….नाखुश शहीदों के परिजन सरकार से….आरोप सौंदर्यीकरण की आड़ में शहीदों से जुड़ी निशानियों से छेड़छाड़ की

केंद्र सरकार का तर्क- 20 करोड़ रुपये खर्च कर दिया नया रूप 


एसएनई न्यूज़.चंडीगढ़/अमृतसर।

13 अप्रैल 1919 शायद ही विश्व का कोई देश इस दिन को भूल सकें। क्योंकि इसी दिन अमृतसर के जलियांवाला बाग में अंग्रेजों के शासनकाल में सबसे क्रूर अधिकारी जनरल डायर ने सैकड़ों की संख्या में बैसाखी वाले दिन इकट्ठा हुए निहत्थे लोगों को गोलियों से भून डाला था।  देश की स्वतंत्रता उपरांत अब जाकर अमृतसर के जलियांवाला बाग में नवीनीकरण का काम समाप्त हुआ। किंतु, इस नवीनीकरण कार्य को लेकर शहीद परिवार वाले भारतीय सरकार से खफा है। 


  उनका आरोप है कि सौंदर्यीकरण की आड़ में शहीदों से जुड़ी निशानियों से छेड़छाड़ की गई है। शहीद उधम सिंह के बुत को भी बदल दिया गया है, वहीं जिस संकरी गली से जनरल डायर ने बाग के अंदर दाखिल होकर निहत्थे लोगों पर गोलियां चलाईं थीं, उस गली को भी अब गैलरी बना दिया है। 


 बताते चलें कि 13 अप्रैल 1919 को हुए इस गोलीकांड में एक हजार से ज्यादा लोग शहीद हुए थे, जिनमें छह साल के बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक शामिल थे। जलियांवाला बाग गोलीकांड के 100 वर्ष पूरे होने पर केंद्र सरकार ने 20 करोड़ रुपये खर्च कर इसे नया रूप दिया है। लेकिन, इससे भावनात्मक रूप से जुड़े लोगों को यह बदलाव रास नहीं आ रहा है। एसएनई न्यूज़ से बातचीत में उन्होंने बताया कि पहले उधम सिंह का बुत यहां पिस्तौल हाथ में लिए हुए था, जिसे नवीनीकरण में अब हाथ फैलाते हुए कर दिया गया है। 

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