मोहाली बम धमाका—दो दिन उपरांत भी पुलिस खाली हाथ….कार्यप्रणाली पर खड़े हुए सवाल…घटना को छिपाने के लगे आरोप

एसएनई नेटवर्क.मोहाली.चंडीगढ़।

मोहाली बम हमले के दो दिन बाद भी पंजाब पुलिस खाली हाथ है। ऐसे में अब पुलिस की कार्यप्रणाली पर ही सवाल खड़े होने लगे हैं। राज्य सरकार और पंजाब पुलिस पर घटना को छिपाने के भी आरोप लग रहे हैं। सोमवार शाम करीब 7.30 बजे की घटना को सरकार और पुलिस ने रात 10 बजे तब सार्वजनिक किया, जब केंद्र सरकार के निर्देश पर चंडीगढ़ से पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंचे।


इसके बाद भी राज्य सरकार ने घटना को हमला करार न देते हुए यह साबित करने का प्रयास किया कि इमारत में रखी सामग्री में मामूली विस्फोट हुआ है। बीते दो दिन से राज्य पुलिस हमले के मामले में अनुमानों के आधार पर ही आगे बढ़ रही है। पुलिस के आला अधिकारी दो दिन से एक ही बात दोहरा रहे हैं कि जांच जारी है।


गैंगस्टरों और नशा तस्करों से जोड़ा गया मामला
पहले पहल इस हमले को आतंकी घटना करार दिया गया, उसके बाद इसे सूबे के उन गैंगस्टरों से जोड़ा गया, जिन्हें सीमा पार से हथियारों की सप्लाई होती रही है। इसके अलावा हमले में नशा तस्करों की मिलीभगत के कयास भी लगाए गए, जो पाकिस्तान से ड्रोनों के जरिये आने वाले नशे और हथियारों की खेप हासिल करते रहे हैं। राज्य पुलिस ने इस मामले में करीब 20 संदिग्धों को राउंडअप किया है लेकिन हमलावरों की पहचान अब तक नहीं हो सकी है। हमलावर जिस वाहन में भागे उसकी लोकेशन दप्पर मिली थी, पुलिस उससे आगे नहीं बढ़ सकी है।


तरनतारन से पहले एक को किया गिरफ्तार, फिर बदल गई कहानी
बुधवार को तरनतारन के एक युवक को मोहाली हमले का मुख्य आरोपी बताकर गिरफ्तारी की गई लेकिन कुछ ही देर में उसे किसी अन्य मामले में गिरफ्तार दिखाते हुए अदालत में पेश कर दिया गया। आतंकी हमले के रूप में जहां इसके लिए पाकिस्तान में छिपे हरिंदर सिंह रिंदा का नाम सामने आ रहा था, उस पर भी राज्य पुलिस ने अब चुप्पी साध ली है।
घटना के अगले दिन डीजीपी वीके भावरा ने बयान दिया था कि उन्हें लीड (सुराग) मिल गई है और हमलावर जल्द पकड़े जाएंगे। उन्होंने इस मामले में यह कहते हुए कुछ ओर बताने से इनकार कर दिया था कि बहुत कुछ जांच का हिस्सा है। दूसरी ओर मुख्यमंत्री ने भी आला पुलिस व खुफिया विभाग के अफसरों के साथ बैठक के बाद दावा किया था कि अपराधियों को जल्द पकड़ लिया जाएगा। उसके बाद से अब तक राज्य पुलिस और सरकार चुप हैं।


दोनों एसटीएफ के कामकाज पर उठे सवाल
पंजाब में पिछली सरकार के समय नशा तस्करों पर शिकंजा कसने के लिए एसटीएफ का गठन किया गया था, जबकि अब नई सरकार ने गैंगस्टरों पर लगाम लगाने के लिए एक अन्य एसटीएफ गठित कर दी है लेकिन इन दोनों एसटीएफ की कारगुजारी अब तक शून्य ही साबित हुई है। न तो अब तक कोई बड़ा नशा तस्कर ही पकड़ा गया और न ही गैंगस्टरों की बेखौफ गतिविधियों में कोई कमी ही आई है। जानकारी के अनुसार, मोहाली हमले की जांच में राज्य पुलिस ने उक्त दोनों एसटीएफ को भी शामिल किया है, ताकि हमलावरों के नशे या आतंकवादियों से जुड़े तार खंगाले जा सकें। फिलहाल राज्य पुलिस आधिकारिक तौर पर इस मामले में कुछ भी कहने को तैयार नहीं है।

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