वरिष्ठ पत्रकार.अमृतसर/चंडीगढ़।
शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) की कार्यसमिति ने सोमवार को सर्वसम्मति से सुखबीर सिंह बादल से पार्टी अध्यक्ष पद से अपने इस्तीफे पर पुनर्विचार करने की अपील की और कहा कि अगर उन्होंने पार्टी अध्यक्ष के अनुरोध को स्वीकार नहीं किया तो पूरी समिति सामूहिक रूप से इस्तीफा दे देगी। शिअद की सर्वोच्च संस्था कार्यसमिति ने पार्टी को नेतृत्वविहीन बनाने के लिए पार्टी के खिलाफ एक “षड्यंत्र” का भी आरोप लगाया। समिति ने बादल के इस्तीफे पर कोई फैसला नहीं लिया है और कहा है कि वह इस पर कोई भी फैसला लेने से पहले शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) के सदस्यों और पार्टी के अन्य सदस्यों की राय लेगी।
बादल, जिन्हें अकाल तख्त ने ‘तनखैया’ (धार्मिक दुराचार का दोषी) घोषित किया था, ने शनिवार को शिअद अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया, इस पद पर वे 2008 से थे। बादल के इस्तीफे पर विचार करने और पार्टी के नए अध्यक्ष के लिए चुनाव कराने सहित अगली कार्रवाई की रूपरेखा तैयार करने के लिए सोमवार को कार्यसमिति की बैठक बुलाई गई थी।
समिति ने बादल के नेतृत्व में अपना “पूर्ण विश्वास” व्यक्त करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया और कहा कि उन्हें पार्टी के अध्यक्ष के रूप में पार्टी का नेतृत्व करना जारी रखना चाहिए। इसमें कहा गया, “यह समय की मांग है।” इसमें कहा गया, “हम किसी भी कीमत पर इस तरह की साजिश (शिअद को नेतृत्वविहीन बनाने की) को सफल नहीं होने देंगे। सुखबीर बादल हमारे नेता हैं और हमारे नेता बने रहेंगे।”
बैठक में पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष बलविंदर सिंह भूंदड़, वरिष्ठ नेता दलजीत सिंह चीमा, बिक्रम सिंह मजीठिया और परमजीत सिंह सरना समेत पार्टी के वरिष्ठ नेता शामिल हुए। यह बैठक करीब 4 घंटे तक चली।
भूंदड़ ने यहां मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि समिति इस मामले पर अंतिम फैसला लेने से पहले पार्टी के जिला अध्यक्षों, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति के सदस्यों और हलका प्रभारियों की राय लेगी। भूंदड़ ने कहा कि समिति के सदस्यों ने बादल की प्रशंसा करते हुए कहा कि पार्टी को इस महत्वपूर्ण मोड़ पर उनकी सेवाओं की और भी ज्यादा जरूरत है। उन्होंने कहा, “इसलिए वे एक स्वर में खड़े हुए और कहा कि अगर अध्यक्ष अपना इस्तीफा वापस नहीं लेते हैं तो वे भी अपना इस्तीफा दे देंगे।”
भूंदड़ ने कहा कि पिछले 2 दिनों से उन्हें जिला अध्यक्षों, हलका प्रभारियों, एसजीपीसी सदस्यों और यूथ अकाली दल तथा स्त्री अकाली दल के सदस्यों के फोन आ रहे हैं। कुछ सदस्यों ने पार्टी अध्यक्ष के साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए पहले ही अपने इस्तीफे मुझे भेज दिए हैं। ये सभी लोग अचानक हुए घटनाक्रम से परेशान हैं और उन्होंने व्यक्तिगत रूप से मुझसे अपनी पीड़ा व्यक्त की है। नेताओं ने मुझसे कहा है कि वे अपनी भावनाओं से पार्टी को अवगत कराना चाहते हैं।
30 अगस्त को अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने 2007 से 2017 तक अकाली दल और उसकी सरकार द्वारा की गई “गलतियों” के लिए बादल को ‘तनखैया’ घोषित किया। जत्थेदार ने अभी तक बादल के लिए ‘तनख्वाह’ (धार्मिक सजा) नहीं सुनाई है। 103 साल पुराना राजनीतिक दल अकाली दल अपने इतिहास के सबसे बुरे विद्रोह का सामना कर रहा है, जिसमें पार्टी नेताओं के एक वर्ग ने बादल के खिलाफ विद्रोह कर दिया है और मांग की है कि पंजाब में लोकसभा चुनावों में अकाली दल की हार के बाद वह पार्टी प्रमुख के पद से इस्तीफा दें।
1 जुलाई को अकाल तख्त के समक्ष बागी पार्टी नेताओं के पेश होने के बाद बादल को ‘तनखैया’ घोषित कर दिया गया था। उन्होंने 2007 से 2017 के बीच अकाली दल के शासनकाल के दौरान की गई चार ‘गलतियों’ के लिए माफी मांगी थी। इन गलतियों में 2015 में बेअदबी की घटनाओं के लिए जिम्मेदार लोगों को दंडित न करना और 2007 के ईशनिंदा मामले में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को माफ़ करना शामिल है। इस मुद्दे पर पंजाब में चार विधानसभा क्षेत्रों के उपचुनाव के लिए अकाली दल ने कोई उम्मीदवार नहीं उतारा है।