लेखक विनय कोछड़।
इतिहास इस बात का साक्षी है कि हिंदू-सिख का रिश्ता नूह-मास की तरह हैं। शायद, इस बात को कोई नाकार भी नहीं सकता हैं। लेकिन, खालिस्तानी मूवमेंट हिंदू-सिख ऐकता के बीच दरार का काम करने में लगी हैं। विदेशी धरती में हिंदू सुमदाय से जुड़े मंदिरों तथा सुमदाय के बारे काफी बुरा कहा जा रहा हैं। सोशल मीडिया में खालिस्तानी आए दिन हिंदूओं के प्रति जहर उगलने तथा मंदिरों को निशाना बनाकर उनकी तस्वीरों को प्रसारित कर रहे हैं। इन्हें शह देने में कनाडा-अमेरिका कोई कसर नहीं छोड़ रहा हैं। कई बार भारतीय सरकार इस बात के प्रमाण देकर इन पर प्रतिबंध लगाने के लिए बोल चुका हैं। शायद, वहां की सरकार पर कोई होता नहीं दिखाई दे रहा हैं। वे लोग अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हवाला देकर भारत को एक प्रकार से बेफखोफ बना रहे हैं। शायद, उन्हें इस बात का बिल्कुल अंदाजा नहीं कि यहीं लोग भविष्य़ में कनाडा-अमेरिका के लिए खतरा साबित होने वाले हैं।
खालिस्तानी मूवमेंट एक खतरनाक आतंकी गतिविधियों की सोच हैं। यह मनवता तथा देश की संप्रभुता के लिए काफी घातक हैं। फंडिग पड़ोसी देश पाकिस्तान कर रहा हैं। कमान पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी (आीएसआई) के हाथ हैं। पाकिस्तान से जारी आदेश खालिस्तानी मानते हैं। क्योंकि, दुश्मन देश पाकिस्तान बिल्कुल नहीं चाहता कि हिंदू-सिख ऐकता कायम रहें, इसलिए, खालिस्तानियों को अपना डाल बनाकर उनसे भारत के खिलाफ जहर उगलने तथा आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए मजबूर करता हैं। कनाडा में एक स्वप्न लेकर गए पंजाबी युवाओं को भविष्य में उन्नित के राह से भटका कर उन्हें डालर का लालच देकर भारत के खिलाफ खड़ा कर रहे हैं। इस बात की पुष्टि कई बार देश की एजेंसियां कर चुकी हैं।
पक्की दोस्ती का दावा करने वाला अमेरिका भी अब खालिस्तानी मूवमेंट को बढ़ावा देने में पन्नू जैसे आतंकियों को शह दे रहा हैं। इस बात का यहीं से प्रमाण मिल जाता है कि जब एक भारतवंशी अमेरिकी नागरिक को पकड़ कर इस बात का दावा करता है कि यह व्यक्ति एक भारतीय एजेंसी के शह पर उनके अमेरिका नागरिक (आतंकी) पन्नू को मारने की साजिश रच रहा था। इसकी साजिश को अमेरिका की एजेंसी ने विफल कर दिया। हैरान करने वाली बात है कि कई बार भारतीय विदेश मंत्रालय ने अमेरिका तथा वहां की एजेंसी को पन्नू के खिलाफ आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के प्रमाण दे चुकी है। उसके बावजूद रद्दी भर कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की गई।
इस प्रकार के प्रकरण से एक बात साफ साबित हो जाती है कि अमेरिका का भारत के साथ कोई मित्रता पूर्ण संबंध नहीं है। वह सिर्फ तो सिर्फ झूठी दोस्ती के नाम पर भारत की पीठ पर छुरा घोंप रहा हैं। शायद, अमेरिका को इस बात का नहीं पता कि देश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं, जोकि दोस्ती के साथ-साथ दुश्मनी निभाना भी जानते हैं। कूटनीति के माध्यम से पीएम मोदी अपने दुश्मन देश को करारा जवाब दे चुके हैं।
अमेरिका को एक बात समझ लेनी चाहिए कि व्यापारिक दृषिटकोण में पूरे विश्व की अर्थव्वस्था की निगाहें भारत पर टिकी रहती हैं। अधिक अमेरिकी कंपनियों का व्यापार भारत में खूब तेजी से विस्तार कर रहा हैं। भारत उन्हें हर प्रकार से सहयोग दे रहा है अगर भारत ने पीछे से अपने हाथ खींच लिए तो अमेरिका की अर्थव्यवस्था पर काफी प्रतिकुल असर पड़ सकता हैं।
खालिस्तानी मूवमेंट को अमेरिका जिस प्रकार से समर्थन दे रहा हैं, उसके लिए भविष्य में बड़ा खतरा पैदा हो सकता हैं। क्योंकि, खालिस्तानियों ने अब सारी सीमाएं लाघ दी हैं। वे लोग देश के झंडे से लेकर हिंदु सुमदाय को अपना निशाना बना रहे हैं। उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा हैं। इतना ही नहीं, अब तो मुस्लिम सुमदाय के सांसद भी खालिस्तानी मूवमेंट को सहयोग दे रहे हैं, तथा आतंकी निज्जर की हताया के पीछे भारत को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। सवाल यह पैदा होता है कि कनाडा-अमेरिका ने पूर्व में भारत द्वारा इनके खिलाफ भेजे गए सबूत पर क्यों नहीं अमल किया। क्यों इसे ठंडे-बस्ते में डाल दिया गया। क्या वहां की राजनीति खालिस्तानी मूवमेंट की वजह से चल रही हैं। क्या वहां की सरकार इन आतंकियों के समक्ष झुक चुकी हैं। या फिर उन्हें यह मुद्दा ही नहीं दिखाया दे रहा हैं।