AMRITSAR EXCLUSIVE NEWS–अमृतसरी बासमती की महक विदेश में पहुंची…. ऑर्गेनिक बासमती पैदा करने की योजना पर चौगावां ब्लॉक में काम शुरू

सांकेतिक तस्वीर

एसएनई नेटवर्क.अमृतसर चंडीगढ़।

अंतरराष्ट्रीय बाजार में  पंजाब की बासमती अपना खोया प्रभुत्व फिर से हासिल करेगी। इसकी महक विदेशों तक पहुंचेगी। एक पायलट प्रोजेक्ट के तहत  कृषि विभाग ने अमृतसर के चौगावां ब्लॉक में एक्सपोर्ट क्वालिटी की ऑर्गेनिक बासमती पैदा करने की योजना पर काम शुरू कर दिया है।


73 हजार हेक्टेयर रकबा बढ़ाया 


पिछले वर्ष की तुलना में 73 हजार हेक्टेयर रकबा बढ़ाया गया है। पिछले वर्ष जिले में 1 लाख 8 हजार हेक्टेयर भूमि पर बासमती की खेती की गई थी। इस बार जिले में एक लाख 81 हजार हेक्टेयर भूमि पर खेती का लक्ष्य रखा गया है। वहीं, पहली बार 365 किसान मित्र तैनात किए गए हैं, जो किसानों को कीटनाशकों के इस्तेमाल के बिना ऑर्गेनिक बासमती की बढ़िया पैदावार के तरीके बताएंगे।


अरब देशों में ज्यादा मांग


अमृतसर को एक्सपोर्ट जोन के तौर पर विकसित करने की कवायद शुरू हो गई है। इस जोन में बासमती की उन किस्मों की पैदावार होगी, जिसकी विदेशों, खासकर अरब देशों में ज्यादा मांग है। यहां पैदा की जाने वाली बासमती में रासायनिक खाद, कीटनाशकों का बिल्कुल इस्तेमाल नहीं होगा। 


विशेष प्रशिक्षण शुरु


365 किसान मित्र तैनात किए गए हैं, जो किसानों को कम लागत में ज्यादा पैदावार लेने के तरीके बताएंगे। अभी इनका प्रशिक्षण चल रहा है। यह आगे उन किसानों को प्रशिक्षण देंगे, जिनके गांव में कम से कम 100 हेक्टेयर रकबे में बासमती की खेती हो रही है। अमृतसर और आसपास का क्षेत्र बासमती के लिए विश्व प्रसिद्ध है, इसलिए इस प्रोजेक्ट की शुरुआत यहीं से की गई है। 


इससे पूर्व वापस आ गए थे 100 कंटेनर
2018 में भारतीय बासमती एक्सपोर्ट को उस समय धक्का लगा, जब यूरोपियन यूनियन के देशों ने बासमती के 100 कंटेनर वापस कर दिए थे। बासमती की यह खेप टेस्टिंग के दौरान इनके सैंपल फेल हो गए थे। बासमती में फफूंदनाशी व कीटनाशक के तत्व पाए गए थे। इसके बाद बासमती एक्सपोर्टर्स ने अमृतसर, गुरदासपुर और तरनतारन में किसानों को जागरूक करने के लिए अभियान लगातार चलाया था, जिसके अब अच्छे परिणाम सामने आ रहे हैं।


पानी का कम इस्तेमाल


बासमती की खेती में पानी का उपयोग धान की अन्य किस्मों के मुकाबले काफी कम होता है। किसानों को बासमती की 1121, 1509, पूसा 1718, पूसा 1619 और पंजाब-7 किस्में बीजने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। किसान मित्र 20 मई से फील्ड में काम शुरू कर देंगे। ये जिले के 776 गांवों को कवर करेंगे। एक किसान मित्र के जिम्मे दो गांव रहेंगे।


24 लाख टन बासमती होती है एक्सपोर्ट


पंजाब से हर वर्ष 23 से 24 लाख टन बासमती विदेशों को एक्सपोर्ट होती है। पंजाब की 1121 व 1718 किस्म की बासमती की सबसे अधिक मांग है। सबसे बढ़िया उपज माझा क्षेत्र में होती है। बासमती एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के प्रवक्ता अशोक सेठी कहते हैं कि भारत से सबसे अधिक बासमती सऊदी अरब खरीदता है। ईरान भी हर वर्ष 14 लाख टन बासमती खरीदता है। इसी तरह दुबई, सीरिया, कुवैत, नार्वे, स्वीडन, इंग्लैंड, फिनलैंड और नॉर्थ अमेरिकी देशों को भी भारतीय बासमती एक्सपोर्ट होती है।


कृषि अधिकारी ने यह खात बात कहीं


डॉ. जितेंद्र सिंह गिल, जिला कृषि अधिकारी, अमृतसर ने बताया कि  कोटहाल ही में ब्लॉक हर्षा छीना और अजनाला में किसान मित्रों के संयुक्त प्रशिक्षण कैंप में 110 किसान मित्र शामिल हुए। आगे 2-3 कैंप और लगेंगे। कैंप में उनको बताया गया कि उनका काम पनीरी डालने से लेकर काश्त करने, रखरखाव, कीटनाशकों, खादों के इस्तेमाल तक की जानकारी देना और किसानों को बासमती बीजने के लिए प्रेरित करना है। सांकेतिक तस्वीर

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