वरिष्ठ पत्रकार.चंडीगढ़।
रणजीत सागर झील में वाटर बसें पूरी तरह खराब हो चुकी है। अगर इन बसों को रणजीत सागर झील में उतारा गया तो कोई बड़ा हादसा भी हो सकता है। ऐसे में सरकार ने तत्काल प्रभाव से इस पर रोक लगा दी है।
करोड़ों रुपये खर्च कर भ्रष्टाचार किया
पर्यटन मंत्री सौंद ने कहा कि अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार में 2016 में यह सुविधा शुरू की गई थी, लेकिन इसके नाम पर करोड़ों रुपये खर्च कर भ्रष्टाचार किया गया। 8.63 करोड़ रुपये की लागत से यह वाटर बस सेवा शुरू की गई थी। रणजीत सागर झील में इस सेवा को बहुत ही कम समय के लिए संचालित किया गया। इस भ्रष्टाचार के मामले में विभाग ने जांच शुरू कर दी है। इसमें जो भी अधिकारी लिप्त थे और सरकार के समय किस फर्म के जरिये यह वाटर बस सेवा शुरू की गई थी, उसे ब्लैकलिस्ट किया जाएगा।
8.63 करोड़ खर्च करना गलत निर्णय
मंत्री सौंद ने स्पष्ट किया है कि इस योजना पर 8.63 करोड़ खर्च करना गलत निर्णय था। मंत्री ने कहा कि यह वाटर बस योजना पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए, जबकि आमदनी नाममात्र की थी। यह ‘सुपर फेल’ परियोजना पिछली सरकारों के गलत निर्णयों का परिणाम है, जिससे जनता के धन की बर्बादी हुई। यह धन जनकल्याण योजनाओं में इस्तेमाल किया जा सकता था।
सुखबीर बादल का ड्रीम प्रोजेक्ट थीं
2016 में ये बसें अकाली-भाजपा सरकार के दौरान खरीदी गई थीं। वाटर बस योजना तत्कालीन उपमुख्यमंत्री सुखबीर बादल का ड्रीम प्रोजेक्ट थीं। इन बसों को करीब साढ़े आठ करोड़ की लागत से एक निजी कंपनी से खरीदा गया था। उस समय ये बसें हरिके वेटलैंड में चलाई गई थीं। वह कुल साढ़े नौ करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट था। उस समय बसें करीब दस दिन ही चलीं। इसके बाद कांग्रेस सरकार सत्ता में आई। तत्कालीन मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा था कि इन बसों की नीलामी की जाएगी और कश्मीर की तर्ज पर शिकारे चलाए जाएंगे। इसके बाद बसों को गैरेज में रख दिया गया था।