SENIOR JOURNALIST.CHANDIGARH.
संयुक्त किसान मोर्चा गैर राजनीतिक भारत और किसान मजदूर मोर्चा के नेता सरवन सिंह पंधेर और जगजीत सिंह डल्लेवाल ने प्रेस बयान जारी कर कहा कि 19 और 20 मार्च को पंजाब सरकार ने मोर्चा को खदेड़ते हुए किसानों और नेताओं पर अत्याचार किया और सरकार ने मोर्चा को लूटा, जिसमें किसानों की ट्रॉलियां, स्टेज, साउंड, एसी, कूलर, गैस सिलेंडर, फर्नीचर, टेंट, शेड, सोलर सिस्टम, राशन, जनरेटर, पानी के टैंकर और करोड़ों रुपए की दैनिक जरूरत की चीजें और सामान का नुकसान हुआ।
समझिए..क्या था पूरा मामला
करोड़ों रुपए के माल की भरपाई न किए जाने तथा पंजाब सरकार द्वारा किसानों पर किए जा रहे जुल्म के खिलाफ गैर राजनीतिक संयुक्त किसान मोर्चा व किसान मजदूर मोर्चा द्वारा 6 मई को शंभू थाने में एक दिवसीय घेराव कार्यक्रम आयोजित किया गया। बहरहाल, औरंगजेब के नक्शे कदम पर चलते हुए भारी दबाव में आई पंजाब सरकार ने आज सुबह 2:40 बजे से ही राज्य में बड़े पैमाने पर कार्रवाई करते हुए दोनों मंच में शामिल विभिन्न संगठनों के प्रदेश अध्यक्ष, जिला अध्यक्ष, ब्लॉक अध्यक्षों और यहां तक कि इकाई अध्यक्षों को गिरफ्तार कर लिया, जिसमें जगजीत सिंह डल्लेवाल, बलदेव सिंह सिरसा, हरजिंदर सिंह किशनगढ़, अंग्रेज सिंह बुडेवाल शामिल हैं, जिन्हें घरों में नजरबंद कर दिया गया है और सुखजीत सिंह हरदो झंडे, मनजीत सिंह राय, काका सिंह कोटड़ा, शेरा अटवाल, हरविंदर सिंह मसानी, बलवंत सिंह बेहरामके, मलकीत सिंह गुलाम वाला, गुरिंदर सिंह भंगू, कुलविंदर सिंह पंजोला, हरदेव सिंह चिट्टी, गुरप्रीत सिंह छीना, मनजीत सिंह राय, दिलबाग सिंह गिल आदि सैकड़ों किसान नेताओं को गिरफ्तार कर अलग-अलग थानों में रखा गया है, ताकि शंभू थाने के घेराव कार्यक्रम को नाकाम किया जा सके।
भगवंत मान सरकार की इस कार्रवाई की कड़ी निंदा करते हुए नेताओं ने कहा कि किसानों, मजदूरों और आम लोगों को अपनी बात कहने के लिए न तो दिल्ली और न ही चंडीगढ़ जाने की इजाजत दी जा रही है। किसान सड़कों पर बैठते हैं तो मोर्चों पर अंधाधुंध अत्याचार कर मारपीट और लूटपाट की जाती है। दूसरी ओर, मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि “पंजाब में कोई भी घोषणा, विरोध या हड़ताल जो सड़कों या ट्रेनों को अवरुद्ध करती है या आम लोगों को परेशान करती है और उनकी दैनिक गतिविधियों को बाधित करती है, उसे जनता के खिलाफ माना जाएगा। सभी संस्थाओं, संगठनों और यूनियनों को ध्यान देना चाहिए, विरोध करने के और भी तरीके हैं, सिर्फ लोगों को परेशान करना ठीक नहीं है, अन्यथा सख्त कानूनी कार्रवाई के लिए तैयार रहें।”
लेकिन 6 मई को प्रदर्शन केवल शंभू पुलिस स्टेशन के सामने था, सड़क या रेलवे लाइन को रोकने का कोई कार्यक्रम नहीं था। फिर भी बड़े पैमाने पर नेताओं को गिरफ्तार करके इस विरोध को विफल करने का प्रयास करने का मतलब है कि किसान यूनियनों को एक बार फिर अपना ध्यान सड़कों और रेलवे लाइनों की ओर मोड़ना होगा, क्योंकि राज्य सरकार पीछे हटने वाला नहीं है। नेताओं ने आगे कहा कि पूरे पंजाब से किसान अपने गांवों से निकलकर शंभू पुलिस स्टेशन की ओर जाएंगे और अगर प्रशासन ने रास्ते में लोगों को रोका तो वे वहीं विरोध प्रदर्शन करेंगे।
उन्होंने कहा, “हम स्पष्ट करना चाहते हैं कि हमारा लक्ष्य शंभू थाने का घेराव करके अपनी मांग उठाना है। अगर सरकार सड़कें बंद करती है तो लोगों को परेशान करने के लिए भगवंत मान जिम्मेदार होंगे।” इस मौके पर बलदेव सिंह जीरा, अमरजीत सिंह रड़ा, सुखदेव सिंह भोजराज, दिलबाग सिंह शेरगढ़, सुखविंदर सिंह साबरा मौजूद थे।