वरिष्ठ पत्रकार.चंडीगढ़।
आने वाले समय में पंजाब के पूर्व उप-मुख्यमंत्री तथा शिअद सुप्रीमो सुखबीर सिंह बादल तथा पूर्व पंजाब पुलिस निदेशक सुमेध सैनी की मुश्किलें ज्यादा बढ़ने जा रही है। क्योंकि, उनके खिलाफ कोटकपूरा गोलीकांड में विशेष जांच दल (एसआईटी) ने अदालत के समक्ष अहम सबूत अपनी चार्जशीट में पेश किए। साफ तौर पर लिखा गया कि राजनीतिक लाभ लेने तथा डेरा प्रेमियों को खुश करने के लिए इनके द्वारा षडयंत्र रचा गया। एसआईटी प्रमुख एडीजीपी एलके यादव है। सत्ताधारी पार्टी तथा अन्य विपक्षी पार्टियों को सुखबीर बादल को घेरने का अवसर मिल चुका है। ऊपर से भाजपा-शिअद गठबंधन की चर्चा चल रही है। लोस चुनाव में कहीं न कहीं पार्टी को नुकसान हो सकता है। इससे गठबंधन का दांव पेच भी फंस सकता है।
दरअसल, वर्ष 2015 में बेअदबी मामले को लेकर कोटकपूरा में सिख जत्थेबंदियों द्वारा विरोध प्रदर्शन किया जा रहा था। इस दौरान पुलिस की गोली से 2 सिख युवकों की मृत्यु हो गई थी तथा कई घायल हुए थे। इस पूरे प्रकरण में तत्कालीन शिअद सरकार से लेकर पुलिस पर कई सवाल खड़े हुए थे। इस वजह से शिअद सत्ता से बाहर हो गई। पंथक वोट नाराज हो गया था। कई बार अलग-अलग सरकार ने एसआईटी गठित की। लेकिन, किसी को सजा नहीं दिला पाई। पूर्व कांग्रेस सरकार दौरान तब के एसआईटी आईपीएस पुलिस अधिकारी ने साफ तौर पर बादल का नाम लिया था। लेकिन, पता नहीं कांग्रेस सरकार ने इस कमेटी से अलग कर दिया। काफी विरोध भी हुआ था। सरकार पर बादल परिवार को बचाने का आरोप लगा था।
अब चूंकि, पंजाब की सत्ता में आम आदमी पार्टी सरकार है। विशेष जांच दल (एसआईटी) ने अपनी जांच में सुखबीर बादल तथा पूर्व डीजीपी सहित कई पुलिस के बड़े अधिकारियों का नाम इस रिपोर्ट में पेश किया। चालान अदालत में पेश कर दिया गया। राजनीतिक लाभ लेने तथा डेरा प्रेमियों को खुश करने के लिए यह कदम उठाने की बात के सबूत अदालत में पेश कर दिए गए। अब देखना होगा कि अदालत इन कथित अपराधियों के खिलाफ कितनी सजा सुना सकती है। क्योंकि, लंबे समय से पीड़ित परिवार द्वारा इंसाफ की मांग की जा रही है। बता दें कि इंसाफ के लिए पीड़ित परिवार के हक में कई बार सिख जत्थेबंदियों द्वारा धरना प्रदर्शन भी किया गया।