वरिष्ठ पत्रकार.चंडीगढ़।
यदि पीड़िता को गर्भपात की अनुमति नहीं दी गई तो उससे यह अधिकार छिन जाएगा। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने 13 वर्षीय दुष्कर्म पीड़िता के 21 सप्ताह की गर्भावस्था को समाप्त करने का आदेश जारी करते हुए यह टिप्पणी की है।
इनके खिलाफ दर्ज हुआ मामला
पीड़िता की ओर से याचिका दाखिल करते हुए एडवोकेट रितु पुंज ने हाईकोर्ट को बताया कि वह दुष्कर्म का शिकार हुई थी और अभी वह 13 साल की है और छठी कक्षा में पढ़ रही है। लुधियाना में इस मामले में 2 लोगों के खिलाफ पोक्सो एक्ट में मामला दर्ज हुआ था। याची ने बताया कि वह अभी पूरी तरह से अपने परिजनों पर निर्भर है और ऐसे में वह बच्चे को जन्म नहीं देना चाहती। मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी (एमटीपी) अधिनियम के अनुसार, दो पंजीकृत चिकित्सकों द्वारा 20 सप्ताह तक गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति दी जा सकती है। 20 सप्ताह से 24 सप्ताह के बीच केवल कुछ मामलों में गर्भावस्था समाप्त करने की अनुमति दी जा सकती है।
जस्टिस की टिप्पणी
जस्टिस नमित कुमार ने कहा कि गर्भावस्था समाप्त करने का निर्णय कठिन होता है। इस मामले में पीड़िता दुष्कर्म की शिकार है और यदि वह बच्चे को जन्म देगी तो उसका परिवार व समाज दोनों उसे अस्वीकृत कर सकते हैं। यदि ऐसा हुआ तो यह बच्ची की पीड़ा को बढ़ाएगा और उसके साथ अन्याय होगा। याचिकाकर्ता जिस पीड़ा से वह गुजर रही है उसे देखते हुए और मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट को ध्यान में रखते गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति देना ही सही निर्णय है।