आवाज उठाने वाली कलम अब धीरे-धीरे खामोश होती जा रही है। इसके पीछे बड़ी वजह मीडिया के बड़े-बड़े घराने पैसे के समक्ष झुक चुके है। अब सिर्फ तो सिर्फ बुराई को ही पीरो कर दिखाना मीडिया घरानों का पेशा बन चुका है। कुछ चैनल मीडिया की आड़ में गलत काम करने लग पड़े है। ताजा उदाहरण पंजाबी क्षेत्र में अपना नंबर 1 चैनल का दावा करने वालों पर ही संगीन आरोप लग गए। इतना ही नहीं, यह आरोप इस प्रकार के है, जिसे बताते हुए ही शर्म से कलम झुक जाती है। महिलाओं का सैक्स रैकेट चलाना, अश्लील हरकते करना, रसूखदार लोगों को लड़कियां सप्लाई करने जैसे कथित अपराध के तहत निदेशक से लेकर निर्माता तक के खिलाफ थाना में मामला दर्ज हो चुका है।
सबसे बड़ी शर्म की बात तब सामने आती है कि इस चैनल के समर्थन में बड़े-बड़े मीडिया घरानों ने अपनी एकजुटता का परिचय देते हुए उसकी काली करतूतों की खबर तक नहीं प्रकाशित नहीं की। सिर्फ एक मीडिया घराने ने सच्चाई को सामने लाकर, इस बात का परिचय दे दिया अभी तक कलम की सच्चाई जिंदा है। मीडिया एक ऐसा शब्द है जिसका काम है, समाज में सुधार लाना। समाज में बुराई के खिलाफ आवाज उठाना। मगर, वर्तमान की परिस्थितियां बिल्कुल प्रतिकूल हो चुकी है। अब मीडिया पैसे के समक्ष बिक चुका है। पैसे ने इतना अंधा कर दिया है कि उसे तो बुराई ही सच लगने लग पड़ी है। उस बुराई को अपने अखबार में सच्चाई की भांति सजा कर पिरोता है। अपने चैनल तथा अखबार की टीआरपी बढ़ाने में कई प्रकार के गलत रास्ते का प्रयोग करने से भी नहीं पीछे हटना, इस बात की ओर साफ संकेत मिलता है कि अब सच्चाई मीडिया की नजर में मजाक बन कर रह गई है। उस सच्चाई को दबा देना है कि उनका मकसद बन चुका है। लोगों का विश्वास अब इन बड़े चैनल तथा अखबारों से धीरे-धीरे कम होता जा रहा है। क्योंकि, यह पाठक समझदार हो चुका है कि अखबार की पन्ने की सच्चाई अब नहीं रही। सिर्फ तो सिर्फ अखबार-चैनल का जिस तरफ कोई फायदा नजर आता है, उसे ही प्रकाशित-प्रसारित करना लक्ष्य बन चुका है। इसलिए, बड़ा कारण है लोग अब सोशल मीडिया को ही सच मानकर चलते है तथा उसे देखने में भी दिलचस्पी दिखाते है। चाहे वह सच या फिर झूठ है।
एक समय था अखबार तथा चैनल में प्रकाशित-प्रसारित खबर को काफी रुचि के साथ लोग देखते थे। खबर पर भरोसा करते थे। अपनी नजरे अखबार तथा चैनल पर टका कर बैठ जाते थे। उनके मन में एक विश्वास था कि दुनिया के समक्ष सच्चाई आ रही है। लेकिन वर्तमान में चैनल-अखबार के दायरों ने पैसे की लालसा ने लोगों के प्रति विश्वास खो दिया है।
बड़ी शर्म से सिर तब झुक जाता है जब कुछ लोग चैनल की आड़ में इंसानियत के दरिंदे हैवानियत का रूप धारण कर मासूम लड़कियों के साथ अपनी भूख मिटाने के लिए गलत हरकत करने से भी नहीं जरा सा खौफ करते। एक चैनल का ताजा ही उदाहरण सामने आया है। जिसकी हरकतों से पीड़ित एक लड़की ने समाज के समक्ष आवाज उठाकर अदालत की मदद से इन कथित अपराधियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई कराई है। इस चैनल के काले चिट्ठे चैनल-अखबारों में प्रसारित-प्रकाशित तक नहीं किया गया। शायद, उक्त चैनल ने सभी को पैसा देकर उनकी बोलती बंद करा दी। इस बात का प्रमाण तो दे दिया है कि बड़े मीडिया घराने पैसे के लालची है। सच्चाई को छुपा कर चैनल के अपराधी निदेशक से लेकर सभी का साथ दे रहे है। अगर, इस बात को गंभीरता से नहीं लिया गया तो आने वाले समय में इसका असर प्रतिकुल पड़ सकता है। सच्चाई हमेशा के लिए दब जाएगी। इसकी असल वजह पैसे के समक्ष झुकने वाली मीडिया ही होगी।