वरिष्ठ पत्रकार.दिल्ली।
देश के जाने माने सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने कहा कि अरविंद केजरीवाल ने करोड़ो देशवासियों की भावनाओं के साथ धोखा दिया। मैं, उसकी गिरफ्तारी को लेकर मन से काफी दुखी हों। इस मामले से जुड़े अन्य कथित दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा देने की वकालत की। शराब नीति घोटाला में मैंने (अन्ना हजारे) ने एक पत्र केजरीवाल को लिखा था, कहा था, उसे बड़े घोटाला होने की बात का अंदेशा जताया था। वर्ष 2013 में जन आंदोलन दौरान केजरीवाल ने शराब जैसे मामले से दूर रहने की बात दोहराया था। आंदोलन से अलग होकर अपनी नई पार्टी का गठन कर दिया। इसने मेरे साथ विश्वासघात किया था साथ ही देश के साथ भी ऐसा ही किया।
देश में वर्ष 2013 में एक जन आंदोलन शुरू हुआ। इसकी शुरुआत देश के जाने माने सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने की। सरकार के खिलाफ कई दिनों तक अनशन पर बैठ गए। तब माना जा रहा था कि देश में परिवर्तन की लहर चल पड़ी। कई पार्टियों के नेता से लेकर सामाजिक संगठन इस आंदोलन के साथ जुड़ गए। इस बीच अरविंद केजरीवाल भी शामिल हो गए। जनता का भरपूर समर्थन मिलने के उपरांत केजरीवाल ने एक अलग राजनीतिक संगठन बनाने का ऐलान कर दिया। उस दौरान अन्ना हजारे केजरीवाल के ऐलान की बात को लेकर काफी विरोध जताया था। माना जाता है कि केजरीवाल को इस आंदोलन से ही सही पहचान मिली थी। वह चाहते थे कि इसका राजनीतिक फायदा उठाया जाए।
राजनीतिक संगठन का नाम आम आदमी पार्टी (आप) रखा गया। प्राथमिक समय में दिल्ली के चुनाव में पार्टी को काफी हद तक फायदा मिला। जनता ने केजरीवाल की पार्टी को भरपूर समर्थन दिया। वह सत्ता में अन्य राजनीति पार्टी कांग्रेस के सहयोग से सरकार बनाने में सफल रही। लेकिन, सरकार ज्यादा दिन तक नहीं चल पाई। उसके उपरांत फिर से चुनाव बिगुल दिल्ली में बजा। इस बार आम आदमी पार्टी को दिल्ली की जनता ने खूब प्यार दिया। विपक्षी पार्टी के विधायक सिर्फ 10 के करीब रह गए। जनता के साथ कई वादे पूरा करने में आप कामयाब रही। इसमें प्रमुख वादे थे कि बिजली बिल जीरो, पानी बिल माफ थे। बताया जाता है कि केजरीवाल को सबसे अधिक मत दिल्ली की पहचान 3 पहिया वाहन ऑटो चालकों ने दी। गरीब मतदाता जैसा कि झुगी-झोपड़ी वाले सभी मतदाता केजरीवाल को अपना मसीहा मानने लगें। समय-समय पर केजरीवाल सरकार ने उनकी जरूरतों को पूरा करके दिखाया।
यहां पर आकर फंसे केजरीवाल
दरअसल, केजरीवाल गरीब के साथ-साथ कारोबारियों को भी अपने वोट बैंक का हिस्सा बनाने का अवसर नहीं खोना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने एक तीर से 2 शिकार करने का फैसला लिया। केजरीवाल शराब नीति बनाई। उस नीति को सफल बनाने के लिए गरीबों को सस्ती शराब तथा उच्च वर्ग के बड़े कारोबारियों को अपनी इस नीति का हिस्सा बना लिया। इस कारोबार में उनका पैसा इन्वेस्ट किया। शुरु-शुरु में सरकार तथा कारोबारियों को काफी फायदा पहुंचा। केजरीवाल ने इस नीति में 2 नंबर का पैसा खाया। जब इसी नीति के बारे उप-राज्यपाल को पता चला तो तत्काल उन्होंने इसकी जांच ईडी के समक्ष करवाने के लिए रखी। अदालत ने ईडी को शराब नीति की जांच करने का जिम्मा सौंप दिया। जांच में दिल्ली सरकार के कई मंत्रियों से लेकर अन्य राज्य के बड़े-बड़े नेता तथा कारोबारियों के खिलाफ अहम सबूत हासिल हुए। एक-एक करके ईडी ने गिरफ्तारी की तो पूछताछ में सभी के नाम-नाम धीरे-धीरे से सामने आने लगें। चूंकि, आखिरकार ईडी ने इसके अंतिम तथा अहम गुनहगार केजरीवाल को सलाखों के पीछे धकेल दिया।