नगर निगम चुनाव ने काफी दिलचस्प मोड़ ले लिया है। मैदान में आम आदमी पार्टी (आप) की एक टिकट पर पर्चे वाला सरदार जी खूब चर्चा बटोर रहा है। बताया जा रहा है कि वो प्रत्याशी पूर्व कैबिनेट मंत्री का बेहद करीबी है। टिकट तो सरदार जी ने पैसे देकर तो ले ली, लेकिन, उनके खिलाफ बोलने वालों ने अब सोशल मीडिया का सहारा ले लिया है। बकायदा उनके खिलाफ दर्ज पर्चे तथा तस्वीर (मंत्री की तस्वीर) को सोशल मीडिया में अपलोड कर दिया गया। विपक्ष को आप को घेरने का अच्छा अवसर मिल गया। वह अब आम जनता के बीच जाकर सरदार जी के पर्चों की पोल खोल रही है। सरदार जी अब मैदान में उतरने की बजाय घर में ही दुबक गए। उन्हें अहसास होने लगा कि वह जीती हुई पारी को हार रहें है। चर्चा तो इस बात की भी है कि वह मैदान भी छोड़ सकते है। इसके लिए पार्टी को अन्य प्रत्याशी को खड़ा करने के लिए भी बोल दिया है। अब पार्टी की साख का मसला बन चुका है। रणनीति बननी शुरू हो चुकी है कि कैसे इस मुद्दे का हल निकाला जा सकें।
सरदार जी का मुद्दा तो अब विपक्ष ने खूब तेजी भुनाना भी कर दिया है। क्योंकि, उन्हें मालूम है कि इस मुद्दे से वह जीत की और बढ़ सकते है। आम जनता के विश्वास को जीता जा सकता है। सरदार जी के बारे चर्चा है कि वह लंबे समय से अपराध की दुनिया में कदम रखते है। पूर्व मंत्री को भली भांति पता होने के बावजूद उसे टिकट दिया। धुंआ, इस बात का भी उड़ रहा है कि टिकट आवंटन में सरदार जी ने पूर्व मंत्री के समक्ष इतने पैसे रख दिए कि उनकी आंखें फटी की फटी ही रह गई। साथ ही उन्हें टिकट नहीं देने से इंकार भी नहीं कर पाए। सरदार जी के खिलाफ एक समाज सेवक की लड़ाई ने रोचक मोड़ ले लिया। सरदार जी के खिलाफ जितने आपराधिक मामले दर्ज है, वह एक-एक करके सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिए है। अब वह पार्टी हाईकमान से पूछ रहे है कि आपकी ईमानदारी कहां गई है। जवाब दीजिए। फिलहाल, जवाब देना तो दूर की बात है , उन्होंने तो सरदार जी को बचाने के लिए अथक प्रयास की मुहिम को आरंभ कर दिया। उधर, सरदार जी बीच में चुनाव नहीं लड़ने का फैसला भी कर चुके है। लेकिन, पार्टी अपनी साख बचाने के लिए मनाने के लिए तुली है।
पैसे देकर निगम चुनाव में टिकट आवंटन का आम आदमी पार्टी (आप) पर आरोप लगा था। इस बात को आप के वर्करों तथा कुछ नेताओं ने खुद ही सांझा कर दिया था। उन्होंने तो इसके पक्का सबूत तक दे दिए थे। लेकिन, हाईकमान ने इस मुद्दे को बिल्कुल ही नजरअंदाज कर दिया। क्योंकि, पार्टी को पता है कि अगर उसने इस पर गौर किया तो उसका नतीजा चुनाव पर प्रतिकूल पड़ सकता है। इसलिए शांत रहना है बेहतर विकल्प चुना। अफवाह, इस बात की भी चल रही है कि एक बटाला का नेता सीटों के बंटवारे में खूब पैसा इकट्ठा कर चुका है। उसने ही टिकट आवंटन के दौरान महंगी टिकट बेची। इकट्ठा किया गया पैसा लपेट लिया। यह खेल करोड़ो तक पहुंचा है। लेकिन, वह सीएम का लाडला है, इसलिए उस पर कोई उंगली नहीं खड़ा कर सकता है। एक तो बात साफ साबित हो चुकी है कि पार्टी के ईमानदारी का दावा अब बिल्कुल फेल हो चुका है। सिर्फ तो सिर्फ जनता को बेवकूफ बनाने का काम जारी है।