JALANDHAR BY POLL–हाईकमान ने ‘चौधरी परिवार’ का छोड़ा साथ…नहीं पहुंचा कोई बड़ा केंद्रीय नेता, पूरी कांग्रेस कर्नाटक में व्यस्त

एसएनई नेटवर्क.जालंधर। 

जालंधर लोकसभा उपचुनाव में हाईकमान ने ‘चौधरी परिवार’ का साथ छोड़ दिया। पूरी चुनाव कैंपेन पंजाब कांग्रेस के भरोसे छोड़ दी गई। उपचुनाव के प्रचार का आज अंतिम दिन है लेकिन कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व से कोई नेता यहां प्रचार करने नहीं आया। पूरी कांग्रेस कर्नाटक में व्यस्त है। जहां पर कांग्रेस के सीनियर नेशनल नेताओं के अलावा गांधी परिवार भी प्रचार कर रहा है। हालांकि ये बात कांग्रेस नेताओं को भी अखर रही है लेकिन शीर्ष नेतृत्व के बारे में कोई खुलकर कुछ कह नहीं पा रहा है।


राहुल गांधी की यात्रा में हुआ था सांसद चौधरी का निधन


जालंधर लोकसभा सीट से 2014 के बाद 2019 में भी कांग्रेस के संतोख सिंह चौधरी चुनाव जीते थे। इसी साल 14 जनवरी को वह जालंधर की तरफ आ रही राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में शामिल हुए थे। इसी दौरान राहुल के साथ पैदल चलते हुए 76 साल के सांसद चौधरी का निधन हो गया। जिस वजह से इस सीट पर लोकसभा चुनाव से 11 महीने पहले उपचुनाव कराए जा रहे हैं।


सांसद संतोख सिंह चौधरी को राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में पैदल चलते हुए हार्ट अटैक आ गया था। जिसके बाद वह नीचे गिर पड़े और अस्पताल पहुंचने पर उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।


चौधरी की पत्नी को टिकट देने तक सीमित हाईकमान


सांसद संतोख चौधरी के निधन के बाद कांग्रेस हाईकमान ने उनकी पत्नी कर्मजीत कौर को टिकट दी है। यह फैसला जरूर कांग्रेस ने जल्दी ले लिया ताकि सांसद के निधन के बाद पार्टी में टिकट को लेकर कोई खाना जंगी न मचे। हालांकि इसके बाद यहां जीत सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय नेतृत्व आगे कुछ करता नजर नहीं आ रहा।


उम्मीदवार कर्मजीत कौर के नामांकन के वक्त कांग्रेसियों ने एकजुटता दिखाने की कोशिश की लेकिन इसके बावजूद नवजोत सिद्धू, अमरिंदर राजा वड़िंग और चरणजीत चन्नी अलग-अलग प्रचार कर रहे हैं।


टुकड़ों में बंटी कांग्रेस बनी मुश्किल


सांसद संतोख चौधरी की पत्नी कर्मजीत कौर के लिए केंद्रीय नेतृत्व की दूरी के बाद टुकड़ों में बंटी पंजाब कांग्रेस भी मुश्किल बनी हुई है। यूं तो जालंधर में नवजोत सिद्धू, पूर्व CM चरणजीत चन्नी, पंजाब कांग्रेस चीफ अमरिंदर राजा वड़िंग, विधानसभा में नेता विपक्ष प्रताप सिंह बाजवा प्रचार कर रहे हैं, लेकिन सब अलग-अलग अपनी मुहिम चला रहे हैं। पंजाब कांग्रेस में कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिद्धू के बीच की लड़ाई के बाद से अभी तक कांग्रेसी एकजुट नहीं हो पा रहे हैं।

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