पत्रकारों के खिलाफ फर्जी एफआईआर का मामला प्रधानमंत्री कार्यालय पहुंचा….आईजी बार्डर जोन ने एसएसपी बटाला को दिए जांच के आदेश

बटाला पुलिस की झूठी एफआईआर को लेकर भारत की कई यूनियनों ने की निंदा की, समर्थन में उतरे ……चेतावनी, अगर पर्चा रद्द नहीं किया तो होगा कड़ा संघर्ष 

एसएनई नेटवर्क.चंडीगढ़।

पिछले दिनों जिला बटाला पुलिस द्वारा पत्रकारों के खिलाफ राजनीतिक दबाव में आकर थाना सिटी में झूठा मामला दर्ज कर लिया गया था। उक्त मामला , अब प्रधानमंत्री कार्यालय पहुंचा गया। आईजी बार्डर जोन ने एसएसपी बटाला को निष्पक्ष जांच के आदेश जारी कर दिए। उधर, फर्जी मामले को लेकर देश की कई पत्रकार यूनियन ने निंदा की तथा बटाला पुलिस को चेतावनी दी कि अगर जल्द पर्चा रद्द नहीं किया तो पूरे देश में संघर्ष का बिगुल बजाया जाएगा। बताया जा रहा है कि बटाला पुलिस ने राजनीतिक दबाव में आकर पर्चा दर्ज किया गया। पर्चे में सारी कहानी फर्जी दिखाई गई। 

दरअसल, एसएनई न्यूज ने पिछले दिनों एक सच्ची खबर को प्रकाशित किया था। उसी खबर को आधार बनाकर देश की सबसे बड़े मीडिया घरानों ने अपने-अपने पात्रिका एवं चैनल में चलाया। इस मामले को लेकर एक नामचीन डॉक्टर ने पूर्व में एक फर्जी शिकायत एसएसपी कार्यालय को दी। जांच थाना सिटी के पास पहुंची। आरोप लगे है कि डाक्टर ने इस मामले में पुलिस को मोटी रिश्वत तक दी कि मामला दर्ज किया जाए। 

पुलिस ने पत्रकारों को थाना में दबाव डालकर बुलाया। उनसे दुर्व्यवहार किया। तत्कालीन एसएसपी ने उक्त मामले संबंध में आश्वासन तो दिया कि निष्पक्ष जांच होगी। जबकि, सच्चाई तो यह है कि उक्त मामले में बटाला कि पुलिस ने फर्जी एफआईआर दर्ज करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इतना ही नहीं तत्कालीन एसएसपी तथा एसपी (डी) ने डाक्टर तथा राजनीतिक आकाओं को खुश करने के लिए तबादला होने से पहले फर्जी मामला दर्ज करने के आदेश जारी कर गए। 

यह पुलिस अधिकारी है सवालों के घेरे में

तत्कालीन एसएसपी, तत्कालीन एसपी (डी), डीएसपी सिटी, तत्कालीन एसएचओ, केस संबंधित जांच अधिकारी, सवालों के घेरे में हैं। इन पर सवाल खड़े होते है कि किस आधार पर मामला दर्ज किया गया। कोई प्रमाण था , उनके पास या फिर झूठी एफआईआर ही दर्ज कर दी गई। किन-किन राजनीतिक लोगों के कहने पर यह मामला दर्ज हुआ, यह सब जांच का विषय हैं। इनकी जांच तह तक होनी चाहिए। जिन-जिन पर आरोप साबित होते है, उनके नाम सार्वजनिक कर, उनके खिलाफ कानून के मुताबिक कार्रवाई होनी चाहिए। 

पत्रकार की कलम पर बड़ा हमला

वैश्विक तौर पर पत्रकार चौथा स्तंभ माना जाता हैं। दुनिया के सामने सच्चाई सामने लाने का उसके पास अधिकार हैं। लेकिन, जिस प्रकार से बटाला पुलिस ने पत्रकारों के खिलाफ झूठी एफआईआर दर्ज की है , उस मामले में एक बात साबित हो जाती है कि उन्हें पुलिस द्वारा झूठा फंसाया गया। 

वरिष्ठ श्रेणी को घसीटा जानबूझकर

इस केस को लेकर वरिष्ठ श्रेणी को जानबूझकर घसीटा गया। जिनका, इस केस  को लेकर दूर-दूर तक कोई लेना देना नहीं हैं। पुलिस ने किस वजह से उनका , इस केस में नाम धकेला । 

पंजाब से लेकर देश की अन्य हिस्सों से पत्रकारों ने दिया समर्थन

इस मामले ने काफी तूल पकड़ लिया हैं। पंजाब से लेकर देश के कई अन्य हिस्सों से पत्रकार यूनियनों ने इस फर्जी एफआईआर के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित किया। उन्होंने बटाला पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने चेतावनी देते कहा कि अगर जल्द पर्चा रद्द नहीं किया तो बड़ा संघर्ष किया जाएगा। 

आईजी से मुलाकात करने पहुंचा शीर्ष पत्रकार दल

इस मामले को लेकर सोमवार को आईजी बॉर्डर जोन सुरमीत चावला से  मुलाकात करने पहुंचा। इस में देश के जाने माने पत्रकार रमेश शुकल सफर, पंजाब के क्राइम रिपोर्टर नवीन राजपूत, वरिष्ठ पत्रकार कुमार सोनी, पत्रकार गुरविंदर माहल, पत्रकार कुलदीप सिंह, पत्रकार हरदीप रंधावा, पत्रकार राजिंदर सिंह, पत्रकार तरुण शर्मा, पत्रकार मलकीत सिंह, आईबीएन 7 मुख्य संपादक पंकज बोबी सहित कई पत्रकार उपस्थित हुए। 

निष्पक्ष जांच होगी

आईजी बॉर्डर जोन सुरमीत चावला ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए पत्रकारों के शिष्टमंडल को आश्वासन दिया कि मामले की तह तक जांच पड़ताल होगी। मामले में जिनके खिलाफ आरोप साबित होगे , उनके खिलाफ कानून के मुताबिक कार्रवाई की जाएगी। 

100% LikesVS
0% Dislikes