लेखक विनय कोछड़.चंडीगढ़।
पंजाब कांग्रेस में कुछ अच्छा नहीं चल रहा हैं। इस बात का संदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने पार्टी लाइन से अलग चल कर दे दिया। वह पंजाब कांग्रेस के प्रभारी की बैठक को सरेआम नजरअंदाज कर अलग ही लाबी खड़ी करने में जुट गए। इस बात प्रमाण सिद्धू ने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष के साथ एक बैठक कर दे दिया। इस मामले को लेकर कई नेताओं ने प्रभारी के समक्ष यह तक कह दिया कि अनुशासनहीनता की कार्रवाई सिर्फ तो सिर्फ छोटे कार्यकर्ताओं के खिलाफ होती है, जबकि, बड़े नेताओं को तो इसके लिए बिल्कुल ही नजरअंदाज कर दिया जाता हैं। उनका इशारा सिद्धू की तरफ था। राष्ट्रीय कांग्रेस अध्यक्ष खरगे समराला में होने जा रही रैली में पहुंचने से पूर्व प्रदेश स्तर की बैठक की जा रही थी।
एक बात तो बिल्कुल साफ है कि सिद्धू हमेशा ही अपनी करते है जो उन्हें ठीक लगें। कई बार पार्टी में उनके खिलाफ बड़ी कार्रवाई करने का हाईकमान के पास मुद्दा उठ चुका हैं। वह हाईकमान तथा गांधी परिवार के काफी करीब होने की वजह से हर बार कोई कार्रवाई होने से पूर्व बच निकलते हैं। कई बार कांग्रेस को उक्त नेता की बयानबाजी तथा पार्टी से अलग चलने की वजह से नुकसान उठाना पड़ा। ताजा उदाहरण, पिछले विस चुनाव का है, जिसमें कांग्रेस को पक्की उम्मीद थी कि वह इस बार ज्यादा सीट हासिल कर प्रदेश में सरकार बना लेंगी। लेकिन, नतीजे सामने आने के उपरांत पार्टी काफी कम सीटों पर सिमट गई। इतना ही नहीं, सिद्धू से लेकर कई दिग्गज चुनाव हार गए। हैरान करने वाली बात है कि इतना कुछ होने के बावजूद पार्टी ने इनके खिलाफ अब तक कोई बड़ा एक्शान नहीं लिया।
प्रदेश के कई वरिष्ठ शैली से जुड़े कांग्रेस नेता तथा आम वर्कर सिद्धू के खिलाफ चल रहा हैं। वह कई बार हाईकमान से लेकर प्रदेश प्रभारी तक मांग कर चुके है कि उनके (सिद्धू) के खिलाफ अनुशासनहीनता के कार्रवाई होनी चाहिए। वह पार्टी से अलग चल रहे हैं। जब दिल करता है तो अलग ही रैली कर लेते है तथा पार्टी के खिलाफ ही मोर्चा खोल देते है। इसका नुकसान पार्टी को ही झेलना पड़ रहा हैं। लोस चुनाव में पार्टी अपने दम पर लड़ने का विचार कर चुकी हैं। लेकिन, इस प्रकार की हरकतें पार्टी को एकजुट करने की बजाय उन्हें बिखेर रही हैं। इसके लिए पार्टी को कुछ बड़ा करना होगा। नियम सबके लिए बराबर है तो पालन भी करना होगा।
पता चला है कि पार्टी में आग की चिंगारी, इसलिए भी लग गई। क्योंकि, प्रदेश प्रभारी के विशेष कार्यक्रम को नजरअंदाज कर सिद्धू कांग्रेस के 3 पूर्व अध्यक्षों से मुलाकात करने के लिए एक जगह पहुंच गए। इतना ही नहीं, सभी की मुलाकात की तस्वीर सोशल मीडिया में खूब प्रसारित हो रही हैं। तरह-तरह के लोग तथा पार्टी के अन्य कार्यकर्ता कमेंट कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि इससे पार्टी की किरकिरी भी हो रही हैं। पार्टी को बड़े स्तर पर नुकसान होने के कयास भी लगाए जा रहे है। प्रदेश प्रभारी योगेंद्र यादव तो कोई बयान देने से पूर्व हर बात को टाल देते हैं। कईयों की तो यह भी शिकायत है, इसे मुद्दे को हलके में लेना पार्टी के लिए बड़ी भूल भी हो सकती हैं। पार्टी को बड़ी फैसला लेना होगा, अन्यथा नुकसान होने से कोई नहीं रोक सकता हैं।
उधर, सिद्धू को इस बात का बिल्कुल ही नहीं फर्क पड़ रहा हैं। वह हर मंच में इस बात का संदेश दे रहे है कि उनकी लड़ाई बुराई के खिलाफ हैं। वह सच्चे बंदे है, रब के बंदे है। आप ने जो वादे किए, उन्हें पूरा करवाने के लिए जनता की आवाज बन रहा है। सभी को एकजुट कर रहा हूं, किसी को इस बात ऐतराज नहीं होना चाहिए। अनुशासन में रहकर ही काम हो रहा हैं। पार्टी के लिए जान देने से भी नहीं पीछे हट सकता। सिद्धू के बारे गलत प्रचार नहीं होना चाहिए। पार्टी का सिपाही हूं। सेवा करना उसका धर्म हैं। आगे भी पार्टी उन्हें कोई जिम्मेदारी देती है, उसे पूरा ही करेंगे।