एसएनई नेटवर्क.चंडीगढ़।
चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी में छात्राओं के वीडियो वायरल के मामले में गिरफ्तार तीनों आरोपियों को अदालत ने सात दिन की रिमांड पर भेज दिया गया है। इस दौरान पुलिस ने अदालत को बताया कि वीडियो बनाने वाली छात्रा ने खुद का और एक अन्य छात्रा का वीडियो बनाया था। वीडियो में दूसरी छात्रा का चेहरा नहीं दिख रहा है। मोबाइल से कुछ वीडियो डिलीट किए गए हैं। आरोपियों को रिमांड पर लेने के लिए अदालत ने तर्क दिया कि यह अपराध काफी गंभीर श्रेणी का है। इसमें टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल हुआ है। इसमें पता लगाया जाना है कि डिलीट वीडियो किसके हैं और वीडियो कैसे साझा किए गए। आरोपियों के फोन फॉरेंसिक लैब भेज दिए गए हैं।
यह केवल कमर के नीचे वाले हिस्से का वीडियो है। यह बात सोमवार को आरोपी लड़की व दो अन्य आरोपियों सन्नी मेहता और रंकज वर्मा को अदालत में पेश करते वक्त पुलिस ने बताई। पुलिस ने कहा कि मोबाइल से कुछ वीडियो डिलीट भी हुए हैं। यह अपनी तरह का नया मामला है। इसकी गंभीरता से जांच की जरूरत है। पुलिस ने आरोपियों का 10 दिन का रिमांड मांगा। अदालत ने सभी तथ्यों को देख सात दिन के रिमांड पर भेज दिया है। तीन आरोपियों को पुलिस की टीमों ने सोमवार दोपहर बाद कड़ी सुरक्षा में खरड़ अदालत में पेश किया। आरोपियों की जान को कोई नुकसान न हो, ऐसे में पूरे इलाके को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया था
पुलिस के मुताबिक तीनों आरोपी हिमाचल प्रदेश के शिमला के रहने वाले हैं। सन्नी आरोपी लड़की का बॉयफ्रेंड है जबकि रंकज उसका दोस्त है। आरोपियों के वकील ने अदालत के बाहर मीडिया से बातचीत में खुद कहा कि पता चला है वायरल करने की नीयत से एक लड़की की वीडियो बनी थी। यह वीडियो किसका और कहा है, इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है। हालांकि आरोपी लड़की ने अदालत में कहा कि उसने अपनी वीडियो सन्नी को भेजी है। वकील ने कहा कि यह मामला जांच का विषय है।
सोशल मीडिया पर साइबर टीम की निगाहें
इस मामले के सामने आने के बाद पंजाब पुलिस के साइबर माहिर भी सक्रिय हो चुके हैं। स्पेशल टीमों ने यह तलाश कर रही हैं कि सोशल मीडिया पर यह वीडियो कहीं वायरल तो नहीं हो रहे हैं। इसके अलावा हर जिले की साइबर टीम को हिदायत दी गई है कि वह अपने यहां चल रहे सोशल ग्रुपों पर भी नजर रखे। कहीं पर भी ऐसी बात आती है तो तुरंत अधिकारियों को सूचित करे।
मेरी डीपी का गलत इस्तेमाल हुआ
रंकज से पूछताछ में सामने कि उसकी फोटो का दुरुपयोग किया गया है। लड़की के मोबाइल में उसकी डीपी वाला, जो व्हाट्सएप अकाउंट दिखाया गया है वह फेक है। न तो ये मोबाइल नंबर उसका है और न आईपी एड्रेस। वहीं अदालत के बाहर वकील ने भी कहा कि आज के समय में कोई भी किसी की भी डीपी लगा सकता है।