गौर से देखिए….इन तस्वीरों में डॉक्टर के यहां लाखों रुपए चोरी की बड़ी वारदात को अंजाम देने वाला कथित अपराधी, कैसे बेखौफ नज़र आ रहा

सौजन्य वीडियो ग्रैब

जानकारी देने वाले के लिए रखा 2 लाख रुपए इनाम पहचान रहेंगी गोपनीय

एसएनई न्यूज़.अमृतसर।

बीते दिनों शहर के एक प्रसिद्ध डॉक्टर के जहां लाखों रुपए की चोरी की वारदात को अंजाम दिया गया। अब तक पुलिस कोई सुराग नहीं ढूंढ पाई तो सीसीटीवी में कैद एक व्यक्ति के ऊपर जानकारी देने वाले को दो लाख रुपए इनाम देने की घोषणा की गई। पूरा नाम तथा पहचान बताने वाले का नाम गोपनीय रखा जाएगा। इस बात की पुष्टि पुलिस ने एक बयान जारी कर दी।

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उसमें कुछ पुलिस अधिकारियों के संपर्क नंबर साझा किए गए। दरअसल , थाना सी डिवीजन के भीतर क्षेत्र में 12 दिसंबर की अल सुबह ( मकान संख्या-33, गुरु गोबिंद सिंह कॉलोनी. तरनतारन रोड, अमृतसर) के रहने वाले नामचीन डॉक्टर हरप्रीत सिंह बावा के आवास में लाखों रुपए की चोरी की वारदात को किसी अज्ञात ने अंजाम दिया। घर से डॉक्टर की मेहनत की पूंजी को चुरा लिया गया। इस बारे सूचना थाना सी डिवीजन पुलिस को दी गई। मौके पर पहुंची पुलिस ने जांच-पड़ताल करने के बाद एक अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया। 

इतने दिन बीत जाने के उपरांत पुलिस इस केस में किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाई। डॉक्टर साहब ने फैसला लिया कि वह इस वारदात को अंजाम देने वाले का पता लगा कर ही चुप बैठेगे। फिर , उन्होंने वारदात स्थल के पास लगे सीसीटीवी तथा किस रास्ते की तरफ गया या फिर आया। उस बारे तकनीकी तौर पर जानकारी जुटाई।

जांच में एक अज्ञात व्यक्ति को उनके (पीड़ित डॉक्टर साहब) यहां चोरी की वारदात को अंजाम देने की तस्वीरें सामने आई। अंजाम देने वाला एक सिख है। वह एक धार्मिक स्थल पर दिखाई दिया। लगभग पांच-छह की कुल संख्या वाली तस्वीरों में अलग-अलग गतिविधियां करते दिखाई दिया।

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बताया जा रहा है कि पुलिस के साथ डॉक्टर ने मुलाकात करने के उपरांत, इन तस्वीरों में दिख रहे कथित अपराधी की जानकारी देने वाले को दो लाख रुपए इनाम देने की घोषणा की। सूचना देने वाले की पहचान गोपनीय रखी जाएंगी। 

देश-विदेश में वायरल हुई तस्वीरें

वारदात को अंजाम देने वाले का पुलिस द्वारा कोई पुख्ता सुराग नहीं मिला तो डॉक्टर साहब ने सोशल मीडिया का सहारा लिया। सोशल मीडिया पर , इन तस्वीरों को अपलोड किया गया। नीचे जानकारी देने के लिए अपने संपर्क नंबरों को साझा किया गया। बताया जा रहा है कि सोशल मीडिया में यह तस्वीरें देश-विदेश तक खूब वायरल हो चुकी है। 

जानकारी देने वाले पुलिस अधिकारी,पुख्ता जानकारी देने को तैयार नहीं

जिला पुलिस आयुक्त के अधीन पीआर विभाग की तरफ से एक प्रेस रिलीज जारी कर संदिग्ध तस्वीरों की जानकारी देने वाले के नाम पर ईनाम तथा कुछ संबंधित अधिकारियों के संपर्क नंबर दिए गए। हमारी जांच-पड़ताल , इस केस को लेकर आरंभ हुई तो पहले नंबर-76588-61517 डीसीपी (डिटेक्टिव) रछपाल सिंह को संपर्क किया तो उन्होंने फोन ही नहीं उठाया। दूसरे नंबर-99142-06118 एसीपी डिटेक्टिव कंवलप्रीत सिंह से संपर्क किया तो उन्होंने पीएम रैली में ड्यूटी होने का हवाला देकर सीआईए स्टाफ के प्रभारी एसएचओ सुखविंदर सिंह से जानकारी लेने के लिए बोल दिया गया। तीसरे नंबर 97811-30631 सीआईए स्टाफ के प्रभारी एसएचओ सुखविंदर सिंह से इस केस संबंधी जानकारी लेने के लिए संपर्क किया तो महत्वपूर्ण मिशन का हवाला देकर खास जानकारी नहीं दी गई। इस पूरे प्रकरण को लेकर पुलिस पर भी सवालिया निशान उठता है। 

मामला पहुंचा पुलिस आयुक्त के पास

मामला अमृतसर के पुलिस आयुक्त डॉक्टर सुखचैन गिल के पास पहुंचा तो उन्होंने आगे अपने पीआर विभाग के अधिकारी राजीव शर्मा को सौंपा। उन्होंने आगे , इस केस संबंधित एएसआई राज कुमार से संपर्क करने के लिए बोला। उनके मुताबिक, इस केस को लेकर गहनता के साथ जांच-पड़ताल की जा रही है। कथित अपराधी जल्द पुलिस की गिरफ्त में होगा। 

कुछ कड़वे सवाल

1) 12 दिसंबर को शहर के नामचीन डॉक्टर के यहां, इतनी बड़ी चोरी की वारदात हो जाती है। पुलिस मामला भी दर्ज कर लेती है। उसके बाद पुलिस सुराग तथा अपराधी तक क्यों नहीं पहुंच पाती। हमेशा से ही पुलिस आयुक्त अपनी पुलिस जांबाजी तथा बहादुरी की मिसाल देते है, जबकि, इस केस तक अब सोलव नहीं किया जा सका।

 2) पीड़ित को इस केस को लेकर क्यों सोशल मीडिया का सहारा लेना पड़ा, क्या पुलिस से वह असंतुष्ट थे या फिर पुलिस ने इस केस को गंभीरता से ही नहीं लिया। जानकारी यह भी सामने आ रही है कि संदिग्ध का पता देने वाले को इनाम राशि डॉक्टर साहब द्वारा दी जा रही है, जबकि पुलिस इस केस में अपना क्रेडिट लेना चाहती है।

3) तीसरी बड़ी बात, पुलिस ने अभी तक पीड़ित डॉक्टर को एफआईआर तक नहीं मुहैया कराई, सिर्फ एफआईआर नंबर की संख्या बताई गई। जबकि, एफआईआर की कापी पीड़ित द्वारा मांगना या फिर हासिल करना, उसका मौलिक रूप से अधिकार है।  अब देखना होगा कि पुलिस, इस केस को सॉल्व करने में कितना समय लगती है तथा पीड़ित को उपेक्षा के मुताबिक इंसाफ मिल पाता है। 
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