गिरी राजनीति पर उतरे प्रत्याशी….जीत की राह आसान करने के लिए वोटरों को शराब-ड्रग्स-पैसे से लुभा रहें 

शायद ही किसी ने इस बात का अंदाजा लगाया होगा कि इस बार निगम चुनाव का स्तर इस कदर गिर सकता है कि प्रत्याशी अपनी जीत की राह को आसान करने के लिए शराब-ड्रग्स-पैसे से वोटर को लुभाने का सहारा लेगें। खासकर, सत्ता की कमान (आप) उस पार्टी के हाथ हों जो हमेशा ही मंच पर ईमानदारी, बेबाक का दावा करती आई हैं। अब उसके शासनकाल में यह सब कुछ देखने को मिल रहा है। चर्चा का विषय है कि निगम चुनाव में आप के सबसे अधिक प्रत्याशी ही इन तीन मापदंड को इस्तेमाल कर अपनी जीत की राह को आसान बनाने के लिए हर संभव प्रयास करते हुए दिखाई दे रहे है। ऐसा नहीं कि आप पर ही उंगली उठ रही है, इस खेल में अन्य पार्टियों के कई प्रत्याशी भी शामिल है। खैर, यह तो चुनाव में चला आया है और चलता ही रहेगा। लेकिन, ईमानदार पार्टी एवं सरकार का दावा करने वाली आप को एक बात को समझना होगा कि यह जो बीज उनके द्वारा बोया जा रहा है भविष्य की राजनीतिक राह में उनके लिए कांटे का काम कर सकता है। क्योंकि, वोटर इतना समझदार हो चुका है कि वह हर तरफ कान-आंख खोलकर देख रहा होता है। मतदान के समय वह चुप करके सबक सिखाने में भी पीछे नहीं हटता है। ऐसा कई बार पंजाब की सत्ता में देखने को मिल चुका है। जो कभी हार को देखने का भी अपने जहन में नहीं सोचते थे, उनकी सत्ता की डोर को पंजाब की जनता ने खींच लिया। उन्हें अब पता भी लग चुका है कि पंजाब की जनता को बिल्कुल हल्के में नहीं लेना है, इसलिए अब वो लोग छोटे चुनाव में अपनी पार्टी की मजबूत स्थिति कायम करने के लिए उन्हें हर प्रकार से खुश करने का हरसंभव प्रयास कर रहे हैं। 

पंजाब में जड़ से नशा समाप्त करने के लिए आम आदमी पार्टी (आप) पंजाब की सत्ता में बहुत बड़ी जीत साथ आई। जीत का सुनामी लहर देखकर दिल्ली से लेकर पंजाब के नेताओं ने कभी इस बात को सोचा ही नहीं था कि वे कभी पंजाब की सत्ता में इतनी बड़ी जीत के अंतर के साथ आएंगे। चुनाव से पूर्व सीएम से लेकर कई मंत्रियों तथा उनके विधायकों ने पंजाब की भोली भाली जनता को कई झूठे स्वप्न दिखाए। जनता ने भी समझा कि एक बार इनको पंजाब की सत्ता की बागडोर का अवसर देना चाहिए। शायद अन्य पार्टियों से अच्छी सरकार बनकर उनके साथ किए एक-एक वादे को पूरा कर देंगी। लेकिन, सत्ता क्या आप ने संभाली, यह सीएम से लेकर मंत्री, विधायकों के तो हाव भाव ही बदल गए। इस समय पंजाब की जनता अपने आपको ठगा हुआ महसूस कर रही है। वह मन ही मन यह सोच रही है कि उनसे आप को वोट देकर बड़ी भूल हो गई। पंजाब की परिस्थितियां, इस समय इतनी बदल चुकी है कि लगता नहीं यह पहले वाला रंगला पंजाब है। हर तरफ अपराध, नशा का ही बोल बोला है। सुनने में आया है कि आप के ही कुछ चेहरे ड्रग्स माफिया को चला रहे है। उन्हें पीछे से पूरा सहयोग मिल रहा है। इसलिए, वह लोग पकड़े ही नहीं जाते है। पूरी तरह से पंजाब की जनता की आंखों में धूल झोंकी जा रही है। लेकिन, पंजाब की जनता को सब समझ है कि प्रदेश में क्या हो रहा है, इसलिए, उन्होंने भी प्यार से आप को इस बार के चुनाव में सबक सिखाने का मास्टर प्लान बना लिया है। 

उधर, अटकलों का बाजार गर्म है कि पंजाब में होने वाले निगम चुनाव में खड़े आप प्रत्याशियों के हाव भाव ही बदल चुका है। भीतर ही भीतर वे लोग अपनी जीत को मान चुके है। इसलिए प्रचार की अधिकतम कैंपेन इनके समर्थकों द्वारा ही की गई। इन चम्मचों ने भी अपने-अपने प्रत्याशियों को इस बार खूब लूटा भी तथा शराब, नशा पैसा भी उनके जेब से निकलवाया। रात-रात भर उनकी हुल्लड़बाजी पार्टियां जनता के बीच खूब चर्चा का विषय बना रहा। एक पहलू यह भी दिलचस्प रहा कि इस बार पुलिस ने इन प्रत्याशियों (खासकर आप) की कमान को खूब ढीला कर दिया। कानून की उन्होंने धज्जियां उड़ाई, मगर पीछे से पुलिस ने अपना चेहरा ही छिपा लिया। सवाल उठता है कि किसी का नहीं लिहाज करने वाली आम आदमी पार्टी का चेहरा इस बार चुनाव में क्यों अलग दिखा। या फिर यहां पर एक उदाहरण एकदम सटीक बैठती है कि हाथी के दांत दिखाने के और, खाने के कुछ और। नजदीक आ चुकी मतदान की तारीख ही अब प्रत्याशी की जीत-हार का फैसला करेंगी। इस बार वोटरों का मूड आप को सबक सिखाने की तरफ इशारा कर रहा है। क्योंकि, जितने वादे थे, वे सबको एक-एक करके सत्ताधारी पार्टी ने चूर कर दिया। शायद , आप ने इस जनता को काफी हल्के में ले लिया, इसलिए, उन्हें स्वप्न में अपनी जीत ही दिखाई दे रही है। 

आप का दिलचस्प पहलू यह भी रहा है कि उनका एक विधायक (पूर्व आईपीएस, कुंवर विजय प्रताप सिंह) ने तो अपनी पार्टी प्रत्याशियों के खिलाफ ही खुद के चेहतों को निर्दलीय तौर पर खड़ा कर दिया। सुनने में आ रहा है नेता जी को आप की धोखेबाजी नीति की चाल दिख रही है, इसलिए उन्होंने पार्टी के खिलाफ जाकर इतना बड़ा फैसला लिया। वह तो अब साफ तौर पार्टी के खिलाफ कह रहे है कि अगर आज चुनाव (विस) हो जाए तो पार्टी के सभी नेता बुरी तरह से हार जाएंगे। खैर, यह तो उनके द्वारा कयास लगाया जा रहा है। किसी भी परिणाम तक पहुंचने से पहले बड़ा कुछ हो जाता है जो शायद किसी ने भी सोचा भी न हों। खैर नेता जी की नाराज़गी को हर कोई ठीक भी मान रहा है, क्योंकि, नेता जी ने जिस तरह से आप का झाड़ू थमा था तो उन्होंने यह बात सोची थी कि वह सत्ता में आकर नशा के कारोबार तथा गैंगवार को खत्म कर देंगे। मगर जीत के उपरांत उन्हें पार्टी ने कोई मंत्री पद ही नहीं दिया। फिर क्या था नेता जी ने पार्टी के खिलाफ खुलकर बयान देना आरंभ कर दिया। सुनने में आया है कि पार्टी शायद उनके खिलाफ चुनाव के बाद अनुशासनात्मक कार्रवाई भी कर सकती है। उधर, नेता जी की सोच पार्टी से 2 कदम आगे है, पार्टी की कार्रवाई से पहले ही वह किसी अन्य पार्टी में छलांग लगा सकते है। 

प्रधान संपादक…..विनय कोछड़ (एनएनई न्यूज़)।  

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