शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 का सरेआम उल्लंघन—–जांच-पड़ताल करने वाले अधिकारियों की ‘टीम’ की भूमिका संदेह के घेरे में आई

कैप्शनः रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया पंजाब के संयोजक श्री सतनाम सिंह गिल द्वारा दायर याचिका को दिखाते हुए।   

मान्यता प्राप्त स्कूलों द्वारा लापरवाही — जांच रिपोर्ट तय करेगी स्कूलों का भविष्य : संयोजक गिल

अनिल भंडारी/पवन कुमार/रईया/अमृतसर/चंडीगढ़।

प्रीतकात्मक तस्वीर

ब्लॉक रइया-2 के सभी मान्यता प्राप्त स्कूलों की जांच कर रही ‘टीम’ की भूमिका संदेह के घेरे में आ गई है। निजी स्कूलों द्वारा शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 का उल्लंघन करने वाले स्कूलों की पहचान करने वाले जांचकर्ता चार महीने बाद भी किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाए हैं। यह आरोप शिकायतकर्ता एवं रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के प्रदेश संयोजक सतनाम सिंह गिल ने यहां चुनिंदा पत्रकारों से बात करने के उपरांत लगाए। 

                    उन्होंने कहा कि उनकी शिकायत पर पंजाब राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग (चंडीगढ़) ने जिला शिक्षा अधिकारी प्राथमिक अमृतसर श्री राजेश शर्मा का तबादला ब्लॉक 32 रइया में कर दिया है। मान्यता प्राप्त स्कूलों को निरीक्षण का काम सौंपा गया है। आरोप लगाते कहा कि उक्त शिक्षा अधिकारी और जांच अधिकारी अभी तक स्कूलों की गहन जांच नहीं कर पाए हैं। सरासर गलत तथा जांच-अधिकारी पर सवाल खड़े होते है कि इस पूरे प्रकरण को लेकर सही तथ्य को छुपा कर इसे ठंडे-बस्ते में डाला जा रहा है। बताया कि मान्यता प्राप्त स्कूलों में कमजोर वर्ग के बच्चों को कोटा सीटों पर दाखिले के लिए आयोग का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन जांच अधिकारियों ने आयोग के हस्तक्षेप को भी विफल कर दिया है।   

                  एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि जिला अमृतसर के डिप्टी कमिश्नर सह चेयरमैन एडमिशन मॉनिटरिंग कमेटी, पंजाब स्टेट कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स और पंजाब के मुख्यमंत्री के संज्ञान में यह मामाला लाया गया। जांच-पड़ताल में सच सामने आया कि 25 प्रतिशत कोटे की सीटों को बहाल नहीं करने पर उन्हें राज्य सरकार द्वारा 18 नवंबर 2010 को जारी अधिसूचना का उल्लंघन करना साफतौर पर पाया गया तथा इस पूरे प्रकरण के लिए उन्हें इसका जिम्मेदार पाया गया है।       

            राज्य संयोजक सतनाम सिंह गिल ने कहा कि 21 मार्च 2022 को उन्होंने बाबा बकाला से 32 स्कूलों को नोटिस जारी करने और वर्ष 2010 से चालू वर्ष तक सभी स्कूलों के प्रॉस्पेक्टस और सेल्फ डिक्लेरेशन लेटर का निरीक्षण करने का अनुरोध किया। इसके लिए उन्होंने कुछ नहीं किया, जिस वजह से अभिभावक परेशान हैं। एक जवाब में उन्होंने कहा कि स्कूल कोटे के तहत बच्चों को मुफ्त प्रवेश से वंचित किया जाता है, लेकिन बड़ी शर्म की बात है जांच अधिकारियों द्वारा अधिसूचना को अब तक लागू नहीं किया जा रहा है।                     

उन्होंने कहा कि प्रखंड रइया-2 के जांच अधिकारी दिलबाग सिंह तूर ने अभी तक 32 विद्यालयों के संबंध में अपनी जांच शुरू नहीं की है। काफी शर्मनाक बात है। रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के राज्य संयोजक ने कहा कि उन्होंने अब दूसरे चरण में पंजाब राज्य मानवाधिकार आयोग चंडीगढ़ के अध्यक्ष के पास एक याचिका दायर कर अमृतसर में 92 मान्यता प्राप्त स्कूलों को विशेष जांच ब्यूरो द्वारा निरीक्षण करने के लिए एक याचिका दायर की है।

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