद करीबियों) की लंबी कतार पहुंची। इन सबका एक मकसद था कि सिद्धू को पाजी को किस प्रकार मनाया जाए, किस प्रकार से इस घटनाक्रम को विराम लगाया जा सके। मंत्री परगट सिंह, मंत्री राजा वडिंग , नागरा, लाल सिंह जैसे सीनियर नेता सिद्धू के आवास पहुंच कर उन्हें मनाने के लिए पूरी कोशिश करते है।
इतना ही नहीं इस बीच सिद्धू ने समझाने वाली टीम को गच्चा देते हुए ट्विटर पर नव-नियुक्त पुलिस महानिदेशक इकबाल सिंह सहोता के खिलाफ चंद लाइनें लिखकर अपनी पूरी भड़ास निकाल दी। अब जहां पर हाईकमान सिद्धू को समझाने की कोशिश कर रही थी। उसी बीच हाईकमान द्वारा अपना फैसला बदल लेने की खबरें आने लगी।