आरोप…….पुलिस की कार्यप्रणाली पर खड़े हुए सवाल……डॉक्टरों को मौके पर नहीं मिला इंसाफ
वरिष्ठ पत्रकार.अमृतसर.चंडीगढ़।
डॉक्टर भगवान का दूसरा स्वरूप माना जाता है। लेकिन, वर्तमान में शायद लोग इस बात को भूल चुके है, इसलिए कानून को हाथ में लेकर डॉक्टर तथा स्वास्थ्य कर्मियों के खिलाफ अपना गुस्सा या फिर उन्हें पीट देते है। ताजा मामला, पंजाब के जिला अमृतसर के श्री गुरु नानक देव अस्पताल के साथ जुड़ा है। पता चला है कि कुछ राजनीति पार्टी से जुड़े लोगों ने सरेआम गुंडागर्दी की। इतना ही नहीं डॉक्टर तथा स्वास्थ्य कर्मियों को अपनी वार्ड का भीतर से गेट बंद कर खुद की जान बचानी पड़ी। इनमें कुछ महिला स्वास्थ्य कर्मी भी शामिल थे। थाना की पुलिस अस्पताल तो पहुंच गई, लेकिन, फसाद करने वालों को पकड़ने की बजाय, उन्हें शांत करने में जुटी रही। इस मामले को लेकर पीसीएमएस एसोसिएशन ने प्रदेश के मुख्यमंत्री से लेकर सभी विभाग को एक पत्र जारी करते हुए इंसाफ की मांग की। फिलहाल, दबाव बढ़ता देख पुलिस ने कुल 1 दर्जन के करीब के खिलाफ विभिन्न धाराओं के अधीन मामला दर्ज कर लिया। किसी की गिरफ्तारी के बारे अभी पुलिस ने पुष्टि नहीं की। एक बात तो तय है कि ताजा घटनाक्रम ने फिर प्रदेश की आम आदमी पार्टी सरकार के खिलाफ बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है कि डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर एकदम फेल हुई है।
जानिए, क्या था पूरा मामला
शुक्रवार की रात को तहसील अजनाला से 2 मरीज को हडिड्यों की वार्ड नंबर-2 में इलाज के लिए भर्ती किया जाता है। मध्यकालीन रात्रि 1 बजे उक्त मरीज के राजनीति से जुड़े 10 लोग बिना अनुमति के घुस जाते है। इलाज करने वाले शीर्ष चिकित्सक के साथ उलझ जाते है। चिकित्सक उनसे काफी नरम स्वभाव से बातचीत करता है, लेकिन, वे लोग उन पर टूट पड़ते है। ऐसे में चिकित्सक के अन्य सहयोगी चिकित्सक तथा स्वास्थ्य कर्मी इकट्ठा हो जाते है। आरोप लगा है कि ये सभी उन्हें मारने के लिए दौड़ते है, जबकि, बड़ी मुश्किल से सभी अपनी जान बचाकर वार्ड के भीतर चले जाते है तथा ताला लगा दिया जाता है। आरोप लगा है कि सभी गुंडा तत्व उनके खिलाफ गंदी-गंदी गलियां निकालना आरंभ कर देते है। बड़ी मुश्किल से पुलिस को फोन किया जाता है। पुलिस पहुंच जाती है, लेकिन तब कोई कार्रवाई नहीं करती है।
सुरक्षा व्यवस्था एकदम फेल
बताया जाता है कि अस्पताल में 200 पार सुरक्षा कर्मियों की संख्या है। ऐसे में बड़ा सवाल खड़ा होता है कि कल की घटना के वक्त यह लोग क्या कर रहे थे, कैसे फसाद करने वाले वार्ड में घुस गए। यह इतना बड़ा मामला कैसे बन गया। क्यों, डाक्टर तथा सुरक्षा कर्मी सदस्यों को भाग कर अपनी जान बचानी पड़ी। ये लोग तब क्या कर रहे थे। ऐसे में अस्पताल प्रशासन में बैठे बड़े अधिकारियों को इसका जवाब देना होगा। यू ही इस मामले को ठंडे बस्ते में नहीं डाला जा सकता है। इससे एक बात साफ साबित हो जाती है कि अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था इस मामले को लेकर एकदम फेल साबित हुई।
डर का माहौल
कल के एपिसोड से चिकित्सक तथा सुरक्षा कर्मियों के स्टाफ में काफी डर का माहौल सता रहा है। उनके चेहरों पर साफ तौर पर काम करते वक्त डर का माहौल देखा गया। उस उदाहरण को अपने मुंह से तो नहीं बयां कर रहे थे, लेकिन, कल का खौफ उनके भीतर इस प्रकार से घुस चुका है कि वह ड्यूटी करने के साथ-साथ अपनी सुरक्षा को लेकर भी काफी चिंतित दिखाई दी। हैरान करने वाली बात यह है कि अस्पताल प्रशासन की तरफ से उन्हें हौसला भी नहीं दिया गया। देखा जाए तो यह एक प्रकार से सरासर गलत है।
इन्हीं वजह से कोई भी सरकारी दायरे में काम करने के लिए उत्सुक नहीं
ताजा आंकड़े इस बात की सच्चाई को बयां करते है कि सरकारी दायरे में चिकित्सक लगने के लिए कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई जाती है। इसके पीछे बड़ी वजह यह भी मानी जाती है कि उन्हें सुरक्षा ठीक ढंग से मुहैया नहीं कराई जाती है। ऊपर से उन्हें राजनीति या फिर अपने शीर्ष अधिकारियों की बिना वजह की डांट फटकार का सामना करना पड़ता है। चिकित्सा से जुड़े विशेषज्ञ मानते है कि अगर ऐसा ही चलता रहा है तो आने वाले समय में सरकारी अस्पताल में डॉक्टर लगने का अकाल पड़ जाएगा। उनकी सुरक्षा को सुनिश्चित करना सरकार तथा दायरे का महत्वपूर्ण काम है। लेकिन, ऐसा बिल्कुल नहीं हो रहा है।
इन-इन को लिखा पत्र
पीसीएमएस ने अब तक प्रदेश के 7 जगह पर उनके खिलाफ हुई धक्केशाही को लेकर पत्र लिखा है। इसमें प्रदेश स्वास्थ्य मंत्रालय, जिलाधीश, जिला पुलिस आयुक्त, प्रदेश स्वास्थ्य मंत्री, डायरेक्टोरेट रिसर्च मेडिकल एजुकेशन, (चंडीगढ़), पीसीएमएस एसोसिएशन (पंजाब), यूनाइटेड स्टेटस नर्सिंग एसोसिएशन, (चंडीगढ़), जीएनडीएच मेडिकल कॉलेज प्रिंसिपल तथा चिकित्सा अधीक्षक शामिल है। इन्होंने अपने पत्र में साफ तौर पर लिखा कि उनके साथ नाइंसाफी हुई है, इसलिए इस प्रकार के गुंडा तत्व के खिलाफ कड़ी कार्रवाई में उनका सहयोग दिया जाए।
लोग नहीं मानते
मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉक्टर राजीव देवगन ने बताया कि कई बार रोगी की तीमारदारों को समझाया गया कि रात 10 के बाद उनका वार्ड में आने की कोई अनुमति नहीं है। फिर लोग नहीं मानते है। सुरक्षा में कुल 200 पार सुरक्षाकर्मी तैनात है। कल का मामला उनके ध्यान में है। अपने उच्च अधिकारियों तथा पुलिस को इतलाह तत्काल कर दी गई थी। लोग को भी समझना होगा कि वह अस्पताल के नियमों का पालन करें तथा किसी प्रकार का फसाद नहीं करे।
मामला दर्ज
थाना मजीठा रोड के थाना प्रभारी रंजीत सिंह धालीवाल ने बताया कि सूचना मिलने पर पुलिस तत्काल पहुंच गई थी। दोनों ही पक्ष को समझाने का प्रयास किया गया। चिकित्सकों के बयान पर 1 दर्जन के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया। किसी प्रकार का कोई राजनीतिक दबाव नहीं है। 26 जनवरी के कारण थोड़ा व्यस्त है। जल्द ही सभी सलाखों के पीछे होंगे। डॉक्टरों को इंसाफ दिलाया जाएगा।