वरिष्ठ पत्रकार राजेश शर्मा.चंडीगढ़।
प्रदर्शनकारी किसान यूनियनों- किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) और संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) (एसकेएम-एनपी) ने दिल्ली की ओर मार्च कर रहे 101 किसानों के समूह को वापस बुलाने का फैसला किया। शुक्रवार को शंभू सीमा पर 101 किसानों के एक ‘जत्थे’ ने दिल्ली की ओर अपना पैदल मार्च शुरू किया, लेकिन बैरिकेड्स की एक लाइन ने उन्हें कुछ मीटर की दूरी पर ही रोक दिया।
हरियाणा पुलिस ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा का हवाला देते हुए हस्तक्षेप किया और किसानों से आगे न बढ़ने को कहा। सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि हमने कुछ किसानों के घायल होने के मद्देनजर आज के लिए ‘जत्थे’ को वापस बुला लिया है।” किसान फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर मार्च कर रहे हैं। इस बीच, अंबाला जिला प्रशासन ने पांच या उससे अधिक व्यक्तियों के किसी भी गैरकानूनी जमावड़े पर प्रतिबंध लगा दिया है।
हरियाणा सरकार ने शुक्रवार को अंबाला जिले के 11 गांवों में मोबाइल इंटरनेट और बल्क एसएमएस सेवाओं को 9 दिसंबर तक निलंबित कर दिया। यह प्रतिबंध डांग देहरी, लोहगढ़, मानकपुर, डडियाना, बारी घेल, लहर्स, कालू माजरा, देवी नगर, सद्दोपुर, सुल्तानपुर और काकरू गांवों पर लागू है। संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले एकत्रित हुए किसान फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए केंद्र से कानूनी गारंटी की मांग को लेकर मार्च कर रहे हैं।
सुरक्षा बलों द्वारा दिल्ली की ओर मार्च रोके जाने के बाद 13 फरवरी से किसान पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी सीमा बिंदुओं पर डेरा डाले हुए हैं। जत्थे ने दोपहर 1 बजे अपना मार्च शुरू किया, लेकिन कुछ मीटर की दूरी तय करने के बाद, उन्हें हरियाणा सरकार द्वारा लगाए गए बहुस्तरीय बैरिकेड्स ने रोक दिया। ‘सतनाम वाहेगुरु’ का जाप करते हुए और किसान संघ के झंडे और आवश्यक वस्तुओं को लेकर, ‘जत्था’ ने बैरिकेड्स की पहली परत को आसानी से पार कर लिया, लेकिन आगे नहीं बढ़ सका। कुछ किसानों ने लोहे की जाली और कंटीले तारों को हटा दिया, जबकि अन्य ने राष्ट्रीय राजमार्ग-44 से लोहे की कीलें उखाड़ दीं।