वरिष्ठ पत्रकार.चंडीगढ़।
किसानों का दिल्ली कूच एक दिन के लिए टाल दिया। सरकार ने किसानों से बातचीत के लिए प्रस्ताव भेजा। किसान नेताओं ने प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। बताया जा रहा कि खनौरी सीमा पर 2 किसान की मृत्यु हो चुकी है। मरने वाले एक युवा किसान 22 वर्ष का था, जबकि, अन्य के बारे अभी आधिकारिक पुष्टि नहीं हो पाई। सीमा पर जेसीबी तथा बड़े-बड़े मशीनें देखी गई। पता चला है कि इसकी मदद से किसान सुरक्षा घेरा तोड़कर दिल्ली की तरफ कूच करेंगे। कुछ समय अर्धसैनिक बल तथा पुलिस के बीच किसानों का टकराव भी हुआ। 10 पुलिस कर्मचारी घायल होने की हरियाणा पुलिस ने पुष्टि कर दी। स्थित अब तक प्रशासन तथा किसानों के बीच तनावपूर्ण बनी हुई है। किसान नेताओं की आपस में बैठक चल रही है। थोड़ी देर तक मीडिया के समक्ष बड़ा फैसला कर सकते है।
विशेषज्ञ बता रहे कि किसान पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय की बात को भी नहीं मान रहे है। अदालत ने फैसला दिया था कि लोकतांत्रिक तरीके से विरोध किया जा सकता है। लेकिन, नियमों को नहीं तोड़ा जा सकता है। अगर किसान दिल्ली जाना चाहते है, वहां पर अपनी बात सरकार के समक्ष रखना चाहते है तो बस, रेल तथा कार में जा सकते है। ट्रैक्टर-ट्राली के माध्यम से जाने की कोई इज्जात नहीं है। मोटर-व्हीकल के तहत नियम नहीं तोड़ा जा सकता है। किसी अन्य को परेशानी में नहीं डाला जा सकता है। अदालत में कईयों ने याचिका डाली थी। बता दें कि किसान पिछले 10 दिन से शंभू तथा खनौरी सीमा पर बैठा है। सरकार से 4 दौर की बातचीत बेनतीजा रही। सरकार ने किसानों से शांतमय तरीके से विरोध करने की अपील की।
गृह मंत्रालय ने पंजाब गृह विभाग को एक पत्र भेज कर किसान आंदोलन में उपस्थित उपद्रवियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के लिए निर्देश दिया। इसी प्रकार हरियाणा के डीजीपी ने पंजाब के डीजीपी को पत्र लिखा है। उसमें जेसीबी तथा अन्य हैवी मशीन को किसानों द्वारा इस्तेमाल करने पर रोक लगाने के लिए अपील की। पुलिस ने कड़ा संज्ञान लेते हुए जेसीबी तथा भारी मशीनों की आवाजाही पर आंदोलन तक प्रतिबंध लगा दिया।
फिलहाल, शंभू बॉर्डर पर किसानों द्वारा जेसीबी तथा भारी मशीनों के माध्यम से कंटीली तार तोड़कर आगे बढ़ने का प्रयास लगातार जारी है। उन्हें रोकने के लिए हरियाणा पुलिस आंसू गैस तथा रबड़ की गोलियों का लगातार इस्तेमाल कर रही है। कई किसान घायल भी हो चुके है। लेकिन, इससे बचने के लिए किसानों ने भी अपनी कमर कस ली है। आंखों में अत्याधुनिक ऐनक जैसे यंत्र तथा पीठ पर कैनन जैसी सुविधा को बांध लिया। इस प्रदर्शन में निहंग सेना काफी उग्र होती दिखाई दी। सीमा के पास जाकर हरियाणा पुलिस को कई चेतावनी देते साफतौर पर दिखाई दिए।
जानिए, किसान किन मांगों पर अड़े
1) 23 फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित किया जाए। सरकार द्वारा 4 फसल पर एमएसपी प्रस्ताव को किसान सिरे से खारिज कर चुके है।
2) प्रति किसान को 10 हजार पेंशन देने की मांग रखी गई। इतनी राशि सरकार के पास नहीं देने के लिए हैं।
3) किसानों का सारा कर्ज माफ किया जाए। 18 लाख करोड़ का बजट है, जिसे पूरा कर पाना सरकार के लिए असंभव है।
4) 2020 किसान आंदोलन में जिन किसानों के खिलाफ केस दर्ज हुए, उन्हें खारिज करने के लिए प्रस्ताव रखा गया।
बड़ा सवाल..आंदोलन की पीछे कौन
बड़ा सवाल इस बात का उठने लगा है कि इतने बड़े आंदोलन को खड़ा करने के पीछे कौन है। चुनाव से पूर्व क्यों इस आंदोलन को हवा दी जा रही है। आंदोलन में जेसीबी, बड़ी-बड़ी मशीनें तथा बचाव के लिए अत्याधुनिक यंत्र किसानों के पास आ गए। यह मदद किसानों की कौन कर रहा है। किसान का आंदोलन सिर्फ पंजाब, हरियाणा तथा यूपी तक ही क्यों सीमित है। देश के अन्य हिस्सों से किसानों ने क्यों नहीं हिस्सा लिया। विपक्ष राजनीति कर क्या कुछ बड़ा करना चाहती है या फिर मोदी सरकार को टारगेट करना ही उनका लक्ष्य है। यह सभी सवाल है जिसका जवाब मिलना बहुत आवश्यक है।