शराब माफिया की गुंडागर्दी, कौन है जिम्मेदार

शराब माफिया की गुंडागर्दी, नकली शराब बेचने वालों का जाल दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा हैं। माफिया पूरे पंजाब में हथियारों से लैस है, इस बात की खबर शायद प्रशासन से लेकर सरकार को होने के बावजूद खामोश हैं। इनके पास अवैध हथियार भी है, गोली चलाना इनके लिए आम बात हो चुकी हैं। इन सबके पीछे कौन जिम्मेदार है। इन सवालों का जवाब तो सिर्फ मौजूदा आप सरकार के पास ही हैं। जिसने वादा तो शराब माफिया को कुचलने का किया था। लेकिन,काम तो एक नहीं कर पाई। 

इस समय पंजाब की सबसे बड़ी मुश्किल है तो वह शराब माफिया की गुंडागर्दी। नकली शराब भी इस समय पूरे पंजाब में धड़ल्ले से बिक रही हैं। चर्चा, इस बात की भी हैं, इन्हें संरक्षण सरकार के नुमाइंदे दे रहे हैं। पैसों से इनकी जेबें गर्म हो रही हैं। कोई हिसाब तक लेने वाला नहीं हैं। शायद, यह बड़ा कारण है कि शराब माफिया की गुंडागर्दी से लेकर नकली शराब बेचने वालों का कारोबार काफी प्रफुल्लित हो रहा हैं। एक अनुमान के मुताबिक, पंजाब में 70 फीसद नकली शराब बिक रही हैं। बड़ी संख्या में नकली शराब पकड़ने का दावा करने वाला आबकारी विभाग खुद इसके लिए जिम्मेदार हैं।

पंजाब में कुछ समय के भीतर शराब माफिया की गुंडागर्दी ने तो सभी हदें ही पार कर दी। एक नंबर की शराब बेचने कारोबारियों को शराब माफिया ने गुंडागर्दी का सरेआम परिचय देते अपनी गोलीबारी से निशाना बनाया। काफी संख्या में घायल होने के पीछे सरकार तथा प्रशासन को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया गया। कार्रवाई तो सिर्फ नाममात्र हुई। किसी की  गिरफ्तारी नहीं हो पाना पुलिस तंत्र के नाकाम होने का साफतौर पर संकेत हैं। 

चर्चा , इस बात की भी है कि पंजाब में 2 शराब माफिया को वर्तमान की सरकार पीछे से सहयोग दे रही हैं। क्योंकि, उनके पैसों से ही सरकार का दरबार चल रहा हैं। कानून को हाथ में लेकर, घटना को अंजाम देने से भी इनके गुंडे बिल्कुल चूकते नहीं हैं। मालूम हुआ है कि उन्हें बचाने में सरकारी तंत्र तक , उन्हें सहयोग देता हैं। मामले को सिर्फ सुर्खियों में डालकर एकदम शांत कर दिया जाता हैं। लेकिन, एक बात तो साफ है कि इस पूरे प्रकरण में तो आम-जनता को ही नुकसान पहुंचता हैं। 

मामला तो काफी संगीन है, लेकिन सरकार को घेरने में विपक्ष की ताकत काफी फीकी पड़ जाती हैं। मुट्ठी भर विपक्षी विधायक में ज्यादा संख्या तो खामोश रहने वालों की हैं। उन्हें हर समय इस समय का भयं सताता रहता है, कहीं किसी पुराने मामले में सरकार उन्हें फंसा न दें। जोरशोर से आवाज उठाने वाले विधायक तो इस मामले में फिलहाल, चुप्पी साधकर बैठना ही समय की नजाकत समझ रहे हैं।  

शायद मान सरकार को भी इस बात को बिल्कुल ही नहीं भूलना चाहिए कि उनकी सरकार भी जनता के एक-एक मत से बनी हैं। अगर समय  रहते , इस माफिया पर लगाम नहीं लगाया तो भविष्य में सरकार के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी कर सकते हैं। 

प्रधान संपादक विनय कोछड़।

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