रेत खनन के आरोप में कानून तथा अदालत में चल रहा है मामला, कांग्रेस के मंत्रियों तथा विधायकों के निशाने पर सरकार तथा मंत्री।
एसएनई न्यूज़.चंडीगढ़।
कहते है कि आप अगर 90 फीसद काम अच्छा कर लें, जबकि 10 फीसद गलत आपकी सारे अच्छे कार्य की छवि को एकदम धूमिल कर देता है। ऐसा ही कुछ नई चन्नी सरकार के कार्य में सामने आ रहा है। नई मंत्रिमंडल में एक कपूरथला से विधायक तथा पूर्व मंत्री राणा गुरजीत सिंह पर रेत खनन माफिया को लेकर कानून तथा अदालत में मामला विचाराधीन है। इन सबके बावजूद चन्नी ने अपने नए मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री का पद दिया। चन्नी के ऐसा करने से वह अपने ही मंत्रियों तथा विधायकों-सांसदों के निशाने पर आ गए है। इतना ही नहीं, इन सबने एक पत्र कांग्रेस हाईकमान को डालकर तत्काल गुरजीत राणा को पद से हटाने की मांग कर डाली।
मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने अपने नए मंत्रिमंडल में कुछ पुराने तथा नए चेहरों को स्थान दिया। अहम समय पर कपूरथला से राणा गुरजीत सिंह को कैबिनेट मंत्री बनाए जाने पर सभी एकदम से चौंक गए । हर किसी के जहन में एक ही सवाल उठ रहा था कि चन्नी ने किसके दबाव में आकर भ्रष्टाचार के मामले में आरोपी विधायक को अपनी कैबिनेट में स्थान देना पड़ा। हालांकि, इस मामले को कांग्रेस पार्टी ने खुद ही गुरजीत राणा से किनारा कर लिया था। जबकि नई सरकार के मंत्रिमंडल में उन्हें उच्च स्थान देकर , इस बात का प्रमाण तो दिया कि अपनी मजबूती के लिए अगर किसी आरोपी को भी स्थान देना पड़े तो इससे भी पीछे नहीं हटेगे।
उधर, राणा गुरजीत के विरोध में खैहरा, चीमा, चौधरी संतोख सिंह, हेनरी बावा. राजकुमार चब्बेवाल, जैसे कई कांग्रेसी वरिष्ठ नेता ने चन्नी सरकार तथा हाईकमान पर सवाल खड़े कर दिए है कि क्यों राणा गुरजीत को इतने सामान्य पद पर नवाज़ा गया। उन्होंने दबी जुबान में तो यह भी जाहिर कर दिया कि इसका कांग्रेस को आगामी चुनाव में बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है।
भाजपा, शिअद, आप जैसी विपक्षी पार्टियों ने कांग्रेस के इस फैसले पर हैरानी जताते हुए कहा कि आखिर कांग्रेस ने साबित ही कर दिया कि उनके लिए नेता जरुरी , जबकि उसकी छवि कोई अहमियत नहीं रखती है। इस प्रकार के मंत्री बनने से पंजाब में भ्रष्टाचार तथा रेत माफिया का दबाव बढ़ेगा। सिद्वू जैसे रेत माफिया के खिलाफ ऊंचा-ऊंचा बोलने अब कहां गए है, क्या वाक्य ही वह इस मामले में खुद संलिप्त है।