हर कोई यहीं कह रहा था कि मूसेवाला की मां को सलाम, जिसने हीरे जैसे बेटे को जन्म ही नहीं दिया, बल्कि उनके दिए गए संस्कार की वजह से सिद्वू की आवाज हमेशा के लिए अमर हो गई
अनिल भंडारी.अमृतसर।
विश्व विख्यात पंजाब इंडस्ट्री के सिंगर दिवंगत शुभदीप सिंह सिद्वू मूसेवाला के देश ही नहीं विदेश में करोड़ों की संख्या में प्रशंसक हैं। मूसे वाला की मौत ने हर यूथ को झकझोर कर दिया। देश-विदेश में उनकी आत्मा को शांति देने के लिए कैंडल मार्च निकाला जा रहा हैं। हर कोई सरकार से ही सिर्फ यहीं अपील कर रहा है कि मूसे वाला के हत्यारों को जल्द पकड़ा जाए, उन्हें कड़ी से कड़ी सजा देने की भी मांग की जा रही हैं। पंजाब की धार्मिक नगरी, अमृतसर में भी सिद्वू मूसे वाला के भारी संख्या में युवा प्रशंसक हैं। मूसे वाला की मौत से हर कोई आहत हैं। शुक्रवार देर सायं युवाओं ने स्थानीय चाटीविंड गेट से लेकर सुल्तानविंड गेट तक सिद्वू की आत्मा की शांति के लिए एक कैंडल मार्च निकाला। हर युवा के हाथ में कैंडल थी। सिद्वू मूसेवाला का बैनर पकड़ कर सिद्वू अमर रहे के नारे लगाए जा रहे था। हर कोई भावुक था। कोई युवाओं की आंखों में तो आंसू भी दिखाई दिए।
गुरु नगरी के युवाओं ने दिवंगत सिद्वू मूसेवाला के समर्थन में कैंडल मार्च निकाला। 6 जून को होने जा रहे घल्लूघारा दिवस को लेकर मार्च काफी शांतिमय ढंग से निकाला गया। युवाओं के हाथ में सिद्वू मूसेवाला का बैनर देख कर बुजुर्ग महिलाओं को भी भावुक होते देखा गया। हर कोई यहीं कह रहा था कि मूसेवाला की मां को सलाम, जिसने हीरे जैसे बेटे को जन्म ही नहीं दिया, बल्कि उनके दिए गए संस्कार की वजह से सिद्वू की आवाज हमेशा के लिए अमर हो गई। मूसे वाला ने किसी का क्या बिगाड़ा था, हमेशा ही गरीब एवं जरूरतमंदों की सहायता ही की। उनका जीवन काफी सधारण रहा हैं। पंजाब की मिट्टी से मूसेवाला को प्यार रहा तथा मिट्टी के साथ ही काम करते कई बार देखा गया।
यूथ ने एक सुर में कहा कि पंजाब में अब हालात ठीक नहीं हैं। पहले दीप सिद्वू का एक्सीडेंट का बहाना बनाकर, उसे मार दिया गया। कबड्डी के विश्व विख्यात खिलाड़ी संदीप नंगल की गोलियां बरसा कर बेरहमी से हत्या कर दी गई। अब सिद्वू मूसेवाला भाई को मौत के घाट उतार दिया गया। हालात, अगर इसी प्रकार से रहे तो पंजाब में युवाओं का रहना मुश्किल हो जाएगा। उन्होंने सीएम से अपील की कि मूसेवाला के हत्यारों को पकड़ कर कठोर दंड के तहत सजा दी जानी चाहिए। बताया जा रहा है कि यूथ का मार्च शहर के विभिन्न हिस्सों में निकाला जाना था, जबकि, घल्लूघारा दिवस के तहत कुछ दूरी तक ही पुलिस ने कैंडल मार्च निकालने की स्वीकृति दी।