EDITORIAL….आतंकी पन्नू का केजरीवाल पर आरोप, वाक्य सच या फिर बड़ी साजिश का हिस्सा……जांच का विषय

लेखक विनय कोछड़.चंडीगढ़। 

पिछले दिनों सोशल मीडिया पर वीडियो काफी चर्चा का विषय बना रहा। देश का वांछित आतंकी सिख फार जस्टिस का संस्थापक गुरपतवंत सिंह पन्नू ने ईडी द्वारा गिरफ्तार किए अरविंद केजरीवाल के खिलाफ 134 करोड़ रुपए लेने का दावा किया। उसका आरोप था कि सत्ता हासिल करने से पूर्व केजरीवाल ने देवेंद्र सिंह भुल्लर को रिहा कराने के लिए लिए थे। वीडियो में पन्नू केजरीवाल के खिलाफ प्रमाण देने की बात को भी कह रहा है। अगर ऐसी बात है तो उसकी सच्चाई पता लगाने की आवश्यकता है। यह अब एक प्रकार से जांच का विषय बन गया। चर्चा, इस बात की भी है कि केजरीवाल ने वर्ष 2017 में पंजाब के चुनाव प्रचार दौरान कई खालिस्तानी आतंकियों के आवास रह कर उन्हें जिताने के लिए वित्तीय सहयोग सहित मतों का सहयोग मांगा था। तब उस दौरान यह मामला राजनीतिक तौर पर काफी गरमा गया था। उस बात का फायदा चुनाव में कांग्रेस को जीत के रुप में हासिल हुआ था। मतदाताओं को कांग्रेस ही उस दौरान एकमात्र पार्टी मिली थी, जिसे वैकल्पिक तौर पर मत देना हर मतदाता की मजबूरी बन चुकी थी। शिअद-भाजपा को तीसरी बार अवसर देने के लिए पंजाब का मतदाता राजी नहीं था। 

अगर, वाक्य ही जांच में अरविंद केजरीवाल के खिलाफ सबूत पक्के जाते है तो उनकी आने वाले समय में कई प्रकार की मुसीबत खड़ी हो सकती है। वैसे भी इन दिनों वे ईडी की हिरासत में है। सीबीआई अन्य मामले में उन्हें हिरासत में लेने का जोर लगा रही है। पन्नू चाहे अमेरिका में हर बार सोशल मीडिया में अपनी वीडियो डाल कर देश के खिलाफ अनाप-शनाप बोलता रहता है। लेकिन, इस बार केजरीवाल के खिलाफ संगीन आरोप लगाकर, उसने एक बार फिर जांच एजेंसियों को सोचने के लिए इस बात के लिए मजबूर कर दिया कि इस विषय पर भी जांच होनी चाहिए, कि वाक्य में केजरीवाल ने खालिस्तानी आतंकियों से चंदे के तौर पर पैसे लिए या फिर यू ही पन्नू झूठ बोलकर हर किसी का ध्यान अपनी तरफ खींचना चाहते है। पन्नू का आरोप है कि केजरीवाल के साथ इस बात की डील हुई थी कि आतंकी भुल्लर को जेल से रिहा करवा देंगे। अगर , उनकी पार्टी पंजाब की सत्ता में आ जाती है। 134 करोड़ ( 1.6 करोड़ डालर ) लिए थे। पैसा किस माध्यम से लिया गया। इसके बारे भी पता लगाना भी बनता है। 

उधर, इस मसले पर अब राजनीति भी शुरू हो चुकी है। भाजपा ने आप को घेरना शुरू कर दिया।  प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने इस प्रकार के आरोपों को काफी संगीन मानते हुए जांच का विषय बताया है। उनके मुताबिक, इस मामले की गहनता से जांच होनी चाहिए। सारी सच्चाई सामने की उम्मीद जताई है। उन्होंने आरोप लगाया कि वर्ष 2017 में केजरीवाल मोगा में एक आतंकी के आवास पर रुके थे। वहीं, पार्टी केजरीवाल के बचाव में उतर आई है। प्रदेश आप प्रभारी मलविंदर सिंह कंग ने देश के प्रधानमंत्री पर उंगली खड़े करते कहा कि जब से वह प्रधानमंत्री बने है तब से पन्नू बयान दे रहा है। केजरीवाल तथा आप का पन्नू के साथ कोई लेना देना ही नहीं है। सभी प्रकार के आरोप झूठे तथा मनगंढत है। 

राजनीतिक विशेषज्ञों की बात मानें तो उनके मुताबिक, कई राजनीतिक पार्टियां चंदा लेने के लिए बहुत कुछ करती है। अगर, देश विरोधी ताकतों से केजरीवाल ने चंदा लिया है तो इस बात की जांच अवश्य होनी चाहिए। जांच में सब कुछ स्पष्ट हो जाएगा। लेकिन, एक बात यह भी तय है कि इस प्रकार की जांच से केजरीवाल तथा पार्टी की मुसीबतें भी बढ़ सकती है। क्योंकि, पार्टी हमेशा दावा करती है कि आतंक, अपराध के खिलाफ है। लेकिन, खालिस्तानी आतंकियों ने हमेशा ही देश के खिलाफ जहर उगलने के साथ-साथ आतंक विरोधी गतिविधियों को अंजाम दिया। जांच-पड़ताल में कई बार इस बात के पक्के सबूत मिले है। 

एक पहलू यह भी कहता है कि देश में आम चुनाव है अब पन्नू जैसे आतंकी को ऐसी क्या जरुरत आ पड़ी कि 7 वर्ष पुराने मामले को सोशल मीडिया में उठाने की। कुछ लोग इसे राजनीति स्टंट करार देते है। आरोपों को सरासर निरादर बताते है। उनके मुताबिक, यह एक प्रकार से किसी के कहने पर राजनीतिक स्टंट भी हो सकती है। केजरीवाल की राजनीति छवि धूमिल करने का मकसद भी हो सकता है। क्योंकि, पन्नू जैसे आतंकी की किसी भी बात पर कोई विश्वास नहीं कर सकता है। क्योंकि, वह तो है एक प्रकार से आतंकी, आतंकी की कोई सोच विचारधारा सही नहीं हो सकती है। उसकी किसी बात पर विश्वास नहीं किया जा सकता है। चर्चा, इस बात की भी चल रही है कि पन्नू विदेशी एजेंसियों के हाथ की कठपुतली है, आगे से जो निर्देश मिलता है, उसे पूरा करना ही पन्नू का मकसद बन जाता है। शायद, यह आरोप भी उसी षड्यंत्र का हिस्सा हो सकता है। 

कई पहलू इस प्रकार के भी है कि केजरीवाल ने पार्टी को मजबूत करने के लिए कई प्रकार के हथकंडे अपनाए थे। इसमें पार्टी के लिए चंदा इकट्ठा करना उसका मेन मकसद था। इसमें कोई शक की बात नहीं है कि पार्टी को मजबूत करने के लिए विदेश से काफी फंडिंग हुई थी। विदेश में पंजाबी समूह ने केजरीवाल की पार्टी को काफी मोटी रकम में चंदा दिया था। सूत्रों से इस बात की अफवाह चली थी कि भारत के जिन जेलों में खालिस्तानी आतंकी बंद है, उन्हें बाहर निकालने में केजरीवाल पार्टी की उनके साथ कुछ शर्ते तय हुई थी। इसी शर्त के आधार पर पार्टी को मोटा चंदा मिला था। लेकिन, बदकिस्मती इस बात की रही कि आप पंजाब में वर्ष 2017 के चुनाव हार गई। उसके उपरांत खालिस्तानियों के साथ वार्ता के बारे कुछ खास चर्चा सामने नहीं आई। 

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