बड़ा सवाल—क्या कैप्टन के साथ मिलकर छोड़ सकते है पार्टी या फिर अन्य पार्टी में जाने का ढूंढ रहे विकल्प, सस्पेंस
एसएनई न्यूज़.चंडीगढ़।
पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी की नई मंत्रिमंडल में कुछ नए चेहरों को अवसर मिलने जा रहा है, जबकि पुराने चेहरों में कईयों की मंत्रिमंडल में छुट्टी होने की पूरी चर्चा है। इन चेहरों में कैप्टन के बेहद करीबी राणा गुरमीत सिंह सोढ़ी, गुरमीत सिंह कांगड़, अरुणा चौधरी, सुंदर शाम अरोड़ा के जाना लगभग तय माना जा रहा है। वहीं, इन मंत्रियों ने कैप्टन अमरिंदर सिंह के मोती महल में इस मुद्दे को लेकर काफी चर्चा हुई। सूत्रों से पता चला है कि इन्होंने कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ गोपनीय मीटिंग भी की, जिसके बारे किसी को कानों-कान खबर तक होने दी गई। बैठक में फैसला लिया गया है कि अगर ऐसा होता है तो यह सभी कैप्टन के साथ बगावात कर सकते है। इतना ही, कांग्रेस छोड़कर कैप्टन के साथ अलग पार्टी में शामिल होने का भी विकल्प चल रहा है। इस घटनाक्रम को लेकर अब कांग्रेस की राजनीति में बहुत बड़ा सस्पेंस हो गया है कि अब कांग्रेस में कौन सा बड़ा धमाका होने जा रहा है।
दरअसल, चन्नी के पीछे सत्ता की बागाडोर पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्वू चला रहे है। इतना ही नहीं सिद्वू ने तो आते ही अपने बेहद करीबियों को चेयरमेन की सीट पर बैठा कर इस बात का प्रमाण दे दिया कि वह अब कैप्टन के ग्रुप को पंजाब में बिल्कुल कमजोर करने जा रहे है, जबकि शायद उनको इस बात का बिल्कुल अंदाजा नहीं है कि कैप्टन भी कोई दूध के दूले नहीं है। चुप बैठा शेर कभी न कभी कांग्रेस की सियासत में बहुत बड़ा धमाका कर सकता है। कहीं न कहीं इस पूरे घटनाक्रम को लेकर दिल्ली कांग्रेस हाईकमान पर भी बड़े सवाल उठने शुरु हो गए है कि उन्हें इतना क्या सिद्वू पर भरोसा करना पड़ रहा है कि उसके कहीं हर बात को हाईकमान गंभीरता से ले रही है। कुछ राजनीतिक विशेषज्ञों का तो यहां तक कहना है कि अगर हाईकमान ने जल्द ही पुरानी परिस्थितियों में बदलाव नहीं किया तो आगामी पंजाब चुनाव में मुंह की खानी पड़ सकती है।
कैप्टन को दरकिनार करना भी दिल्ली हाईकमान के लिए काफी महंगा साबित होने की बात को मानकर चल रहे है। उधर, कांग्रेस की सियासत में हिंदू जाति के रुप में बहुत बड़े चेहरे पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखंड भाई राहुल गांधी तथा बहन प्रिंयका गांधी मनाने के लिए जी तोड़ प्रयास कर रही है।
उन्हें अंदेशा इस बात का भी है कि अगर पार्टी का बड़ा हिंदू चेहरा नाराज हुआ तो चुनाव में कांग्रेस के लिए काफी प्रतिकुल साबित हो सकता है। पिछले दिनों चर्चा , इस बात की भी थी कि पंजाब में अगले सीएम एक हिंदू चेहरा यानी सुनील जाखड़ बन सकते है। जबकि, अहम मौके पर कांग्रेस की राजनीति को किनारा कर चुकी अंबिका सोनी द्वारा हाईकमान को सिख चेहरे को पंजाब का सीएम बनाने के लिए सलाह दे दी गई। जिसके बाद जाखड़ इस दौड़ से बाहर हो गए।
जाखड़ को कांग्रेस हाईकमान राष्ट्रीय कांग्रेस कमेटी में बड़ा पद देना चाहती है तथा इसके साथ-साथ उन्हें आगामी चुनाव में विधायक सीट आवंटित करने वाली कमेटी का प्रमुख सदस्य बनाना चाहती है, जबकि , सूत्रों से मिली खबर मुताबिक जाखड़ ने अभी तक हाईकमान तथा पर्यवेक्षकों की इस डील को सिरे से खारिज कर दिया।