वाह रे, सिद्धू-चन्नी, लखीमपुर किसानों के लिए दरियादिली…पंजाब के किसानों के साथ क्यों बेदर्दी?

10 दिन में पंजाब के 8 किसानों की आत्महत्या के लिए कौन जिम्मेदार ?

पंजाब के मेहरबान सरकार लखीमपुर पीड़ित परिवारों को बांट रही 50-50 लाख, जबकि पंजाब के किसानों हाथ ठनठन गोपाल

पंजाब की आम-जनता से लेकर पूरे देश का अन्नदाता किसान प्रदेश के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी तथा कांग्रेसी नेता नवजोत सिंह सिद्धू से पूछ रहा है कि लखीमपुर पीड़ित किसानों के लिए इतनी दरियादिली क्यों दिखाई जा रही है , जबकि यहां के किसानों को सिरे से नजरअंदाज किया जा रहा है? कपास पट्टी में गुलाबी सुंडी के नुकसान की वजह से 10 दिन के भीतर पंजाब के आठ किसानों ने आत्महत्या कर ली। वक्त और इंसानियत एक सवाल पूछ रही है कि इन मौतों का कौन जिम्मेंदार है। अब तक राज्य सरकार ने इनके लिए क्य़ा किया ?


इतना ही नहीं पंजाब की मेहरबान सरकार ने सरकारी खाता से पिछले दिनों लखीमपुर खीरी में किसानों की मौत हुई, उन परिवारों के प्रति  ढांढस दिखाते हुई पीड़ित परिवारों को पच्चास-पच्चास लाख मुआवजा देने का ऐलान किया। जबकि पंजाब में दस दिन के भीतर आठ किसानों ने आत्महत्या कर ली। पंजाब सरकार ने उन परिवारों के दर्द के बारे जानने के लिए जरा सा भी वक्त नहीं निकाला। अब तो हर कोई यह बात करने लगा की कि कांग्रेस सरकार लखीमपुर तो सिर्फ अपनी राजनीति चमकाने के लिए गई। इस ढोंग में उन्होंने हर प्रकार का किरदार निभाया। 


सिद्धू ने तो हर प्रकार की हदें पार करते हुए यूपी में प्रवेश कर पहले यूपी की आदित्यनाथ सरकार फिर भाजपा की केंद्रीय सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। इतना ही नहीं सिद्धू ने  ठान लिया कि जब तक आरोपी आशीष मिश्रा को यूपी पुलिस गिरफ्तार नहीं कर लेती, तब तक उनका अनशन जारी रहेंगा। 


सिद्धू से लोग सवाल कर रहे है कि इसमें कुछ अन्य लोगों की भी जान गई। क्या सिद्धू ने उनके समर्थन में कुछ क्या। फिर क्या हुआ अगर उनमें मरने वाला भाजपा पार्टी से संबंध रखता है। क्या वो इंसान नहीं था ? क्या उस परिवार के आंसू पोंछने के लिए सिद्धू को जरा सा भी तरस नहीं आया ? या फिर उन्हें अपनी राजनीति को चमकना था। जिसमें वह कामयाब भी हो गए। 


हर पार्टी किसानों के मुद्दे पर कर रही राजनीति

पूरे मामले की तरफ एक बार नजर दौड़ा लें तो उससे एक साफ तस्वीर सामने आती है कि हर राजनीति पार्टी किसानों के मुद्दे को लेकर राजनीति कर रही है।  सत्ता की भूख ने उन्हें इस कदर हैवान बना दिया है कि वे हर प्रकार की गंदी राजनीति करने पर उतर आए है। खासकर, कांग्रेस पार्टी तो अपनी छवि को धूमिल होने से बचाने के लिए हर प्रकार का हथकंडा अपनाने से पीछे नहीं हट रही है। गांधी परिवार तो ड्रामेबाजी करने में तो पूरी-पूरी महारत हासिल कर रखी है। लखीमपुर खीरी प्रकरण में तो प्रियंका गांधी, राहुल गांधी का पीड़ित परिवार के प्रति प्यार, इस बात की ओर इशारा करता है कि अब तो उन्हें यूपी में सिर्फ तो सिर्फ अपनी पार्टी का झंडा बुलंद करना है। 


पंजाब के किसानों के बारे क्यों नहीं सोच रही कांग्रेस सरकार
?

किसानों के प्रति हितैषी सरकार होने का दावा करने वाली कांग्रेस को पंजाब राज्य में क्यों नहीं किसानों का दर्द महसूस हो रहा है। विज्ञापनों में सीएम चन्नी किसानों के साथ अपनी तस्वीरों के होर्डिंग लगाकर किसानों के दर्द को समझने का दावा कर रहे है, जबकि सच्चाई कुछ और बयां करती है। अब जिस प्रकार से पंजाब के किसान आत्महत्या करने के लिए मजबूर हो रहे है, उससे एक बात तो साफ साबित हो जाती है कि चन्नी सरकार किसानों के दुख महसूस करने तथा राहत देने में बिल्कुल विफल रही है।  

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