पवन कुमार.अमृतसर।
करवाचौथ शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है, करवा यानी मिट्टी का बर्तन और चौथ यानी चतुर्थी। इसकी पूजा में करवे की पूजा का विशेष महत्व है। यह त्योहार पति-पत्नी के मजबूत रिश्ते, प्यार व विश्वास का प्रतीक है। कांगड़ा कॉलोनी के शिव मंदिर के पंडित शाम जी के मुताबिक , इस बार रोहिणी नक्षत्र व मंगल का दुर्लभ योग एक साथ आया। सुहागिनों के अखंड सौभाग्य को बढ़ाएंगा। इससे पूजन फल कई गुणा अधिक होगा।
अर्घ्य महत्व
चंद्रमा पूर्ण रूप से तेजवान है। पति चांद के समान तेजवान हो व संसार में चंद्रमा की तरह प्रकाशित हो, इसलिए रात में पूर्ण चंद्रोदय पर चंद्रमा को छलनी से देख अर्घ्य दिया जाता है।