वरिष्ठ पत्रकार.चंडीगढ़।
पिछले दिनों में पंजाब पुलिस द्वारा पंजाब के अलग-अलग क्षेत्र में अपराधियों के खिलाफ चलाई गई मुहिम तहत कई एनकाउंटर किए। उसमें एक मामला पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय पहुंच गया। उक्त मामले में एक परिवार ने पंजाब पुलिस के खिलाफ आरोप लगाया कि उनका 22 वर्षीय बेटा कनाडा में विवाह के बाद भारत लौटा था। आरोप लगाते हुए पिता ने कहा कि पुलिस ने उनके बेटे का फर्जी एनकाउंटर किया थी। परिवार ने सीबीआई जांच की मांग को लेकर एक याचिका भी दाखिल की। पिता की याचिका पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को नोटिस जारी किया है।
याचिकाकर्ता बलजीत कौर और लखविंदर सिंह ने हाईकोर्ट को बताया कि उनका बेटा जसप्रीत सिंह कनाडा में रह रहा था। हाल ही में उसका विवाह हुआ था और विवाह के बाद वह भारत लौटा था। 13 मार्च को नाभा में पुलिस ने उसका एनकाउंटर कर दिया। याची ने बताया कि उसके बेटे पर अपहरण का झूठा इल्जाम लगाकर पुलिस ने इस फर्जी एनकाउंटर को अंजाम दिया है। पुलिस ने एक मनगढ़ंत कहानी गढ़ी, जिसके अनुसार यांची के दूर के रिश्तेदार के अपहरण का याची पर आरोप लगाया गया।
युवक को मारी गई थी सात गोली
पुलिस के अनुसार 7 साल के बच्चे की तलाश में एक सफेद गाड़ी को रोकने की कोशिश की गई लेकिन वह नहीं रुकी। जब पुलिस ने पीछा किया तो मुठभेड़ हुई जिसमें जसप्रीत मारा गया और दो पुलिसकर्मी घायल हो गए। याची ने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार याची के बेटे को 7 गोलियां लगी थीं। इनमें से तीन के बेहद नजदीक से लगने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। जो गोली माथे पर लगी है वह बेहद करीब से मारी गई है और ऐसे में यह फर्जी मुठभेड़ है।
याची ने बताया कि इस मामले में पटियाला पुलिस के 8 पुलिसकर्मी जांच के दायरे में हैं जो कर्नल पुष्पेंद्र सिंह बाठ और उनके बेटे पर हमले के आरोप में निलंबित हो चुके हैं। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि जब मुठभेड़ में शामिल वही पुलिस बल जांच कर रहा हो, तो ऐसे में किसी निष्पक्ष जांच की उम्मीद नहीं की जा सकती।
उन्होंने कोर्ट से आग्रह किया कि मामले की निष्पक्षता बनाए रखने के लिए सीबीआई से जांच कराई जाए और अदालत स्वयं इसकी निगरानी करे। याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि मुठभेड़ में शामिल पुलिस अधिकारियों को उनके वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा सराहा गया और मीडिया रिपोर्ट के अनुसार उन्हें पदोन्नति और नकद इनाम भी दिए गए, जबकि उनके खिलाफ कोई जवाबदेही तय नहीं की गई।