मेयर की कुर्सी के लिए खींचतान…’चाचा’ जी को नहीं समझ आ रहा ‘भतीजे’ को समझाइए या फिर रूठों को मनाए…..।

अमृतसर निगम चुनाव के परिणाम आने के बाद एक कहावत शहर की राजनीति गलियारों में खूब चर्चा का विषय बन रही हैं, क्योंकि, चर्चा एक सियासी परिवार के साथ जुड़ रही है। परिवार ने 40 साल के करीब कांग्रेस के साथ जुड़े होने तथा वफादारी का सबूत दिखाते हुए बिखरे हुए पार्टी नेताओं को एक साथ जोड़ने का प्रयास कर रहा है। इसके लिए चाचा जी (पूर्व उपमुख्यमंत्री) ओम प्रकाश सोनी अपने भतीजा (विकास सोनी) को मेयर बनवाने के लिए मैदान में खूब मेहनत कर रहे है। पता चला है कि इस खेल में उनके इतनी कड़ाके की ठंड में भी पसीने छूट रहे है। क्योंकि, चाचा जी को इस बार जीत कर आए कांग्रेसी प्रत्याशी उनके साथ हाथ मिलाना बेहतर विकल्प नहीं समझ रहे है। अफवाह का बाजार गर्म है कि उनके भतीजा विकास सोनी जीत कर आए आधे से ज्यादा प्रत्याशी उन्हें नापसंद करते है। क्योंकि, उनका नेतागिरी अंदाज उनके लिए प्रतिकूल हैं। इसलिए वे सब उन्हें नापसंद करते है। चर्चा, इस बात की भी छिड़ चुकी है कि चाचा जी ने उसे इस समय खामोश रहने के लिए बोल दिया है, क्योंकि, यह सियासी समीकरण कभी भी बिगड़ सकता है। भतीजा, अपने ही नेता की सूची में घमंडी नेता गिना जाता है। वह जल्दी तो किसी का फोन नहीं उठता है। अगर उठाता भी है तो आगे अपने चाचा जी से बात नहीं करवाता है।  यह सब उन नेताओं को इसकी बातें अब नागवार लग रही है। अब गेंद उन नाराज नेताओं के पाले में है जो खेल का समीकरण एकदम बिगाड़ सकते है। खेल की साख बचाने के लिए चाचा जी हर मोर्चे पर उन्हें मनाने के लिए कई प्रकार के सियासी दांव अपना रहे है। चाहे, उसमें उन्हें कुछ भी न क्यों करना पड़े। 

VIKAS SONI SNE NEWS IMAGE

सवाल इस बात का खड़ा हो रहा है। यह रूठे नेता तो बैठकों से दूरी बनाकर रख रहे हैं, इसलिए बैठक बुलाए जाने के बावजूद आधे से ज्यादा रूठा खेमा उपस्थित ही नहीं हुआ। इस तरह से चाचा जी ने जो अपनी रणनीति बनाई थी, वह सब फेल हो गई। ऐसा नहीं है कि चाचा जी राजनीति में किसी से कम है, उन्हें कांग्रेस राजनीति का एक माहिर गिनती है, इसलिए, एक बार वह प्रदेश के उप मुख्यमंत्री भी रह चुके है। लेकिन, चर्चा का बाजार यह कह रहा है कि उस दौरान चाचा जी ने कुछ नहीं किया। सिर्फ किया तो किया अपने परिवार का। शेष को एकदम नजरअंदाज कर दिया गया। उनका नजरअंदाज तरीका ही उनकी हार में तब्दील करने में सबसे बड़ा रास्ता माना गया। चाचा जी तो हार के गम में डूब गए थे। पीछे से भतीजा ने चाचा की राजनीति विरासत को संभाला। तब चाचा जी को लगने लगा कि आने वाले लोगों के प्यारे सोनी यह है। खैर, यह एक प्रकार से उनकी बहुत बड़ी गलतफहमी थी। क्योंकि, नेता जी के जितने करीबी नेता थे। वह सब एक-एक करके चाचा जी से दूर होते गए। वह इस बात से बिल्कुल बेखबर थे। इस बात का तब पता चला जब चाचा के बहुत करीबी ने उनके कान में सारे खेल को विस्तारपूर्वक समझाया। एक समय उनके पैरों तले जमीन आ गई। उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था कि उनका लाडला भतीजा उनके प्रति बड़ा खेल खेल गया। फिर चाचा जी गुस्से में खूब आए। लेकिन, उनकी मोह माया के समक्ष यह सब कुछ फींकी पड़ गई। फिर, चाचा ने सामने बैठा कर भतीजा को समझाया कि इस बार ऐसा नहीं करना है, अगर भविष्य में फिर से इस तरह से करने की भी सोचते हों तो तुम्हारा राजनीतिक करियर एकदम खत्म। 

चर्चा है कि अब भतीजा चाचा जी के नक्शे कदम पर चल रहा है, इसलिए उनकी हर बात को कभी नहीं टालता है, इसलिए, निगम चुनाव में विकास सोनी का कांग्रेस की राजनीति में ऊंचा कद हुआ। लेकिन, फिर कुछ दिनों से उनकी कुछ गलतियों की वजह से चाचा के लिए परेशानियां खड़ा कर रही है। अब उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि वह भतीजे को समझाइए या फिर रुठों को मनाए। 

इस बार कांग्रेस के लिए मेयर बनाना इतना आसान काम नहीं लग रहा है। क्योंकि, उसके अपनों ने ही कांटे बिछा दिए। उस राह की तरफ आगे चलना कांग्रेस के लिए राह इतना आसान नहीं है। कांग्रेस का एक बहुत खेमा कांग्रेस से टूट कर मजबूत पार्टी की तरफ चलने का मास्टर प्लान बना रहा है। उस प्लान को एक बड़े नेता भीतरघात हरी झंडी दिखाने का काम कर दिया। क्योंकि, उन्हें लग रहा है कि अगर उनका मनपसंद नेता नहीं मेयर बन सकता है तो वे लोग कांग्रेस के लिए एक धड़े के साथ क्यों खड़े हों। क्योंकि, इस धड़े के नेता ने पंजाब की राजनीति में कांग्रेस को पिछले समय काफी नीचा कर दिया। कांग्रेस में फूट का काम एक समय इस नेता की बनाई गई रणनीति थी। अब यहीं नेता रूठे हुए कांग्रेसियों को मनाने का जी तोड़ प्रयास कर रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि अब परिवार के एक सदस्य को मेयर बनाने में उसका पूरा-पूरा जोर लग रहा है। कह रहे है कि नेता भतीजा हर धार्मिक स्थल में जाकर मेयर बनवाने के लिए माथा टेकने से भी नहीं पीछे हट रहा है, इसलिए युवा नेता ने तो अभी से अपनी फोन को स्विच ऑफ तथा कट करने का आदेश जारी कर दिया। इस काम को बखूबी तरीके से युवा नेता के चम्मचे तथा पीए दे रहे है। पता इस बात का भी चला है किसी समय उनका आवास समर्थकों से भरा पड़ा रहता था, लेकिन, इस बार कोई रौनक नहीं दिखाई दे रही है। इसलिए, बड़े नेता जी अब कांग्रेस भवन का सहारा ले रहे है। भीतरघात, उन्हें मालूम हो चुका है कि अब हवा उनके पक्ष में नहीं है, इसलिए बेहतर होगा कि यहां पर रौनक है, उस तरफ ही मोड़ कर लेना ठीक रहेगा। 

प्रधान संपादक….विनय कोछड़ (एसएनई न्यूज़)। 

100% LikesVS
0% Dislikes