लेखक विनय कोछड़।
पंजाबियों की काबिलियत की किस्से पूरे विश्व में जाने जाते हैं। क्योंकि, इनमें कुछ करने का अलग ही अंदाज है। कूट-कूट के ईमानदारी, परिश्रम,इंसानियत रोम-रोम में बसी हैं। इतना कुछ होने के बावजूद, पंजाब का यूथ विदेश भाग रहा हैं। काफी चिंता का विषय हैं। लेकिन, समाधान कोई नहीं निकलता नजर आ रहा हैं। सरकार की तरफ , पंजाब यूथ के लिए कुछ खास करने का कभी सोचा तक नहीं है। बेचारे मां-बाप अपनी जमीन-जायदाद बेचकर किसी न किसी तरीके से उन्हें विदेश भेज रहे है। सवाल , इस बात का भी उठता है कि विदेश जाने की बजाय, पंजाबी यूथ क्यों नहीं अपने राज्य को कनाडा जैसा बना दें, ताकि, उसे शायद विदेश जाने का स्वप्न कभी अपने जहन में नहीं आ सकें। चर्चा तो इस बात की कई बार हो चुकी है, लेकिन, अमल कोई नहीं हो सका।
आंकड़े तथा विशेषज्ञों की खास रिपोर्ट में एक बात सामने आ रही है कि कनाडा अब पंजाबियों के लिए उतना सुरक्षित नहीं रहा। वहां पर गैंगवार, अलगाववादी सोच ने पंजाबी यूथ को आगे बढ़ने के स्वप्न को चकनाचूर करने में कोई कसर तक नहीं छोड़ी हैं। पिछले, दिनों भारत-कनाडा की तनातनी ने पंजाबियों के लिए काफी मुश्किलें बढ़ा दी हैं। उनके रहने, खानपान से लेकर रोजगार जैसे साधन भी कम हो गए हैं। महंगाई ने लोगों की हाय-तौबा करा दी हैं। इससे वहां की अर्थव्यवस्था पर काफी प्रतिकूल असर पड़ रहा हैं। ऊपर से, कनाडा जाने के लिए अस्थायी तौर पर वीजा प्रणाली रद्द कर दिया गया।
इतना कुछ होने के बावजूद , पंजाब यूथ के अभिभावक तो काफी चिंतित है, जोश से लैस पंजाबी यूथ में अब भी कनाडा जाने की दिलचस्पी में कोई कमी नहीं आई। वह मानकर चल रहे है कि कोई बात नहीं थोड़ी देर उपरांत फिर से हालात आम जैसे हो जाएगे। दोबारा से उन्हें कनाडा जाने का अवसर मिल सकता है। शायद यूथ यह नहीं सोचता कि अगर अच्छी सोच के साथ वह अपने पंजाब में भी आगे बढ़ सकता है।
अब यूथ पंजाब में भी अपने पैरो पर खड़ा हो सकता है। रोजगार के कई साधन हैं। अगर नौकरी नहीं तो कोई बात नहीं, यूथ पंजाब में अपना व्यापार आरंभ कर सकता है। व्यापार कई तरह के चल पड़े है। जिसमें वह कम पैसों से ही आगे बढ़ सकता हैं। बस शर्त इस बात की है, उसे लगन तथा ईमानदारी से काम करना होगा। फिर समय के साथ उन्नति भी हो जाएगी। ऊपर से परिवार भी पास होगा।
7 समुद्र पार कर अपनो का अहसास पल-पल भीतर ही भीतर खाता रहता है। किसी दुख-तकलीफ को साझा नहीं किया जा सकता। किसी प्रकार की मुश्किल का समाधान भी खुद ढूंढना होता है। प्रतिदिन की यादें, जख्म की तरह सताती रहती है। विडंबना, इसमें कुछ नहीं किया जा सकता।
खुशी इस बात की भी है कई यूथ विदेश से सबक लेकर अपने पंजाब में आकर खुद को काफी खुशहाल बना लिया हैं। व्यापारिक प्रतिष्ठान खोल कर खुद को एवं अन्य युवाओं को रोजगार का साधन मुहैया करा रहे है। इतना ही नहीं, विदेश जाने वाले युवाओं को शिक्षित कर , उन्हें देश में रहकर ही कनाडा जैसा अहसास दिला रहे है। वे लोग बताते है कि उन्होंने विदेश जाकर सीखा जरुर, लेकिन, अपने देश आकर कुछ नया करने का लक्ष्य रखा। वह अब कामयाब हो चुके है। उनका मानना है कि उन्हें पंजाब की धरती ने बहुत कुछ दिया है।
पंजाब में खाने-पीने के ट्रेंड ने युवाओं को यहां पर रहकर कनाडा जैसा माहौल बना दिया। उदाहरण के तौर पर रेस्त्रां खोलकर , ग्राहकों को अपनी तरफ खींच रहे है। ग्रामीण क्षेत्रों में तो इन रेस्त्रां का तूफान आ चुका हैं। विदेशी-देसी व्यंजन बनाकर लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींच रहे हैं। इतना ही नहीं, पैसा भी खूब कमा रहे हैं। उनके मुताबिक, विदेश से अच्छा अब उन्हें अपना पंजाब अच्छा लगने लगा है। कनाडा, यूके, ऑस्ट्रेलिया, इटली जैसे देशों की सूरत जैसा व्यंजन लुक पंजाब के अलग-अलग शहरों में दिया जा रहा है, जोकि, देश ही नहीं पर्यटकों के लिए भी आकर्षक केंद्र बनता जा रहे हैं।