प्रधान राजा वडिंग के खिलाफ हुए कांग्रेसी….सिद्धू के बेहद करीब नेता धीमान-दत्ती ने भ्रष्टाचारी तथा ड्रग्स के पैसे लेनदेन की संलिप्तता के लगाए संगीन आरोप

एसएनई नेटवर्क.चंडीगढ़।

एक दिन पहले पूर्व राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी के बेहद करीबी नेता राजा वडिंग को पंजाब कांग्रेस समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया, लेकिन दूसरे दिन कांग्रेस के शीर्ष नेता राजा वडिंग के खिलाफ हो गए। इनमें पूर्व पीपीसीसी अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के बेहद करीब नेता सुरजीत धीमान तथा पूर्व विधायक सुनील दत्ती ने राजा वडिंग पर संगीन आरोप लगाते कहा कि वडिंग पर भ्रष्टाचार तथा ड्रग्स के पैसे-लेने में संलिप्तता रही है। प्रदेश अध्यक्ष की कमान सिद्धू के हाथ ही सही थी। वह एक नंबर के ईमानदार तथा अच्छा कार्य करने में सक्षम है। हाईकमान को सिद्धू को समय देना चाहिए था। लेकिन , यह उन्होंने बिल्कुल नहीं किया। पता चला है कि सिद्धू के आवास पर पंजाब के शीर्ष नेता हाईकमान के फैसले के खिलाफ इकट्ठा भी हो रहे है। जबकि, सिद्धू से करीब सूत्रों से पता चला है कि यह रूटीन के मुलाकात करने के लिए सिद्धू आवास पर पहुंचे है।

पंजाब विधानसभा चुनाव-2022 को लेकर राज्य में कांग्रेस को बुरी तरह से पराजय का मुंह देखना पड़ा। राष्ट्रीय कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर सिद्धू का इस्तीफा मंगावा लिया। पूर्व में सिद्धू ने हार की जिम्मेदारी नहीं लेते हुए इस्तीफा नहीं दिया। दबाव बढ़ने के उपरांत इस्तीफा हाईकमान को सिद्धू ने भेज दिया। अब पिछले समय से सिद्धू पंजाब के शीर्ष नेताओं के साथ बैठक कर पंजाब में अध्यक्ष पद पर बैठने की मंशा जताई। लेकिन, राहुल गांधी ने तीन बार के विधायक तथा पूर्व यूथ कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वडिंग को प्रदेश अध्यक्ष का पद से नवाजा। कांग्रेस ने माना कि आप को चुनौती देने में इससे बेहतर कोई चेहरा नहीं है। 

चूंकि, सिद्धू के बेहद करीब नेताओं ने वडिंग के खिलाफ इस प्रकार की बयानबाजी की है , उससे साफ स्पष्ट हो जाता है कि आने वाले दिनों में कांग्रेस की लड़ाई बढ़ सकती है। इसके लिए अब वडिंग को नई नीति अपनाकर सभी को अपने पक्ष में लेना होगा। फिर जाकर कांग्रेस का अंतर्कलह किसी हद तक निपट सकती है। 

वडिंग के लिए यह रास्ता अपनाना हो सकता है बेहतर

चूंकि, राजा वडिंग पंजाब प्रदेश कांग्रेस समिति के नए अध्यक्ष है। इसके लिए अगर वह सिद्धू के खिलाफ या उनसे दूरी बनाए रखने वाले नेताओं के साथ हाथ मिला लेते है तो वडिंग का कांग्रेस में दबदबा अच्छा हो  सकता है। इसके लिए सबसे पहले उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी तथा माझा के जरनैल कहलाने वाले सुखबिंदर सिंह सुख सरकारिया, सुखजिंदर सिंह रंधावा, तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा ऐसे नेता है, जिनके साथ वर्कर से लेकर आम जनता का वर्चस्व खासा है। इनका सहयोग लेना राजा वडिंग के लिए काफी फायदेमंद हो सकता है। उक्त नेता भी राजा वडिंग के साथ हाथ मिलाने के काफी इच्छुक है। क्योंकि, यहीं नेता कांग्रेस की चुनाव में हार के पीछे सिद्धू ही वजह मानते रहे है। 

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