पहले सर्कलों का आकार 7-8 करोड़ रुपये तक था सीमित… अब हुआ 30 करोड़ पार
वरिष्ठ पत्रकार विजय शर्मा.नितिन धवन.चंडीगढ़।
नई आबकारी नीति के तहत सरकार ने लाइसेंस धारकों के बड़े सर्कल बनाते हुए छोटे कारोबारियों को इस व्यवसाय से लगभग बाहर कर दिया है, हालांकि सरकार की तरफ से आबकारी आयुक्त ने दावा किया है कि लाइसेंसधारकों के साथ बैठकों में लिए गए फैसलों के आधार पर ही नई नीति को अंतिम रूप दिया है। वहीं छोटे कारोबारियों का कहना है कि पहले सर्कलों का आकार 7-8 करोड़ रुपये तक सीमित था और उनकी पहुंच में था।लेकिन, अब नई नीति में सरकार ने ग्रुपों का आकार 30 करोड़ रुपये का कर दिया है। यह रकम जुटा पाना छोटे कारोबारियों के बस की बात नहीं है।
प्रदेश के छोटे शराब ठेकेदारों ने एक यूनियन का गठन कर नई आबकारी नीति पर सवाल उठाए हैं। यूनियन का कहना है कि छोटे कारोबारी 30 करोड़ के सर्कल में पहुंच नहीं पाएंगे और शराब का पूरा कारोबार बड़े कारोबारियों के हाथों में चला जाएगा। यूनियन का कहना है कि बड़े सर्कल में छोटे ठेकेदार इस व्यवसाय में पूरी तरह खत्म हो जाएंगे।
3-4 करोड़ रुपये के सर्कल में ही ठेके लेने की क्षमता
यूनियन का कहना है कि छोटे ठेकेदार 3-4 करोड़ रुपये के सर्कल में ही ठेके लेने की क्षमता रखते हैं। यूनियन का यह भी कहना है कि सरकार ने नई नीति बनाने से पहले बड़े कारोबारियों के सुझाव तो लिए लेकिन छोटे कारोबारियों से बात नहीं की। यूनियन का कहना है कि बड़े सर्कल के कारण शराब के ठेके भी बड़े कारोबारियों के हाथ में ही रहेंगे।
राजस्व बढ़ाने के लिए बड़े सर्कलों को दी तरजीह
पंजाब के आबकारी आयुक्त वरुण रूजम ने कहा है कि राजस्व बढ़ाने के लिए सर्कलों की संख्या को घटाया गया है। उन्होंने कहा कि आबकारी नीति बनाने से पहले लाइसेंस धारकों के साथ बैठकों के दौरान मौजूदा परचून लाइसेंस धारकों की मांग थी कि सर्कल का आकार मौजूदा (7-8 करोड़) स्तर से बड़ा और 30 करोड़ के स्तर तक होना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि इससे सर्कलों की आपसी रंजिश घटेगी, जबकि ग्रुप का आकार छोटा होने के कारण पहले रंजिश आम बात थी। उन्होंने कहा कि इससे शराब कारोबार से असामाजिक तत्वों को बाहर निकालने और इस कारोबार में कुशलता लाने में मदद मिलेगी।
पहले जितनी ही रहेगी शराब के ठेकों की संख्या
आबकारी आयुक्त का कहना है कि नई आबकारी नीति के मुताबिक राज्य भर में ठेकों की संख्या पहले जितनी ही रहेगी और अगर बड़े सर्कलों के चलते सर्कलों की संख्या कम होगी तब भी परचून क्षेत्र में रोजगार के मौके पहले जितने ही रहेंगे। उन्होंने कहा कि इस नीति से शराब से संबंधित उत्पादन क्षेत्र में पंजाब के लोगों के लिए नए रोजगार के अवसर सृजित किए जाएंगे। वरुण रूजम ने कहा कि डिस्टिलरियों, बॉटलिंग प्लांट और ब्रेवरीज स्थापित करने के लिए लाइसेंस को फिर खोल दिया है और यह नीति पंजाब में माल्ट उत्पादन इकाइयां कायम करने की भी इजाजत देती है, जिसमें नए एथनॉल प्लांट लगाने पर जोर दिया गया है। इससे युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।
कीमत घटाने से नहीं बढ़ेगा शराब का उपयोग
आबकारी आयुक्त ने दावा किया है कि कीमतों में गिरावट के कारण शराब का उपयोग नहीं बढ़ेगा, बल्कि इससे ग्राहकों को कम कीमत देनी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि पड़ोसी राज्यों से तस्करी के कारण पंजाब को नुकसान हो रहा था और शराब की कीमत घटने से शराब की अंतरराज्यीय तस्करी घटेगी। वरुण रूजम ने कहा कि इस नीति से वास्तव में उपभोक्ताओं को फायदा होगा।
उन्होंने आगे कहा कि नई नीति में सर्कल और जिला स्तर पर आबकारी गतिविधियों पर सख्ती से निगाह रखने का प्रस्ताव है, जिसमें आबकारी विभाग के अधिकारियों के जिला पुलिस के साथ तालमेल पर जोर दिया गया है। उन्होंने कहा कि आबकारी विभाग ने पहले ही राज्य स्तर पर पंजाब पुलिस के साथ संपर्क साधा हुआ है, जिसके अंतर्गत सभी जिला पुलिस मुख्यालयों पर नारकोटिक्स और एक्साइज सेल बनाए गए हैं।
अवैध शराब वाले इलाकों में पाउच में बिक्री
आबकारी आयुक्त ने कहा कि नई आबकारी नीति अवैध शराब को रोकेगी, जिससे पिछले समय में बहुत सी मौतें हुई थीं। उन्होंने कहा कि नई नीति के साथ कम कीमत वाली 40 डिग्री पीएमएल को पंजाब के अवैध शराब से प्रभावित क्षेत्रों में पाउच में बेचा जा सकेगा, जो बिना शक लोगों को अवैध या गैरकानूनी शराब पीने से रोकेगा। वरुण रूजम ने कहा कि लोगों को अवैध शराब के बजाय कानूनी तौर पर तैयार 40 डिग्री पीएमएल सस्ती शराब का विकल्प मिलेगा, जिससे अवैध शराब निकालने पर भी बहुत हद तक रोक लगाई जा सकेगी।