पाक ‘कट्टरपंथियों’ को ‘पत्रकारों’ का लिखा ‘आतक’ शब्द नहीं आया रास, अब दे रहे जान से मारने की धमकियां, मीडिया पर बड़ा हमला

विश्व पत्रकार संगठन ने कड़े शब्दों में की निंदा, पाक की इमरान सरकार से कार्रवाई करने की मांग की

एसएनई न्यूज़.दिल्ली।

पत्रकार शब्द का मतलब है कि दुनिया के बीच सच्चाई को सामने लाने का कार्य है। मीडिया पूरे विश्व की तस्वीर को लोगों के बीच लेकर आती है, जबकि ऐसा देश भी है, यहां के पत्रकारों को इन दिनों सच्चाई लिखने पर एक आतंकवादी गतिविधियों तथा कट्टरपंथियों का सरगना माने जाने वाला पाक देश का एक प्रतिबंधित संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) मीडिया को उनके बारे आतंक शब्द लिखने के लिए उन्हें (मीडिया से जुड़े पत्रकारों) को सरेआम जान से मारने की धमकियां दे रहा है। यह एक प्रकार से मीडिया की सच्चाई के खिलाफ बहुत बड़ा हमला है। विश्व पत्रकार संगठन ने इस बारे कड़े शब्दों में निंदा करते कहा कि यह एक प्रकार से पत्रकार की लोकतांत्रिक कलम पर बहुत बड़ा हमला है। पाक की इमरान सरकार से इन आतंकी संगठनों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने तथा पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की। 


  पाक में लगभग 100 से अधिक ऐसे संगठन चल रहे है, जिसे अमेरिका तथा विश्व की अहम सुरक्षा एजेंसियों ने लोगों की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बताया है। वहां के मासूम बच्चों को जिहाद नाम का पाठ पढ़ाते है तथा उनके हाथ किताब पकड़ाने की बजाए बंदूक थमा देते है। यहीं मासूम बच्चे आगे जाकर दहशतगर्द बन जाते है। पूरे विश्व में आतंक को संरक्षण देने में कहीं न कहीं पाक का चेहरा कई बार विश्व बिरादरी के समक्ष बेनकाब हो चुका है। पाकिस्तान पर विश्व के कई संगठन आर्थिक तौर पर प्रतिबंध भी लगा चुके है। उसके बावजूद इमरान सरकार पर इसका कोई असर नहीं है। 


बात यहीं पर नहीं समाप्त होती है, अब पत्रकार पाकिस्तान में अपने आपको सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे है। उन्हें कवरेज करने पर जान से मारने की धमकियां मिल रही है। खबर यह भी सामने आ रही है कि  कई पत्रकारों को मौत के घाट भी उतार दिया गया। पाक में यह आम बात हो चुकी है। अब इसके लिए विश्व पत्रकार संगठन को आगे आना पड़ रहा है तथा पाक सरकार से कड़े कदम उठाने के लिए कहा जा रहा है। 


 पाक में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान  संगठन  ने पत्रकारों को जान से मारने की धमकियां दी है, उस संगठन के पूरे देश में कई मदरसे चल रहे है। उन मदरसों में बच्चों को पढ़ाई के नाम पर जिहाद का पाठ पढ़ाया जाता है। जबकि, खबर यह भी उन बच्चों के अभिभावक इन मदरसों में अपने बच्चों को भेजने के लिए कोई रुचि नहीं है। किंतु, इन संगठनों के लोग अभिभावकों से बंदूक की नोक पर इनके बच्चे छीन रहे है। इन परिवारों को डराया धमकाया जा रहा है कि अगर किसी प्रकार से कोई गड़बड़ी की तो बच्चों सहित परिवार को बंदूक से भून डाल दिया जाएगा। 


 इनकी काली कारतूतों का चिट्ठा खोलने के लिए यहां की प्रैस ने सच्चाई को अपनी टेलीविजन तथा अखबारों में प्रकाशित किया, जबकि इन कट्टरपंथियों को यह बात रास नहीं आई। इसी बात को लेकर इन्होंने सोशल मीडिया में पत्रकारों के खिलाफ फतवा जारी कर दिया कि अगर किसी पेपर या टेलीविजन ने उन्हें आतंकी शब्द के साथ जोड़ा तो समझ लें, उन्हें अपनी जान से हाथ धोना पड़ेगा।     


 लोगों की हिमायती सरकार का दावा करने वाले इमरान सरकार को इस पूरे प्रकरण को हल्के में नहीं आंकना चाहिए। क्योंकि, विश्व बिरादरी के पास यह मुद्दा पहुंच चुका है। सबसे बड़ी बात है यह मुद्दा मीडिया की आजादी के साथ जुड़ा है। अब इमरान सरकार को कड़ा फैसला लेना होगा कि इनके खिलाफ कौन से बड़ी कार्रवाई करनी होगी।
  

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