राज्य ब्यूरो.एसएनई न्यूज़.चंडीगढ़।
साल 2015 के बरगाड़ी बेअदबी कांड के तीनों मामलों में पंजाब पुलिस की एसआईटी ने अपनी जांच रिपोर्ट में डेरा मुखी गुरमीत राम रहीम और सच्चा सौदा के अनुयायियों को साजिश रचने का आरोपी ठहराया है। एसआईटी की 467 पन्नों की अंतिम रिपोर्ट शनिवार को मुख्यमंत्री भगवंत मान ने सिख नेताओं को सौंपी। सिख नेताओं के साथ बैठक में मुख्यमंत्री ने इस मामले में पूरे सहयोग का भरोसा देते हुए उनसे 90 दिन का समय मांगा है। इस रिपोर्ट को 29 जुलाई को अदालत में पेश किया जाना है।
आईजी एसपीएस परमार के नेतृत्व में मामले की जांच करने वाली एसआईटी ने अपनी अंतिम रिपोर्ट में किसी राजनीतिक साजिश से इनकार किया है। हालांकि इस मामले में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और गृह मंत्री सुखबीर सिंह बादल को जिम्मेदार ठहराती रही हैं। इस मामले में पहले गठित की गई एसआईटी ने भी बादल पिता-पुत्र को बरगाड़ी बेअदबी और कोटकपुरा पुलिस फायरिंग मामले में पूछताछ के लिए समन किया था।
राम रहीम ने नहीं किया सहयोग
आईजी परमार के नेतृत्व में एसआईटी ने हरियाणा के रोहतक की सुनारिया जेल में गुरमीत राम रहीम से भी पूछताछ की थी। हालांकि, रिपोर्ट में कहा गया है कि एसआईटी द्वारा जांच के दौरान राम रहीम का रवैया असहयोग का रहा। रिपोर्ट में एसआईटी ने डेरामुखी गुरमीत राम रहीम को बेअदबी की तीन घटनाओं में नामजद किया है। इन तीन मामलों में अन्य आरोपी सुखजिंदर सिंह उर्फ सनी, शक्ति सिंह, बलजीत सिंह, रणदीप सिंह उर्फ नीला, रणजीत सिंह उर्फ भोला, निशान सिंह, नरिंदर शर्मा और प्रदीप सिंह हैं। तीन अन्य आरोपियों- हर्ष धुरी, प्रदीप कलेर और संदीप बरेटा को गिरफ्तार किया जाना बाकी है। उन्हें भगोड़ा अपराधी घोषित किया जा चुका है। डेरा सच्चा सौदा का अनुयायी मोहिंदर पाल बिट्टू मुख्य आरोपी था। उसकी 2019 में नाभा जेल में दो कैदियों ने हत्या कर दी।
फिल्म एमएसजी-2 से जुड़ा था मकसद
रिपोर्ट में कहा गया है कि एकत्र की गई सामग्री/सबूतों से यह स्पष्ट है कि आरोपियों का डेरा प्रबंधन के साथ सीधा संबंध था। घटनाओं के पीछे का मकसद फिल्म ‘एमएसजी-2’ से जुड़ा होना भी है। राम रहीम अभिनीत फिल्म ‘मैसेंजर ऑफ गॉड’ (एमएसजी-2) रिलीज नहीं होने से डेरा सच्चा सौदा के अनुयायी नाराज थे।
फरीदकोट में चल रही बेअदबी के तीनों मामलों की सुनवाई
बेअदबी के उक्त तीनों मामलों की सुनवाई फरीदकोट की एक अदालत में चल रही है और आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने की अगली तारीख 29 जुलाई है। पिछले साल, सीबीआई ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के निर्देश पर 2015 की घटनाओं से संबंधित दस्तावेज और फाइलें पंजाब पुलिस एसआईटी को सौंपी थी। 2015 में, तत्कालीन शिअद-भाजपा सरकार ने तीन मामलों को जांच का काम सीबीआई को सौंप दिया था। पंजाब सरकार ने सितंबर 2018 में राज्य पुलिस की एक एसआईटी को जांच सौंपी थी, जब जांच में प्रगति की कमी को देखते हुए राज्य विधानसभा ने इन मामलों की जांच के लिए सीबीआई से सहमति वापस लेने का प्रस्ताव पारित किया था।
क्या है बरगाड़ी बेअदबी मामला
बरगाड़ी के गुरुद्वारा साहिब के बाहर श्री गुरुग्रंथ साहिब जी के पावन स्वरूप की बेअदबी की घटना 12 अक्टूबर 2015 को सामने आई थी, जिससे सिख संगत में रोष फैल गया था। इस घटना से कुछ समय पहले एक जून को गांव बुर्ज जवाहर सिंह वाला के गुरुद्वारा साहिब से स्वरूप चोरी हुआ था और यहीं पर 24 सितंबर को पोस्टर चिपका बेअदबी की धमकी दी गई थी। बेअदबी की घटना के विरोध में कोटकपूरा व बहिबल कलां में सिख संगठनों के धरने को जबरन उठाने के चलते 14 अक्टूबर 2015 को गोली कांड की घटनाएं पेश आई थी, जिसमें पुलिस की गोली से दो लोगों की मौत हुई थी और कई लोग घायल हुए ।