लोकसभा उपचुनाव—-जालंधर लोस सीट शुरू से रही कांग्रेस का गढ़, सत्तारूढ़ आप के लिए बड़ी चुनौती

एसएनई नेटवर्क. जालंधर/चंडीगढ़। 

जालंधर लोकसभा क्षेत्र के तत्कालीन कांग्रेस सांसद चौधरी संतोख सिंह के दुर्भाग्यपूर्ण निधन के ढाई महीने बाद भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई) ने उपचुनाव की घोषणा कर दी। इस लोकसभा सीट पर 10 मई को मतदान होगा।


पंजाब में भगवंत मान के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार के एक साल के कार्यकाल के दौरान यह दूसरा लोकसभा उपचुनाव है। इससे पहले संगरूर लोकसभा सीट पर उपचुनाव हो चुका है। संगरूर सीट, भगवंत मान द्वारा राज्य के मुख्यमंत्री पद की शपथ हासिल करने से दो दिन पहले इस्तीफा दिए जाने से खाली हुई थी।


पारंपरिक रूप से कांग्रेस का गढ़


जालंधर लोकसभा सीट पारंपरिक रूप से कांग्रेस का गढ़ रही है। हालांकि कुछ मौकों पर दूसरी पार्टियों को भी स्थानीय मतदाता आजमा कर देख चुके हैं। पूर्व प्रधानमंत्री इंद्र कुमार गुजराल 1989 और 1998 में जनता दल के टिकट पर यहां से जीते थे वहीं अकाली दल के उम्मीदवार 1977 और 1996 से इस सीट पर जीते हैं। 2008 के बाद यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हो गई और सबसे पहले 2009 में मोहिंदर सिंह केपी ने कांग्रेस के टिकट पर इस आरक्षित सीट से जीत हासिल की। इसके बाद 2014 और 2019 में दो बार संतोख चौधरी जीते। 2019 में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस जोरा सिंह आम आदमी पार्टी (आप) के टिकट पर चुनाव लड़े लेकिन उन्हें कुल वैध वोटों में से केवल 2.5 फीसदी वोट ही मिले और उनकी जमानत राशि जब्त हो गई। हालांकि इससे पहले मई 2014 में आप की ही उम्मीदवार ज्योति मान कुल वैध वोटों में से 24 फीसदी वोट लेकर तीसरे स्थान पर रही थी।


नौ विधानसभा क्षेत्र


जालंधर लोकसभा क्षेत्र के तहत नौ विधानसभा क्षेत्र- फिल्लौर (एससी), नकोदर, शाहकोट, करतारपुर (एससी), जालंधर वेस्ट (एससी), जालंधर सेंट्रल, जालंधर नॉर्थ, जालंधर कैंट और आदमपुर (एससी) शामिल हैं। इनमें से फिल्लौर (एससी), शाहकोट, जालंधर उत्तर, जालंधर कैंट और आदमपुर (एससी) में कांग्रेस ने फरवरी, 2022 के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी जबकि शेष चार सीटों पर आप के उम्मीदवार जीते थे।


फिलहाल कांग्रेस का पलड़ा भारी


दो हफ्ते पहले ही कांग्रेस ने दिवंगत सांसद संतोख चौधरी की पत्नी करमजीत कौर चौधरी को जालंधर उपचुनाव के लिए पार्टी का उम्मीदवार घोषित कर दिया है जबकि सत्तारूढ़ आप, शिअद-बसपा गठबंधन और भाजपा ने अभी अपने उम्मीदवार घोषित नहीं किए हैं। भाजपा इस उपचुनाव में अकेले उतरेगी और उसकी नजर हिंदू वोटों पर है। वहीं शिअद-बसपा का गठबंधन रविदासिया और वाल्मीकि समाज को अपनी जीत का मुख्य आधार मान रहा है, जिसे देखते हुए यह अटकलें भी हैं कि इस सीट पर शिअद अपने उम्मीदवार की जगह बसपा के प्रत्याशी को समर्थन दे सकता है। दूसरी ओर, कांग्रेस का पलड़ा फिलहाल भारी नजर आ रहा है क्योंकि फिल्लौर (एससी) सीट से कांग्रेस के मौजूदा विधायक विक्रमजीत सिंह चौधरी, दिवंगत सांसद संतोख चौधरी के बेटे हैं और मौजूदा कांग्रेस उम्मीदवार करमजीत कौर चौधरी के बेटे हैं। जाहिर है कि वह अपनी माता की जीत के लिए जी तोड़ मेहनत करेंगे, जिसका लाभ कांग्रेस को मिल सकता है।

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