वरिष्ठ पत्रकार.चंडीगढ़।
पंजाब में भाजपा को बड़ी ताकत मिलने जा रही है। अटकलों का बाजार गर्म है कि देश के 2 पूर्व क्रिकेटर भाजपा में खिल सकते है। इसमें पहले नंबर पर पूर्व अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर युवराज सिंह का नाम पहले नंबर पर आ रहा है। कांग्रेस से नाराज चल रहे पूर्व क्रिकेटर तथा कांग्रेस के बड़े नेता नवजोत सिंह सिद्धू का नाम भी शामिल है। फिलहाल, किसी ने भाजपा में जाने की अधिकारिक पुष्टि नहीं की। पिछले दिनों केंद्रीय मंत्री गडकरी से युवराज की मुलाकात ने भाजपा में जाने का संकेत दे दिया। सिद्धू द्वारा भाजपा में नहीं जाने की अपनी प्रतिक्रिया जारी कर चुके है। फिर, उनके करीबी सूत्र सिद्धू के भाजपा में जाने का संकेत भी दे रहे है। माना यह भी जा रही है कि सिद्धू को भाजपा लोकसभा सीट अमृतसर से टिकट दे सकती है। 3 बार भाजपा से इस सीट के सांसद रह चुके है।
युवराज को लोकसभा सीट गुरदासपुर से भाजपा चुनाव लड़ाने के लिए मन बना सकती है। क्योंकि, मौजूदा सांसद सन्नी अगला चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा कर चुके है। ऐसे में युवराज भाजपा के लिए बेहतर विकल्प दिखाई दे रहा है। युवराज यूथ आइकॉन है। करोड़ो उनके फॉलोअर्स है। भाजपा इसका फायदा लेने से बिल्कुल चूक नहीं करना चाहती है। पार्टी सूत्रों से पता चला है कि युवराज की भाजपा में शामिल होने की सहमति बन चुकी है, जबकि, परिवार ने अब तक सहमति नहीं जताई। युवराज चंडीगढ़ शहर के रहने वाले है। पिता पंजाबी अभिनेता तथा पूर्व क्रिकेटर रह चुके है। दिल्ली किसान आंदोलन में उनका काफी सहयोग रहा।
इधर, सिद्धू के लिए भी भाजपा में अच्छा विकल्प नजर आ रहा है। पार्टी उन्हें अमृतसर लोकसभा सीट से टिकट भी दे सकती है। अगर, केंद्र में एनडीए सरकार आती है तो केंद्रीय मंत्री बनने का रास्ता लगभग साफ हो सकता है। क्योंकि, 3 बार सिद्धू सांसद रहने के बावजूद एक बार भी केंद्रीय मंत्री बनने का अवसर नहीं पा सकें। इस बार सिद्धू के लिए सुनहरी अवसर है, इसे खोना भी वह नहीं चाहते है। कांग्रेस के कई बड़े चेहरे भाजपा में शामिल हो चुके है। पार्टी ने उन्हें बड़े पद से नवाजा भी है।
2 चेहरे भाजपा की बदल सकते है पंजाब में नैया
पंजाब में भाजपा की इस समय पकड़ मजबूत नहीं है। पार्टी के पास कोई बड़े चेहरे भी नहीं है जो कि प्रदेश में पार्टी को मजबूत कर सकें। एक दो चेहरों को पार्टी नेतृत्व साथ नहीं दे रहा है। इसलिए, जंग लड़ने में वे लोग अकेले ही रह गए है। पार्टी के भीतर नेताओं का कहना है कि केंद्रीय नेतृत्व ने उन्हें किनारा कर बाहरी नेताओं को प्राथमिकता दी गई। उनका संकेत प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सुनील जाखड़ की तरफ है। फिलहाल, पार्टी को लगता है कि अगर युवराज, सिद्धू पार्टी में शामिल हो जाते है तो पंजाब में स्थिति मजबूत हो जाती है। लेकिन, जब तक इनमें कोई चेहरा अपनी सहमति नहीं जताता, तब तक सब प्रयास एक प्रकार से कयास ही रह जाते है।