MAYOR की चर्चा….लगता है ‘लक्की की किस्मत नहीं इस बार LUCKY,..अपने ही बेगाने बनकर काट रहे पर

इस बार अमृतसर का मेयर कांग्रेस का बनना इतना आसान नहीं दिखाई दे रहा है। क्योंकि, पार्टी के मतभेद ही उन्हें मेयर की बाज़ी को हराने का काम कर रही है। मेयर के नाम पर वार्ड नंबर-10 से राजकंवल लक्की का नाम खूब चर्चा में था। लेकिन, अब पता चला है कि लक्की की किस्मत इतनी लक्की नहीं दिखाई दे रही है। क्योंकि, उनके अपने ही बेगाने का रोल निभाकर उनके पर काट रहे है। हालांकि, वार्ड महिला थी, इसलिए उनकी डाक्टर बेटी ने यहां से चुनाव लड़कर अपने प्रतिद्वंद्वियों को हराया था। चर्चा इस बात की भी चल रही है कि राहुल के बेहद करीब नेता ने लक्की के नाम को आगे भी बढ़ाया। लेकिन, अब जो सुनने में आ रहा है कि लक्की प्रथम से नीचे चल गए है। चर्चा इस बात की भी चल रही है कि लक्की के लिए एक तरह से अच्छा भी है, क्योंकि, बहुत का आंकड़ा अभी 8 सीटों से पीछे है। ऐसे में विधायक तो है नहीं उनके पास, अगर विपक्ष की मदद लेना भी चाहे तो किसी प्रकार से सहमति भी नहीं बनती दिखाई दे रही है। क्योंकि, ताकतवर नेता ने पहले से ही अपने रिश्तेदार को मेयर बनाने के लिए उनके साथ सेटिंग का खेल कर लिया है। मगर, मेयर की कुर्सी उनके लिए भी इतनी आसान नहीं लग रही है, क्योंकि, ज्यादातर जीत कर आए कांग्रेस प्रत्याशी उनके साथ रुठ कर बैठे हुए है। वो लोग भी पूरा जोर लगा रहे है कि किसी तरह से मजबूत नेता का रिश्तेदार मेयर की कुर्सी पर नहीं बैठ सकें। इधर, लक्की के बारे इस बात की भी चल रही है कि उन्हें ऊपर से फोन आ चुका है कि आप अपना फोन कुछ समय के स्विच ऑफ कर दीजिए, ताकि कोई तंग परेशान न करें। पता यह भी चल रहा है कि लक्की जी चंडीगढ़ चले गए। वहां से दिल्ली दरबार जाने की पूरी अपवाह चल रही है। आखिर क्या सच है, इस बारे तो लक्की जी ही बता सकते है। पीछे से परिवार भी उनके बारे कुछ नहीं बता रहा है। सब कुछ उथल-पुथल हो गया है। जानकार मान कर चल रहे है कि अगर कांग्रेस ने मेयर पद अपने पास रखना है तो उसके लिए लुधियाना की रणनीति को अपनाना होगा। वहां पर पता चला है कि कांग्रेस-भाजपा मिलकर मेयर बनाने जा रही है। उस पर मोहर भी लग चुकी है। 

चर्चा चल रही है कि लक्की के लिए अपने बेगाने बन चुके है, इसलिए उनके पर काट रहे है। उन्हें नीचा करने के लिए अन्य गुट का भीतरघात समर्थन कर रहे है। क्योंकि, अन्य गुट ने उनके हाथ एक बड़ा लॉलीपॉप थमा दिया है। उन्हें कई प्रकार का प्रलोभन दिया जा रहा है। शायद लक्की को इस बात अहसास नहीं है, इसलिए अपनों के सहारे वे कुछ समय के लिए बाहर रवाना हो गए है। पता चला है कि लक्की की बेटी को कांग्रेस की टिकट मिलना इतना आसान नहीं था, क्योंकि, उन्हें एक गुट की तरफ से हाईकमान को लिखकर दे दिया था कि अगर टिकट लक्की परिवार को मिली तो ठीक नहीं होगा। पता चला है कि उस समय राजा वड़िंग जैसे  कद्दावार नेता ने पूरी बाजी लगाकर उन्हें टिकट दिलाकर ही छोड़ी। दत्ती खेमा, पूर्व उप मुख्यमंत्री के खेमे ने उनके लिए कई प्रकार के कांटे भी बोये, फिर भी लक्की की तब किस्मत ने पूरा साथ दिया। ऐसा नहीं कि लक्की ने हाईकमान की उम्मीदों पर पानी फेरा, बल्कि, इस सीट पर जीत हासिल कर कांग्रेस का किला और मजबूर कर दिया। कहते है कि लक्की लोगों का मन पसंदीदा नेता है। दिर-रात उनकी सेवा में जुटा रहता है। कभी किसी के साथ भेदभाव की राजनीति नहीं की। अगर कोई विपक्षी पार्टी के नेता उनके पास काम लेकर आ गया तो उन्हें भी वह खाली हाथ नहीं भेजते है। उनके साथ चल कर काम को पूरा करवा देते है। यह साख लक्की की किस्मत को हर बार चार चांद लगाती है, इसलिए प्रदेश की सत्ता में कोई भी पार्टी हो, मगर लक्की की किस्मत हमेशा ही लक्की रहती है। लेकिन, इस बार मेयर की कुर्सी पर बैठना, उनके लिए आसान नहीं लग रहा है, क्योंकि, उन्हें अमृतसर के बड़े नेताओं का साथ नहीं मिल रहा है। हर कोई उनके पर काटने पर तुला हुआ है। 

उनके समर्थक इस बारे जरुर चर्चा कर रहे है कि उनके नेता हमेशा ही वाहेगुरु पर विश्वास रखते  है, इसलिए वाहेगुरु ने उनकी झोली को कभी खाली नहीं छोड़ी है। हर गफ्फे ही दिए, इस बार उन्हें विश्वास कि हाईकमान उन्हें बड़ा गफ्फा देने जा रही है।  यह बात कितनी सच होती है, इस बारे कहना अभी मुश्किल दिखाई दे रहा है। क्योंकि, राह में कांटों को हटाने के लिए लक्की के पास वो लक नहीं है, जो मेयर की कुर्सी तक पहुंचा सकें। मगर लक्की अपनी किस्मत के तारे को जगाने के लिए अभी से फोन को बंद कर रेस में शामिल हो गए है। इस रेस को पार करने के लिए कई प्रकार के रोड़े भी उनका बेसब्री से इंतजार कर रहे है। माहिर यह भी कहते है लक्की किस्मत खासा धनी है, उन्हें हर पार्टी ने बिना मांगे उन्हें कुछ बड़ा ही दिया है, इसलिए उनकी एक फितरत है कि कभी नहीं पीछे मुड़कर नहीं देखते है। उन्हें राजनीति में पटखनी देने का अंदाज भी आता है, इसलिए उन्होंने बड़े पहाड़ों को तोड़ कर खुद ही अपना रास्ता बना लिया। कहते है कि लक्की का एक समय कैप्टन का आशीवार्द सिर पर था, इसलिए उन्होंने एक महान खिलाड़ी के तौर पर खूब चौके-छक्के मैदान में बरसाए तथा अपने कैप्टन की टीम में एक अच्छे खिलाड़ी होने का नाम भी पाया। अब कैप्टन ने इस पार्टी को छोड़कर अन्य पार्टी का हाथ थाम लिया। लेकिन, उस कैप्टन का कांग्रेस में आज भी बहुत बड़ा रोल माना जाता है। गांधी परिवार वर्तमान में भी उसकी बात को कभी टालता नहीं है। इसलिए, कयास इस बात भी लगाया जा रहा है कि लक्की के लिए कैप्टन साहब भी भीतरघात पूरा जोर लगा रहे है। वह नहीं चाहते है कि उनके विरोधी रह चुके नेता का भतीजा मेयर की कुर्सी पर बैठें। तब इस नेता ने अन्य नेताओं के साथ मिलकर कैप्टन को कुर्सी से हटाने के लिए भीतरघात सभी को इकट्ठा किया था। हालांकि, इस नेता को पंजाब की सियासत में अलग पहचान दिलाने वाला यह था एक वो नेता। 

प्रधान संपादक……विनय कोछड़……. (एसएनई न्यूज़)। 

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