भले ही झाड़ू निगम चुनाव में एक दम बिखर चुका है, लेकिन, पार्टी ने अभी तक अपनी हार को मंजूर नहीं किया। इसके लिए गठजोड़ की नीति पर जोर देना आरंभ कर दिया। शायद, उसे लगता है कि अब भी पार्टी 5 निगम क्षेत्र में अपने मेयर बना सकती है। लेकिन, इस बार चर्चा इस बात की भी छिड़ चुकी है हार के लिए उनकी ही पार्टी का माझे से एक बड़ा नेता जिम्मेदार है। लेकिन, सीएम साहब का बेहद खास होने की वजह से संगठन से लेकर मंत्री तक उसके खिलाफ उंगली खड़ी करने की हिम्मत नहीं दिखा रहा है। वह चुप रहना ही बेहतर विकल्प समझ रहे है। लेकिन, हार को लेकर पार्टी संगठन तथा मंत्रिमंडल में इस बात का मंथन भी आरंभ हो चुका है। ऐसी खबर सुन कर माझा वाले नेता अपना आप खो चुके है, तथा गुस्सा संगठन से लेकर बड़े नेताओं के खिलाफ उतार रहे हैं। शांत करने के लिए नेता जी को सीएम ने फोन कर डांट फटकार लगाई तो फिर जाकर उनका गुस्सा शांत हुआ। अफवाह तो इस बात की भी चल रही है कि सवा छह फीट ऊंचे नेता जी ने आधे से ज्यादा प्रत्याशियों को पैसे देकर टिकट आवंटित की। चाहे वो प्रत्याशी अपराधिक छवि वाले थे। लेकिन, नेता जी को इस बात से कोई लेना देना नहीं था। क्योंकि, हर-हरे नोट से नेता जी की जेब को इतना गर्म कर दिया कि वह एक समय के निर्देश को ही भूल गए। सिर्फ तो सिर्फ अपने निर्देश मानकर काम करने में जुट गए। ऐसा नहीं है कि इस का कोई विरोध नहीं कर रहा है, सुनने में आया है कि विधायक पद का नेता जो कि पहले से ही पार्टी की नीतियों के खिलाफ चल रहा है, उसने तो संगठन से लेकर दिल्ली दरबार तक इस उंचे कद वाले नेता के खिलाफ सबूतों के साथ भूल खोली थी। लेकिन लगता नहीं है कि उन्हें ईमानदार नेता की बात को गौर करना बेहतर समझा, इसलिए अमृतसर जैसे शहर में आप को बुरी तरह से हार का मुंह देखना पड़ा।
चर्चा इस बात की छिड़ चुकी है कि इस जिम्मेदार नेता ने तो पार्टी के नियमों के खिलाफ जाकर पार्टी के कई प्रत्याशियों को हराने के लिए विपक्षी प्रत्याशियों के साथ हाथ मिलाया। उन्हें उल्टा वह नेता पैसे देकर आया कि इन-इन प्रत्याशियों को किसी न किसी प्रकार से हराना है, इसके लिए नेता जी ने विपक्षी प्रत्याशियों की हर प्रकार से मदद की। चर्चा, इस बात की भी चल रही है कि उक्त नेता अपने प्रत्याशियों की चुनाव में हवा बनाने के लिए उनके कहने के बावजूद नहीं आए। इतना ही नहीं, उनके फोन को ब्लैक लिस्ट में डाल दिया गया। नाराज प्रत्याशियों ने तो पंजाब प्रमुख से लेकर सीएम तक इस बात की शिकायत भेजी। लेकिन, चुनावी माहौल देखते हुए इस मुद्दे को रोक ही लेना पार्टी की नीति थी। अब फायदा क्या हुआ माझा जैसे क्षेत्र से पार्टी को करारी हार का मुंह देखना पड़ा।
पता चला है कि ऊंचे कद वाले नेता की शिकायत को पंजाब प्रमुख ने साफतौर पर नजरअंदाज करते हुए उल्टा ही शिकायत करने वालों की क्लास लगा दी। दिल्ली में बैठे लाला जी को अब इस बात की चिंता सताने लग पड़ी है कि आने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव में लोगों का रुझान किस तरफ जाता है। पिछले 3 चुनाव में चाहे लाला जी की पार्टी ने दिल्ली में जीत हासिल की। लेकिन, इस बार वहां पर उनकी पार्टी की हवा रुख कुछ दिशा की तरफ जा रहा है। मतदाता अपने संवाद में कुछ अलग चखना चाहते है। वह यह मानकर चल रहे है कि इस बार किसी अन्य पार्टी को अवसर दिया जाए, क्योंकि वे लोग आप की घिसी पीटी बातों तथा वादों से तंग आ चुके है। भविष्यवाणी तो इस बात की भी हो रही है कि लाला जी की पार्टी ने जितने वादे किए, उनमें प्रमुख वादों को तो पार्टी ने दरकिनार ही कर दिया। अब मतदाता का नया लॉलीपॉप का टेस्ट लेने में बिल्कुल ही नहीं दिलचस्पी है। इसलिए अन्य विपक्षी पार्टियों ने पूर्व में ही आप की हवा को खराब करने के लिए अपना दमखम लगा दिया है। मतदाता तक पहुंच अब से ही शुरु हो चुकी है। ऊपर से मतदाता इस बार दिलचस्प खेल में पूरा पूरा मज़ा लेने के लिए तैयार बैठे है। फिलहाल, चुनाव आयोग ने चुनाव की तारीख तो नहीं घोषित की। लेकिन, पहले से ही चुनावी माहौल बनता साफतौर पर दिखाई देने लगा है।
राजनीति से जुड़े विशेषज्ञ, आप की हार को लेकर भविष्य़ की राजनीति को लेकर अच्छा संकेत नहीं मान रहे है। उनके मुताबिक, आप की साख इस चुनाव में काफी धूमिल हुई। चाहे है तो छोटे चुनाव थे, लेकिन मतदाता ने उन्हें वोट की चोट से एक गहरा जख्म देकर, इस बात का अहसास करवा दिया कि अगर आप सही ढंग से उनके साथ नहीं चलते है तो वे लोग राजनीति में बड़ा उलटफेर करने में जरा समय भी नहीं लगने देंगे। खैर बात एक माझा के ऊंचे कद वाले नेता की हो रही है, उस तरफ पार्टी का कितना ध्यान गया है या फिर उसके खिलाफ कोई बड़ा एक्शन लेने का पार्टी सोच रही है या नहीं। यह तो आप को अभी से ही सोचने के लिए मजबूर होना होगा। अन्यथा वर्ष 2017 के चुनाव में आप के दोबारा सत्ता में आने का सपना टूट सकता है। संगठन के कुछ नेताओं की एक सुर में आवाज दिल्ली दरबार में इस बात को लेकर जा रही है, कि पार्टी इस बड़े नेता का कोई हल निकालें। हार के लिए अब कार्रवाई करने की आवाज उठने लगी है। भविष्य़ में पार्टी अपने अन्य नेताओं की पुकार को किस हद तक सोचता है, यह तो आने वाले समय में ही तय हो जाएगा। फिलहाल, आप के इस नेता की गड़बड़ी ने पार्टी का संतुल्न एकदम हिलाकर रख दिया है। आखिर, प्रदेश के सीएम का लाडला है।
प्रधान संपादक—-विनय कोछड़ (एसएनई न्यूज़)।