फर्जी मुठभेड़…32 साल बाद MAJITHA के रहने वाले पीड़ित परिवार को मिला इंसाफ…S.H.O, A.S.I को उम्र कैद

विनय कोछड़.मजीठा/अमृतसर/ मोहाली।

32 साल पुराने एक फर्जी एनकाउंटर मामले में तत्कालीन थानेदार मजीठा पुरुषोत्तम सिंह और एसआई गुरभिंदर सिंह को मोहाली स्थित सीबीआई कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। दोनों दोषियों पर 2 लाख 25 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया है। वहीं, मामले में आरोपी डीएसपी एसएस सिद्धू (रिटायर्ड एसएसपी) और इंस्पेक्टर चमन लाल (रिटायर्ड एसपी) को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया है।


32 साल बाद उन्हें न्याय मिला 


एडवोकेट गुरप्रताप सिंह ने अदालत को बताया कि जब एनकाउंटर हुआ तब चमन लाल सीआईए अमृतसर में इंस्पेक्टर थे और एसएस सिद्धू डीएसपी जिनका इस एनकाउंटर से कोई लेना-देना नहीं था। पंजाब के अमृतसर की मजीठा थाना पुलिस ने इस एनकाउंटर को अंजाम दिया था, जिसमें सीआईए का कोई रोल नहीं था। दोषियों पर लखविंदर सिंह लक्खा उर्फ फोर्ड और फौजी बलदेव सिंह देबा निवासी भैणी बासकरे जिला अमृतसर की हत्या करने व साजिश रचने के आरोप थे। फौजी बलदेव सिंह की जब हत्या हुई उस समय वह फौज से छुट्टी पर आया हुआ था, जबकि लखविंदर सिंह खेती बाड़ी का काम करता था। पीड़ित परिवार ने कहा कि 32 साल बाद उन्हें न्याय मिला है।


…. जो बरी हुए हैं, उन्हें भी सजा मिलनी चाहिए—पीड़ित परिवार


सीबीआई कोर्ट में फैसले के दौरान फौजी बलदेव सिंह की बहन जसविंदर कौर और मृतक लखविंदर सिंह का भाई स्वर्ण सिंह अदालत में मौजूद थे। पीड़ित परिवार ने कहा कि अदालत के फैसले से वह खुश हैं, लेकिन जो बरी हुए हैं, उन्हें भी सजा मिलनी चाहिए थी। वह हाईकोर्ट में इस फैसले के खिलाफ अपील करेंगे। जसविंदर कौर ने कहा कि सेना से छुट्टी पर आए मेरे भाई को घर से उठाकर ले गए, उन्हें कहा कि बलदेव से किसी के घर की पहचान करने के बाद आधे घंटे में उसे छोड़ देंगे। 32 साल हो गए बलदेव घर लौटकर नहीं आया। उन्हें तो लाश भी देखने को नसीब नहीं हुई। जसविंदर ने कहा कि जिस तरह भाई का चेहरा देखने के लिए वह तरस रहे हैं, उसी तरह उनका परिवार भी इन्हें देखने को तरसे। सलाखों के पीछे ही उनकी मौत हो।


16 साल का लखविंदर सिंह था निर्दोष


अमृतसर जिले के भैणी बासकरे के फौजी जवान बलदेव सिंह देवा को जब वह छुट्टी आया हुआ था। पुलिस ने उसे कट्टर आतंकवादी ऐलान कर अपनी अवैध हिरासत में ले लिया था। इसके बाद झूठा पुलिस मुकाबला दिखाकर उसकी हत्या कर दी थी। दूसरा मामला 16 साल के नाबालिग लखविंदर सिंह की हत्या से जुड़ा हुआ था। उसे भी इसी कट्टर आतंकवादी बताकर घर से उठाकर उसकी हत्या कर दी थी। लेकिन इसके बाद उसका कोई सुराग नहीं लग पाया था। काफी समय तक परिवार वाले उनकी तलाश करते रहे। उन्होंने इस मामले में अदालत तक जंग लड़ी।


पुलिस ने बनाई थी झूठी कहानी


पुलिस की कहानी अनुसार मंत्री के बेटे की हत्या 23 जुलाई 1992 को हुई थी। पुलिस स्टेशन छेहरटा की पुलिस ने 12 सितंबर 1992 को मंत्री के बेटे की हत्या के मामले में बलदेव सिंह उर्फ देबा की गिरफ्तारी दिखाई गई थी। पुलिस ने कहानी गढ़ी कि 13 सितंबर 1992 को हथियार व गोला -बारूद की बरामदगी के लिए बलदेव सिंह उर्फ देबा को गांव संसारा के पास ले जाते समय पुलिस पार्टी पर आतंकवादियों ने हमला कर दिया। मुठभेड़ दौरान बलदेव सिंह उर्फ देबा और एक हमलावर को गोली लगने से उनकी हत्या हो गई थी। हमलावर की पहचान बाद में पुलिस ने लखविंदर सिंह उर्फ लक्खा उर्फ फोर्ड के रूप में करवाई थी।


1995 में शुरू हुई सीबीआई जांच


मामले की जांच सीबीआई ने 1995 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर शुरू की थी। सीबीआई की जांच में सामने आया कि बलदेव सिंह देबा को 6 अगस्त 1992 को एसआई महेंद्र सिंह और हरभजन सिंह तत्कालीन एसएचओ छेहरटा थाना के नेतृत्व वाली पुलिस पार्टी ने गांव बासरके भैणी में उसके घर से उठाया था। इसी तरह लखविंदर सिंह उर्फ लक्खा फोर्ड निवासी गांव सुल्तानविंड को भी 12 सितंबर 1992 केा प्रीत नगर अमृतसर में उसके किराए के घर से कुलवंत सिंह नाम एक व्यक्ति के साथ हिरासत में लिया था। इस पुलिस टीम का नेतृत्व एसआई गुरभिंदर सिंह तत्कालीन एसएचओ पुलिस स्टेशन मजीठा ने किया था, लेकिन बाद में कुलवंत सिंह को छोड़ दिया गया था।


..ऐसी खुली थी पुलिस की पोल


जांच के दौरान सीबीआई ने पाया कि पुलिस द्वारा दिखाई गई मुठभेड़ की कथित घटना पर पुलिस वाहनों के दौरे के बारे में लॉग बुक में कोई प्रविष्टि नहीं थी। यहां तक कि पुलिस ने यह भी दिखाया कि मुठभेड़ के दौरान मारे गए अज्ञात हमलावर आतंकवादी की पहचान घायल बलदेव सिंह देबा ने की थी, हालांकि देबा की पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार उसकी तुरंत मृत्यु हो गई थी। सीबीआई जांच सामने आया कि पुलिस स्टेशन छेहरटा की पुलिस ने मंत्री के बेटे की हत्या के मामले में देबा और लक्खा को झूठा फंसाया था। उन्हें अवैध हिरासत में रखा और फिर फर्जी मुठभेड़ में मार दिया गया।

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