HIGH-COURT का ऐतिहासिक फैसला……….पत्रकार भावना गुप्ता पर एफआईआर रद्द, आरोप साबित करने में जांच एजेंसी फेल

वरिष्ठ पत्रकार.चंडीगढ़। 

पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए पत्रकार भावना गुप्ता पर दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया। इससे पुलिस से लेकर सरकार की कार्यप्रणाली पर बड़ा सवाल खड़ा हुआ। न्यायालय ने अपने अहम फैसला सुनाते कहा कि अगर याची शिकायतकर्ता को जानती ही नहीं थी तो कैसे जातिसूचक शब्द कह सकती है। इसके साथ ही अदालत ने कहा कि इस मामले में जांच एजेंसी आरोपों को साबित करने में नाकाम रही है

यह था पूरा प्रकरण

मई 2023 में टीवी रिपोर्टर भावना गुप्ता अपने कैमरामैन मृत्युंजय कुमार और ड्राइवर परमिंदर के साथ दिल्ली से पंजाब सरकार के एक कार्यक्रम को कवर करने पंजाब आ रही थीं। इस दौरान उनकी कार का एक्सीडेंट हो गया और लापरवाही से वाहन चलाने समेत अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर तीनों को गिरफ्तार कर लिया गया। इस मामले में सभी को हाईकोर्ट से जमानत मिल गई थी और एफआईआर रद्द करने की मांग को लेकर याचिका विचाराधीन थी।

जस्टिस अनूप चितकारा ने कहीं अहम बात

इस याचिका पर अपना फैसला सुनाते हुए जस्टिस अनूप चितकारा ने कहा कि याचिकाकर्ता को पीड़ित की जाति के बारे में कोई व्यक्तिगत जानकारी नहीं थी। ऐसे में यह नहीं माना जा सकता कि आरोपी ने पहचान पता होते हुए जातिगत टिप्पणी की होगी। एससी/एसटी एक्ट में जातिसूचक शब्द साबित करने का दायित्व शिकायतकर्ता पर होता है। न तो राज्य और न ही शिकायतकर्ता ने उल्लेख किया कि याचिकाकर्ता को पीड़ित की जाति के बारे में पता था और फिर उनकी चुप्पी बहुत कुछ साबित करती है।

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